भागलपुर : बबरगंज थाना में तीन एसआइ, दो एएसआइ, आठ जिला बल और आठ होम गार्ड के जवान पदस्थापित हैं इस थाने में. थाना पहुंच जायें तो समझ में नहीं आता कि पुलिसकर्मी काम कहां करते हैं, भोजन कहां बनाते हैं और आराम कहां करते हैं. कहीं दीवार ढह रही तो कहीं कपड़ा टांग कर ठंडी हवा से बचने की कोशिश करते दिखते हैं
पुलिसकर्मी. बबरगंज थाने की कच्ची दीवार कब ढह जाये यह कोई नहीं बता सकता. थाना में पदस्थापित पुलिसकर्मियों ने बताया कि कई बार थाने की दीवार ढह चुकी है, जिसमें घायल होने से पुलिसकर्मी बाल-बाल बचे हैं. थाने का बैरक, हाजत या बरामदा सभी जगह की दीवार का वही हाल है. रात में सोने से पहले पुलिसकर्मी अपने मन में भय लेकर सोने को मजबूर हैं.
खाना बना छूटा तो जानवरों का भोजन बन जाता है : बबरगंज थाना की बाउंड्री नहीं है. थाना परिसर में ही बांस-बल्ली से घेर कर पुलिसकर्मी मेस चलाते हैं. बाउंड्री नहीं होने की वजह से थाना परिसर में काफी संख्या में कुत्ते और सूअर का जमावड़ा लगा रहता है. पुलिसकर्मियों का कहना है कि खाना बनाने के बाद थोड़ी देर के लिए वहां छोड़ देने पर जानवर उस खाने को खा जाते हैं और पुलिसकर्मी को भूखे रहना पड़ता है.
चहारदीवारी के अभाव में परदा टांग कर रहना पड़ता है पुलिस कर्मियों को व सोने की भी नहीं है मुकम्मल व्यवस्था.
मंदिर बना सहारा
थाना स्थित बैरक की जर्जर स्थिति और बरामदे पर जगह कम होने से कई पुलिसकर्मी थाना परिसर स्थित मंदिर में सोने चले जाते हैं. मंदिर होने से पुलिसकर्मियों को काफी राहत है. थाना की स्थिति देख कर एक सवाल तो उठता है, लोगों को सुरक्षा प्रदान करने वाले ही जब सुरक्षित नहीं रहेंगे तो वह अपनी ड्यूटी पूरी क्षमता से कैसे कर पायेंगे. इस थाना को नये भवन की सख्त जरूरत है.
थाना परिसर में खाना बनाने के बाद कई बार जानवर खा जाते हैं पुलिसकर्मियों का खाना
मिट्टी की दीवार ढह रही, खतरे में है पुलिसकर्मियों की जान