सबौर : देश के किसानों के लिए एक अच्छी खबर है. अब व दिन दूर नहीं जब सिंचाई के अभाव में बंजर पड़ी जमीन पर भी किसान हरियाली लाने में कामयाब हो सकेंगे. झोले में जल ले जाने के अदभुत नजारे की अनुभूति भी किसानों को होनेवाली है. बिहार कृषि विश्वविद्यालय नैनो टेक्नोलॉजी के माध्यम से पहली बार इस प्रकार का अनुसंधान सफल होता दिख रहा है. विश्वविद्यालय ने नोवेल सुपर अब्जॉर्बेंट हाइड्रोजेल का निर्माण किया है. इसके माध्यम से एक से दो माह तक सिंचाई होना संभव हो गया है.
यह अनुसंधान बीएयू के गमले से निकल कर अब इसके फर्म में आ गया है. लहलहाती फसल इसकी सफलता का द्योतक है. धान के बाद गेहूं में इसका सफल प्रयोग किया जा रहा है, फिर किसानों के खेतों पर किया जायेगा. उसके बाद किसी कंपनी के साथ टाइ अप कर इसका वृहत पैमाने पर उत्पादन करने की पहल की जायेगी. उसके बाद किसानों को सुगमता से सिंचाई के लिए वरदान इस हाइड्रोजेल को उपलब्ध कराया जायेगा.
कैसे लाभान्वित होंगे किसान : किसान यदि दो माह वाली फसल लगाना चाहें तो एक बार सिंचाई से ही उपजाया जा सकता है. इतना ही नहीं यदि किसी फसल में पांच सिचाई की जरूरत होती है तो इसके इस्तेमाल से मात्र दो सिंचाई में ही अच्छी पैदावार ली जा सकती है. यह नैनो टेक्नोलॉजी सस्ती तो है ही, गुणवत्तापूर्ण भी है. सब्जी उत्पादक किसानों के लिए तो यह तकनीक वरदान सावित हो सकता है. गरमी के दिनों में सब्जियों में रोज सिंचाई करनी पड़ती है, लेकिन इस तकनीक के इस्तेमाल से सिंचाई की समस्या बहुत हद तक समाप्त हो जायेगी और किसान कम खर्च में ज्यादा आय प्राप्त कर सकेंगे.
बीएयू के गमला से निकलकर फार्म में हो रहा है सफलतापूर्वक प्रयोग
इस वर्ष में किसानों के खेतों तक जायेगी यह टेक्नोलाॅजी
बिहार में पहली बार नैनो टेक्नोलॉजी के माध्यम से होगा संभव
बंजर व ऊंची जमीन के लिए भी लाभप्रद : बंजर व ऊंची जमीन तथा ऊबड़-खाबड़ जमीन जहां सिंचाई करने में कठिनाई होती है, किसान पौधे की जड़ में इसको रख किसी बरतन या मोटर आदि से एक बार भी सिंचाई कर देता है, तो फसल उपजने की संभावना निश्चित तौर पर दिखने लगेगी. इससे बंजर भूमि पर भी हरियाली लायी जा सकती है.
क्या है हाइड्रोजेल : विवि के इस अनुसंधान पर काम कर रहे वैज्ञानिक निन्टु मंडल कहते हैं कि नैनो साइंस द्वारा इजाद इस टेक्नोलॉजी में नोवेल सुपर अब्जॉर्बेंट हाइड्रोजेल नामक सादे रंग का ठोस पदार्थ इजाद किया गया है. इसके एक ग्राम में 350 से 500 ग्राम तक पानी सोखने की क्षमता है. जो एक माह से दो माह तक रह सकता है.
हाइड्रोजेल का प्रदर्शन बहुत जल्द किसानों के खेतों पर किया जायेगा. इस तकनीक से बहुत ही कम सिंचाई में ज्यादा उत्पादन लिया जा सकेगा. बिहार में यह पहली तकनीक है जो किसानों के लिए वरदान साबित होगा.
डॉ अजय कुमार सिंह, कुलपति, बीएयू, सबौर