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फंड मिला होता, तो कुछ और होता विवि बातचीत. वीसी ने बताया, कैसे बदला माहौल

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रमा शंकर दुबे का तीन साल का कार्यकाल फरवरी 2017 में समाप्त हो जायेगा. उनके साथ-साथ प्रतिकुलपति प्रो एके राय का भी कार्यकाल समाप्त हो जायेगा. इससे पहले ही राजभवन ने किसी भी प्रकार के नीतिगत फैसले लेने पर रोक लगा दिया है. कुलपति से उनके कार्यकाल में उपलब्धि […]

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रमा शंकर दुबे का तीन साल का कार्यकाल फरवरी 2017 में समाप्त हो जायेगा. उनके साथ-साथ प्रतिकुलपति प्रो एके राय का भी कार्यकाल समाप्त हो जायेगा. इससे पहले ही राजभवन ने किसी भी प्रकार के नीतिगत फैसले लेने पर रोक लगा दिया है. कुलपति से उनके कार्यकाल में उपलब्धि के बारे में बात की गयी. साथ ही इस पर भी बात की गयी कि क्या नहीं कर पाये, जिसका मलाल रह गया. इस पर कुलपति से विशेष बातचीत.

भागलपुर : कुलपति प्रो रमा शंकर दुबे ने बताया कि जब उन्होंने वर्ष 2014 में योगदान दिया, तो यहां आमरण-अनशन चल रहा था. पढ़ाई के बदले लोग इधर-उधर दिमाग अधिक लगा रहे थे. छात्र-छात्राओं को पठन-पाठन की ओर मोड़ने के लिए एकेडमिक गतिविधि को बढ़ावा दिया. खेल कैलेंडर और सांस्कृतिक कैलेंडर बना कर उसका अनुपालन कराया. इससे स्टूडेंट को मंच मिलने लगा. सेमिनार का आयोजन कर छात्रों की पढ़ाई के प्रति रुचि जगायी. शिक्षक भी इसमें ध्यान देने लगे. इस तरह माहौल में एक सकारात्मक परिवर्तन हुआ.
संतुष्ट हूं कि… : प्रो दुबे ने बताया कि अब यह बोलने में खुशी होती है कि पेंडिंग रिजल्ट सुधार कराने के लिए छात्रों की हर दिन लंबी कतारें नहीं लगतीं. विश्वविद्यालय में हंगामे नहीं होते.
शिक्षक लंबित प्रोन्नति का रोना नहीं रोते. 13 साल बाद नैक से मूल्यांकन कराना साधारण बात नहीं थी. उसमें भी बिहार के तमाम विश्वविद्यालय की अपेक्षा भागलपुर विश्वविद्यालय को सर्वाधिक ग्रेड प्वाइंट मिलना गौरव की बात है. ग्रेडिंग से न सिर्फ लोगों के बीच विवि के प्रति विश्वसनीयता बढ़ी, बल्कि भविष्य में ग्रांट भी मिलना है. सात वर्ष के बाद दीक्षांत समारोह का आयोजन कराया गया. सबसे बड़ी बात यह कि सीमित संसाधन में पीजी विभाग, प्रेस, गेस्ट हाउस, प्रशासनिक भवन का जीर्णोद्धार करा पाया. साइबर लाइब्रेरी की स्थापना करा ली गयी.
अब नहीं होते विवि में हंगामे
फंड के अभाव में जो काम नहीं हो पाये
यूजीसी से फंडिंग नहीं हो पायी
विभिन्न विभागों में स्मार्ट क्लास नहीं बना पाया
सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटल सेंटर नहीं बना पाया
पुस्तकालय ऑनलाइन कर सभी विभागों से नहीं जोड़ पाया
बीएचयू की तरह इंटर डिसीप्लीनरी रिसर्च सेंटर खोलने की थी चाहत
इनके सहयोग का जवाब नहीं
प्रो दुबे ने बताया कि जिस अराजक माहौल में वे आये थे, उस पर कड़े रुख अपना कर जीत हासिल नहीं की जा सकती थी. जरूरत पड़ने पर कड़ाई भी बरती. मूल्यांकन में गड़बड़ी करनेवाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई इसका उदाहरण है. सकारात्मक सोच के साथ किये गये काम में यहां के शिक्षकों, कर्मचारियों व छात्र-छात्राओं ने जो सहयोग दिया, उसका कोई जवाब नहीं है.
क्या हैं संभावनाएं
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय की तरह उच्च शिक्षण संस्थान ढूंढ़ने से शायद ही मिले, जहां इतनी सारी जमीन उपलब्ध हो. लिहाजा राशि उपलब्ध हो, तो यहां बेहतर संभावनाओं की कोई कमी नहीं है.
आगे की क्या है योजना
प्रो दुबे ने बताया कि बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में अभी उनकी सेवा चार साल बची हुई है. यहां कार्यकाल पूरा होने के बाद बीएचयू में ही महामना मदन मोहन मालवीयजी के पुनीत-स्थल पर सेवा देंगे.

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