भागलपुर : कबीरपुर स्थित श्री चंपापुर दिगंबर जैन सिद्धक्षेत्र में दशलक्षण महापर्व का समापन गुरुवार को हो गया. महापर्व के आखिरी दिन भगवान वासुपूज्य निर्वाण महोत्सव सह उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पूरी आस्था व निष्ठा के साथ मनाया गया. मंदिर में भगवान वासुपूज्य की श्वेत पाषाण की खड़गासन प्रतिमा का श्रद्धालुओं ने 1008 कलश से महामस्तकाभिषेक किया. श्रद्धालुओं ने भगवान वासुपूज्य के समक्ष निर्वाण लाडू अर्पित की. केसरिया व पीतांबरी वस्त्रों में श्रद्धालुओं ने भगवान वासुपूज्य के मान स्तम्भ की परिक्रमा की. प्रवचन करते हुए पंडित जागेश शास्त्री ने कहा कि दशलक्षण महापर्व आत्मिक उत्थान का पर्व है.
जीवन के प्रत्येक क्षण अनमोल हैं. अपने एक-एक पल का सदुपयोग कर समाज और राष्ट्र की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए. कोतवाली चौक स्थित जैन मंदिर में पूज्य आर्यिका सरसमती माताजी ने कहा कि चरित्र का वह आचरण, जो आत्म कल्याण के लिए किया जाता है, ब्रह्मचर्य है. आत्म स्वरूप में लीन रहने वाला ब्रह्मचारी है. सिद्ध क्षेत्र मंत्री सुनील जैन ने दशलक्षण महापर्व की सफलता पर सभी श्रद्धालुओं को बधाई दी और कहा कि एक लंबे कालखंड के बाद जब श्रद्धालुओं को उपदेश देते भगवान वासुपूज्य के कर्म की पूर्णता में छह माह शेष रह गये तो उन्होंने योग धारण किया और चार अाघाती कर्म निर्जरा को प्राप्त हुए. इस अंग क्षेत्र की सिद्ध भूमि से भाद्र शुक्ल पक्ष चतुर्दशी को 94 मुनिवरों समेत निर्वाण को प्राप्त हुए.