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चुनाव में काले धन का प्रयोग एक कड़वा सच

भागलपुर : आज लोकतंत्र धनतंत्र में तब्दील हो चुका है. राजनैतिक दलों में सुधार के बिना चुनाव प्रणाली में सुधार संभव नहीं है. राजनैतिक दलों में अलोकतांत्रिक व्यवस्था की वजह से पारदर्शिता नहीं रह गयी है. चुनाव में बाहुबल व धनबल एक जिताऊ फैक्टर बन गया है. इससे लोकसभा, राज्य सभा व तमाम राज्यों के […]

भागलपुर : आज लोकतंत्र धनतंत्र में तब्दील हो चुका है. राजनैतिक दलों में सुधार के बिना चुनाव प्रणाली में सुधार संभव नहीं है. राजनैतिक दलों में अलोकतांत्रिक व्यवस्था की वजह से पारदर्शिता नहीं रह गयी है. चुनाव में बाहुबल व धनबल एक जिताऊ फैक्टर बन गया है.

इससे लोकसभा, राज्य सभा व तमाम राज्यों के विधान सभा में दागियों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है. चुनाव में काले धन का प्रयोग एक कड़वा सच है, इसमें कमी लाये बिना राजनीति में सुचिता की कल्पना नहीं की जा सकती है.

उक्त बातें नेशनल इलेक्शन वाच के राज्य समन्वयक राजीव कुमार ने बुधवार को गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र में बिहार इलेक्शन वाच ( नेशनल इलेक्शन वाच), एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स, बुनकर तहरीक बिहार, लोक चेतना, भागलपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राजनीति में बाहुबल और धनबल : समस्या एवं समाधान विषयक सेमिनार में कही. सेमिनार की अध्यक्षता सामाजिक कार्यकर्ता मो ऐनूल होदा ने की. आम आदमी पार्टी के क्षेत्रीय संयोजक डा योगेंद्र ने कहा कि राजनीति से लोकतंत्र ही समाप्त होता जा रहा है, राजनीति को गांव-गांव, टोले-टोले, मोहल्ले व वार्डो तक ले जाने की जरूरत है.

परिधि के प्रवीर ने कहा संवैधानिक बदलाव के साथ सांस्कृतिक बदलाव की जरूरत है. अधिवक्ता शारदा सिन्हा ने कहा कि आज से आजीवन राजनीति के अपराधीकरण की मुखालफत करेंगे. लोक चेतना के संयोजक रामशरण ने कहा कि राजनीति में बाहुबल, धन बल के साथ-साथ जाति बल व सांप्रदायिकता का जहर भी घुल गया है. परिधि के निदेशक उदय ने कहा राजनीति को पढ़े-लिखे लोगों द्वारा ही खतरा पैदा किया गया है.

सेमिनार में सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश चंद्र गुप्ता, डा प्रेम प्रभाकर, अधिवक्ता निशित कुमार मिश्र, डा शाहिद अंसारी, कुमार संतोष, साहित्यकार राम किशोर, पारस कुंज, राम पूजन, गंगेश, हिमायू , मतीन अंसारी, गांधी शांति प्रतिष्ठान केंद्र के सचिव वासुदेव भाई, सह सचिव संजय कुमार आदि उपस्थित थे.

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