कहलगांव-सुलतानगंज-नवगछिया : अमन नाम के विपरीत अपराध की दुनिया में उभरता एक ऐसा चेहरा जिसने हाल के दिनों में काफी सुर्खियां बटोरी थी. अपराध की सीख अमन को विरासत में मिली थी. नवगछिया के चर्चित विनोद यादव के करीबी लालू यादव की 2015 में हत्या कर अमन चर्चित हुआ था. उसके बाद वह पनाह लेने के लिए पूर्णिया जा पहुंचा, जहां उसका एक दूसरा मकसद भी था. वह अपने पिता अरुण सिंह की हत्या का बदला लेना चाहता था. हाल में उसने कई हत्या सुपारी लेकर की थी और नवगछिया के व्यवसायियों से भी वह प्रतिमाह लेवी वसूल कर रहा था. इन दिनों वह एके 47 खरीदने की तैयारी में था. पूरे प्रकरण में कई सफेदपोश व फुफेरे भाई पुंकेश की भूमिका भी संदेह में है.
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आपसी गैंगवार के कारण हुई अमन की हत्या
कहलगांव-सुलतानगंज-नवगछिया : अमन नाम के विपरीत अपराध की दुनिया में उभरता एक ऐसा चेहरा जिसने हाल के दिनों में काफी सुर्खियां बटोरी थी. अपराध की सीख अमन को विरासत में मिली थी. नवगछिया के चर्चित विनोद यादव के करीबी लालू यादव की 2015 में हत्या कर अमन चर्चित हुआ था. उसके बाद वह पनाह लेने […]
पुंकेश ने अमन को बुलाया था: अमन का फुफेरा भाई पुकेश सिंह गुरुवार को दोपहर बाद सरसी से पूर्णिया आया था. उसने अमन को शुक्रवार को पूर्णिया आने को कहा था. शुक्रवार को जब अमन पूर्णिया के लिए बाइक से निकला तो लगातार वह पुंकेश से फोन पर संपर्क में रहा. इस बीच मीरगंज चौक पर मोबाइल से भी लंबी बातचीत हुई थी.
यहां तक कि माता चौक पर गोली लगने से पूर्व अमन ने पुंकेश को फोन कर कहा था कि वह पांच मिनट में गंतव्य तक पहुंच रहा है. तब पुंकेश शिवनगर में अपने मौसा पराकी सिंह के घर पर मौजूद था. चर्चा तो यह है कि 03 लाख में एके 47 की खरीद को अंतिम रूप देने के लिए ही पुंकेश एक दिन पहले पूर्णिया आया था और दूसरे दिन अमन को बुलाया था. बड़ा सवाल यह है कि क्या एके 47 के बहाने ही अमन के विरोधी झांसा देकर उसकी हत्या में सफल तो नहीं हुए.
पान मसाला के शौक ने ली जान
सरसी से पूर्णिया के शिवनगर आने के क्रम में अमन न्यू सिपाही टोला के माता चौक पर गुटखा खाने के लिए अपनी बाइक रोकी. उसे तनिक भी आभास नहीं था कि उसका कोई पीछा कर रहा है. जेब में रुपये नहीं थे तो उसने माता चौक पर एक व्यक्ति से 20 रुपये उधार लेकर गुटका खाया. इसके बाद ज्यों ही शिवनगर के लिए मरंगा रोड की ओर बढ़ा, काले रंग के वाहन पर सवार अपराधियों ने उसे घेर लिया और गोली मार कर ढेर कर दिया. वाहन पर बैठा शख्स गोली चलाने वालों से संतुष्ट हो गया कि
अमन की मौत हो चुकी है. फिर वे सभी भाग निकले. अमन गुटखा खाने के लिए नहीं रुकता तो शायद उसकी जान बच जाती. वहीं 20 रुपया देने वाला शख्स कौन था, इसका खुलासा नहीं हो पाया है. चर्चा तो यह भी है कि अमन की बाइक पर एक और युवक बैठा था, जो ऐन वक्त पर फरार हो गया.
एके 47 बेचने वालों की कर रहा था तलाश
2000 में लिबरेशन गिरोह में आपसी फूट से एक चर्चित गिरोह अलग हो गया. उस गिरोह के सरगना की हत्या के बाद लिबरेशन गैंग शक्तिशाली हो गया. पिताअरुण सिंह की हत्या और अमन व पुंकेश का अपराध की दुनिया में कदम रखना, विरोधियों को नागवार लगने लगा. दरअसल अमन ने खुलेआम घोषणा कर रखी थी कि पिता के हत्यारे को वह भी नहीं बख्शेगा. खासकर नवगछिया के छात्र नेता लालू यादव व बाहुबली राजद नेता विनोद यादव की हत्या से विरोधियों के कान खड़े हो गये.
विनोद यादव की हत्या में अमन के साथ पुंकेश भी शामिल था. इस हत्या से मिले रुपये से अमन एके 47 खरीदने की फिराक में था. वह ऐसे हथियार बेचने वालों की तलाश कर रहा था. इसकी भनक भी पुंकेश से विरोधियों को लगी. लालू और विनोद यादव की हत्या के बाद नवगछिया के व्यवसायियों में भय का माहौल बना. इसका पूरा फायदा अमन ने उठाया और लगातार व्यवसायियों से लेवी वसूल करता रहा.
पिता की भी हुई थी हत्या
अमन के पिता अरुण सिंह भागलपुर जिले के शाहकुंड थाना स्थित शहजादपुर निवासी थे. वे नवगछिया में रह कर बाइक मैकेनिक का काम करते थे. 1995 के बाद वे सरसी के एक चर्चित अपराधी के संपर्क में आये और अपराध की दुनिया से जुड़ गये. पवन ट्रेवल्स के मालिक पवन चौधरी, चंदवा बस स्टैंड किरानी बंबो सिंह, सुभाषनगर के डिंकू सिंह आदि की हत्या के बाद वह शूटर की श्रेणी में आ गया. 2000 में अरुण की हत्या धमदाहा के पुरंदाहा में कर दी गयी.
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