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कर्जदार मस्त, आम आदमी पस्त

नोटबंदी के चलते व्यस्त बैंक कर्मियों के कारण ऋण वसूली की ओर नहीं जा रहा ध्यान, कर्ज चुकाने के प्रति बेफिक्र हैं कर्जदार भागलपुर में बैंकों के 218. 52 करोड़ डूबने के कगार पर भागलपुर : नोटबंदी से नकदी का संकट है, जिसके चलते लोगों के पास घर का खर्च चलाने के लिए भी पैसे […]

नोटबंदी के चलते व्यस्त बैंक कर्मियों के कारण ऋण वसूली की ओर नहीं जा रहा ध्यान, कर्ज चुकाने के प्रति बेफिक्र हैं कर्जदार

भागलपुर में बैंकों के 218. 52 करोड़ डूबने के कगार पर
भागलपुर : नोटबंदी से नकदी का संकट है, जिसके चलते लोगों के पास घर का खर्च चलाने के लिए भी पैसे नहीं हैं. लोग कुछ भी खरीदने से पहले अपने पास नकदी की व्यवस्था को देखने में लगे हैं. इसका मुख्य वजह नोटबंदी के फैसले के बाद से आरबीआइ द्वारा बैंकों को पर्याप्त नकदी उपलब्ध नहीं करा पाना है. यानी, पर्याप्त नकदी का इंतजाम नहीं होने से आमलोग पस्त हैं मगर, इसके ठीक विपरीत बैंकों के कर्जदार मस्त हैं. दरअसल, ऋण वसूली की ओर बैंकों का ध्यान नहीं जाने से कर्जदार कर्ज चुकाने के प्रति बेफिक्र हैं. नोटबंदी के दौरान बड़े पुराने नोटों को बदलने, दिन भर का हिसाब-किताब करने, पुराने नोटों को आरबीआइ तक पहुंचाने, एटीएम में पैसा पहुंचाने सहित बैंकिंग कार्य को सामान्य बनाने के लिए वे दिन रात काम कर रहे हैं, जिससे उनका ऋण वसूली की ओर ध्यान नहीं जा सका है. ऐसी स्थिति में बैंकों के लगभग दो अरब 18 करोड़ 52 लाख 74 हजार रुपये डूबने के कगार पर हैं.
अग्रणी जिला बैंक की 30 जून की रिपोर्ट में है कि जिले में कार्यरत 29 बैंकों में से 23 बैंकों की विभिन्न शाखाओं से लोन के रूप में 38700.87 लाख रुपये दिये गये हैं, जिसमें 16848.13 की रिकवरी हुई है. इसके बाद के 21852.74 लाख रुपये की सही तरीके से वसूली नहीं हो पा रही है. बैंकों ने इस राशि को एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) की श्रेणी में डाल रखा है.
जिनके सबसे ज्यादा पैसे फंसे हैं, उनमें पहले स्थान पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया हैं. एसबीआइ ने अपनी विभिन्न शाखाओं से लोन के रूप में जारी 15419 लाख रुपये को एनपीए खाता में डाल रखा है. हालांकि 11305 लाख रुपये वसूली की है, फिर भी 4114 लाख रुपये फंसे हैं. इसके अलावा यूको बैंक ने लोन के रूप में जारी 9711.65 लाख रुपये में 3561.62 लाख वसूली किये हैं, मगर 6150.03 लाख रुपये फंसे हैं.
निबटारा के बाद भी 9316 सर्टिफिकेट केस लंबित
जिले के सभी क्षेत्रों के 29 बैंकों में से 23 बैंकों ने विभिन्न शाखाओं की ओर से जारी ऋण 38700.87 लाख रुपये में से 16848.13 रुपये की रिकवरी की है. इसके आगे रिकवरी नहीं करा पाने की स्थिति में 9509 कर्जदारों पर सार्टिफिकेट केस किया है. जिसमें से 193 केस का निबटाया है. बैंक अधिकारी के अनुसार सार्टिफिकेट केस निबटारा के बावजूद 9316 केस लंबित हैं.
इन बैंकों की विभिन्न शाखाओं ने जारी किये ऋण
इलाहाबाद, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक, यूको बैंक, यूनियन बैंक, यूनाइटेड बैंक, आइओबी, इंडियन बैंक, देना बैंक, सिंडिकेट बैंक, ओरिएंटल बैंक, विजिया बैंक, आंध्रा बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, आइडीबीआइ, बैंक ऑफ महाराष्ट्रा, कॉरपोरेशन बैंक, एसबीबीजे, ग्रामीण बैंक, सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक व एक्सिस बैंक
अब नहीं बच पायेंगे कर्ज नहीं चुकानेवाले
बैंकों के फंस रहे पैसों को लेकर चिंतित केंद्र सरकार ने लोकसभा में कर्ज वसूली का नया कानून दि एनफोर्समेंट ऑफ सिक्यूरिटी इंटरेस्ट एंड रिकवरी ऑफ डेट लॉ एंड मिसलेनियस प्रोविजन्स (अमेंडमेंट) बिल 2016 पास किया है. इसमें सरफेसी एक्ट, डीआरटी एक्ट, इंडियन स्टांप एक्ट व डिपोजिटरी एक्ट को संशोधित किया गया है. इससे अब बैंक पैसों की वसूली ज्यादा सख्ती से कर सकेंगे.
बोले अधिकारी
नोटबंदी के चलते लोन रिकवरी नहीं हो पा रही है. हालांकि समय-समय पर समझौता का काम चल रहा है, मगर ब्रांच स्तर पर जो बढ़िया से रिकवरी का काम होगा, वह नहीं हो पा रहा है. नये साल से लोन रिकवरी ही मुख्य मुद्दा रहेगा.
आनंद मोहन दास, अग्रणी बैंक जिला प्रबंधक, भागलपुर

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