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तोमर की बीएससी डिग्री व प्रोविजनल भी फर्जी

भागलपुर : दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की लॉ की डिग्री रद्द करने की तिलकामांझी भागलपुर विवि ने तैयारी पूरी कर ली है. तोमर का विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान में जिस डिग्री के आधार पर नामांकन हुआ था, वह फर्जी है. सूत्र बताते हैं कि तोमर की लॉ की डिग्री रद्द करने […]

भागलपुर : दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की लॉ की डिग्री रद्द करने की तिलकामांझी भागलपुर विवि ने तैयारी पूरी कर ली है. तोमर का विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान में जिस डिग्री के आधार पर नामांकन हुआ था, वह फर्जी है. सूत्र बताते हैं कि तोमर की लॉ की डिग्री रद्द करने के लिए तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय इस महत्वपूर्ण प्वाइंट को भी आधार बनायेगा और

तोमर की बीएससी…
राजभवन को अनुशंसा पत्र भेजेगा. हालांकि डिग्री रद्द करने की कई प्रक्रियाओं से विवि को गुजरना होगा. वह इसलिए कि डिग्री देने और रद्द करने का सीधे-सीधे अधिकार विश्वविद्यालय के पास नहीं होता है.
डिग्री रद्द करने के टीएमबीयू के पास दो अहम आधार
आधार 1. तोमर का विश्ववनाथ सिंह विधि संस्थान, मुंगेर में बीएससी डिग्री के आधार पर नामांकन हुआ था, जो अवध यूनिवर्सिटी फैजाबाद से जारी हुई थी. जब तोमर की लॉ डिग्री फर्जी होने का मामला दिल्ली हाइकोर्ट पहुंचा और इसकी जांच दिल्ली पुलिस ने शुरू की, तो टीएमबीयू ने एक कमेटी गठित कर खुद भी जांच की. दूसरी ओर विश्वविद्यालय ने अवध यूनिवर्सिटी से आरटीआइ के तहत तोमर की बीएससी डिग्री की सच्चाई की सूचना मांगी. अवध यूनिवर्सिटी ने टीएमबीयू को सूचना उपलब्ध करायी कि तोमर की बीएससी की डिग्री अवध यूनिवर्सिटी से जारी ही नहीं की गयी है.
आधार 2. तोमर का प्रोविजनल सर्टिफिकेट दिल्ली हाइकोर्ट द्वारा भागलपुर विश्वविद्यालय को सत्यापन के लिए भेजा गया था, उसका सीरियल नंबर 3687 है. साथ ही उस पर डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह का हस्ताक्षर रजिस्ट्रार/परीक्षा नियंत्रक के रूप में है. इसके इशू डेट 18.5.2001 का उल्लेख है. विश्वविद्यालय ने इसकी जांच करायी. जांच में 3687 सीरियल नंबर से संजय कुमार चौधरी को प्रोविजनल सर्टिफिकेट जारी होने का उल्लेख मिला. फिर विवि ने हाइकोर्ट को लिखा कि जितेंद्र सिंह तोमर 1999 के अगस्त में आयोजित सन 1999 ई एलएलबी की परीक्षा में द्वितीय वर्ग में उत्तीर्णता प्राप्त की है.
प्रभात फॉलोअप
तोमर प्रकरण
फर्जी डिग्रियों के आधार पर जीतेंद्र तोमर का हुआ था वीनएस विधि संस्थान में नामांकन और टीएमबीयू में पंजीयन
आरटीआइ से हुआ खुलासा, लॉ की डिग्री रद्द करने के लिए विवि ने तैयार की फाइल
ऐसे होती है डिग्री रद्द
डिग्री का मामला परीक्षा विभाग से जुड़ा होता है. लिहाजा इसे रद्द करने के लिए राजभवन द्वारा स्वीकृत परीक्षा बोर्ड में विश्वविद्यालय प्रस्ताव प्रस्तुत करता है. यहां से निर्णय होने के बाद प्रस्ताव सिंडिकेट में ले जाया जाता है. सिंडिकेट की अनुशंसा मिलने के बाद इसे राजभवन भेज दिया जाता है, जहां से अनुमति मिलने के बाद डिग्री रद्द कर दी जाती है. विवि द्वारा जारी की जानेवाली डिग्री भी कुलाधिपति की अनुमति के बाद ही दिया जाता है. इसके लिए राजभवन से डीम्ड डेट लेना होता है. फिर दीक्षांत समारोह में इसका वितरण होता है.

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