भागलपुर : पिता की मौत के बाद सदमे में दो सगी बहनों ने मंगलवार रात लगभग आठ बजे खुद को आग के हवाले कर दिया. घटना कोयलाघाट की है. सगी बहन पिंकी और शोभा का इलाज जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में चल रहा है. देर रात तक दोनों की स्थिति नाजुक बनी हुई थी. […]
भागलपुर : पिता की मौत के बाद सदमे में दो सगी बहनों ने मंगलवार रात लगभग आठ बजे खुद को आग के हवाले कर दिया. घटना कोयलाघाट की है. सगी बहन पिंकी और शोभा का इलाज जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में चल रहा है. देर रात तक दोनों की स्थिति नाजुक बनी हुई थी.
दोनों बहनें एसएम कॉलेज की छात्रा हैं. आसपास के लोगों ने बताया कि कोयलाघाट के सुरेश प्रसाद यादव काे शाम लगभग साढ़े छह बजे घर पर दिल का दौरा पड़ा. इकलौते पुत्र दिनेश पिता को लेकर मायागंज अस्पताल पहुंचे, मगर तब तक उनकी मौत हो चुकी थी. चिकित्सकों ने जब उसके पिता को मृत घोषित कर दिया, तो वे शव लेकर घर पहुंचे. शव घर पहुंचने के कुछ ही देर बाद छत
पिता की मौत पर आग की लपटें उठती दिखीं. जब दिनेश ने जाकर देखा, तो दोनों बहन जल रही थी. पड़ोसियों की मदद से किसी तरह आग पर काबू पाया और सगी बहनों को लेकर मायागंज अस्पताल पहुंचे. लोगों का कहना है कि पिता की मौत का सदमा दोनों बहनें बरदाश्त नहीं कर सकी और एक बहन ने केरोसिन डाल खुद को आग के हवाले कर दिया.
जब दूसरी बहन उसे बचाने पहुंची तो वह भी आग की चपेट में आ गयी. इस तरह से दोनों जल गयी. चिकित्सकों के अनुसार दोनों 82 प्रतिशत से ज्यादा जल गयी है. स्थिति नाजुक बनी है. चिकित्सक के अनुसार दोनों बहनों के शरीर से केरोसिन की गंध आ रही थी. इधर घटना के बाबत भाई दिनेश कुमार यादव का कहना है कि सिलिंडर से खाना बनाने के दौरान दोनों बहनें आग की चपेट में आ गयी और उसे गंभीर स्थिति में इलाज के लिए भरती कराया गया है.
पिता एसएम कॉलेज में चलाता था मिठाई दुकान
कोयलाघाट के सुरेश प्रसाद यादव एसएम कॉलेज में मिठाई का दुकान चलाता था. छह बेटियों में चार की शादी हो चुकी है. शोभा और पिंकी की शादी नहीं हुई है. शोभा और पिंकी एसएम कॉलेज में पार्ट-टू व थ्री की छात्रा हैं. मां की बहुत पहले ही मौत हो चुकी है. पिता की मौत का दोनों को गहरा सदमा लगा.
कोयलाघाट की घटना
पिता का दाह संस्कार करें या बहन का इलाज दिनेश के लिए दुविधा की घड़ी है. वे पिता के शव का दाह संस्कार करे या फिर अस्पताल में रह कर दोनों बहन का इलाज. देर रात तक वे अस्पताल में थे. वहीं पिता का शव घर पर पड़ा था. कुछ पड़ोसी अस्पताल में दिनेश का हौसला बढ़ाने में लगे थे.