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”आग खाता हूं और अंगारे उगलता हूं मैं”

भागलपुर : अजंता सिनेमा हॉल के समीप रहनेवाले रौद्र विधा (वीर रस) में काव्य रचना करनेवाले कवि अंगार से जब पहला सवाल किया कि उनके नाम के साथ ‘अंगार’ क्यों जुड़ा, तो इसका जवाब उन्होंने कविता पाठ कर दिया. बकौल अंगार…’मेरी कविताएं मेरी अनुभूतियों का दर्पण हैं, अपनी रूह को कविता में बदलता हूं मैं. […]

भागलपुर : अजंता सिनेमा हॉल के समीप रहनेवाले रौद्र विधा (वीर रस) में काव्य रचना करनेवाले कवि अंगार से जब पहला सवाल किया कि उनके नाम के साथ ‘अंगार’ क्यों जुड़ा, तो इसका जवाब उन्होंने कविता पाठ कर दिया. बकौल अंगार…’मेरी कविताएं मेरी अनुभूतियों का दर्पण हैं, अपनी रूह को कविता में बदलता हूं मैं. अब खतावार कहें या कहें उदंड मुझे, आग खाता हूं, तो अंगारे उगलता हूं मैं’. इसके बाद वे अतीत में चले जाते हैं. एक मित्र थे उमाशंकर वर्मा. बड़े अच्छे कवि थे

और शिक्षा विभाग में इंस्पेक्टर भी. अब नहीं रहे. उनके साथ कविता करते थे. फिर रामेश्वर झा द्विजेंद्र का सान्निध्य मिल गया और कविता लेखन की तरफ बढ़ता ही चला गया. कवि अंगार के घर मां सरस्वती का आशीष पूर्वजों से ही मिलता आ रहा है. पिता पंडित दामोदर शास्त्री आरएचएमटीबी स्कूल बरारी से प्राध्यापक के पद से रिटायर हुए थे. देश का शायद ही कोई बड़ा शहर हो, जहां उन्होंने कविताएं नहीं गायीं. 92 की उम्र है, पर कविता गायन में उनके सुर आज भी नहीं लड़खड़ाते. कवि अंगार अपने दिमाग पर काफी जोर देकर कुछ शहरों का नाम बता पाये, जहां उन्होंने काव्य पाठ किया.

उनमें पटना, दरभंगा, धनबाद, रांची, भागलपुर, करणाल, अलीगढ़ आदि. राष्ट्रकवि दिनकर के सान्निध्य में भागलपुर के गोपालपुर स्थित सैदपुर में कविता पाठ किया था. उसमें नेपालीजी भी शामिल हुए थे. नेपालीजी के साथ विभिन्न सम्मेलनों में जाते रहे. वे बताते हैं कि नेपालीजी का 1963 में जब निधन हुआ था, तो उस समय उनके घर के सदस्य बंबई में थे. तत्काल भागलपुर पहुंच पाना उनके लिए मुश्किल था. ऐसे हालात में भागलपुर में पांच साहित्यकारों ने मिल कर नेपालीजी को पंचाग्नि दी थी, जिनमें वे भी शामिल थे.

(जारी)
अंगारे उगलती है इनकी कलम
हाल में हुए उड़ी हमले की जब कवि अंगार ने खबर सुनी, तो कलम उठा ली. फिर अपनी कविता के माध्यम से उन्होंने पाकिस्तान को खबरदार, तो देश को सतर्क भी किया. देशवासियों को सीख दी, तो सीमा के विवाद का निदान भी बताया.
अंगारे उगलती है इनकी कलम
हाल में हुए उड़ी हमले की जब कवि अंगार ने खबर सुनी, तो कलम उठा ली. फिर अपनी कविता के माध्यम से उन्होंने पाकिस्तान को खबरदार, तो देश को सतर्क भी किया. देशवासियों को सीख दी, तो सीमा के विवाद का निदान भी बताया.
संक्षिप्त प्रोफाइल
नाम : रमेश चंद्र मिश्र अंगार
जन्म : 09.06.1925
जन्म स्थान : भागलपुर
पता : अजंता सिनेमा के पास, भागलपुर
मूल निवासी : कुरुक्षेत्र, हरियाणा
पढ़ाई : टीएनबी कॉलेज
उड़ी हमले पर पढ़िये अंगार की कविता
देश रे, करो उनका गुणगान
धन्य हैं वे बहनें-माताएं, रूठ चुकी जिनकी आशाएं
देकर अपने भाई-बेटे और सुहाग का दान
देश रे, करो उनका गुणगान
नाम पाक नापाक इरादे, झूठी कसमें झूठे वादे
मक्कारी में सबसे आगे रहता बेईमान
देश रे, रखना इसका ध्यान
मांग रहा अब बाकी हिस्सा, खत्म होगा तभी ये किस्सा
मिट जायेगा जब धरती से उसका नाम-निशान
देश रे, रखना इसका ध्यान

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