बाढ़ के बाद परेशानी. चापानल से निकलता है गंदा पानी, सप्लाई वाटर में दुर्गंध
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अब साफ पानी मिलना बड़ी चुनौती
बाढ़ के बाद परेशानी. चापानल से निकलता है गंदा पानी, सप्लाई वाटर में दुर्गंध चापानल से निकलता गंदा पाना व बाढ़ के पानी मं डूबा चापानल. भागलपुर : बाढ़ के कारण शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल मिलना मुश्किल हो गया है. सप्लाइ वाटर में कई लोगों ने दुर्गंध व अन्य गंदगी संबंधी शिकायत की. दूसरी […]
चापानल से निकलता गंदा पाना व बाढ़ के पानी मं डूबा चापानल.
भागलपुर : बाढ़ के कारण शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल मिलना मुश्किल हो गया है. सप्लाइ वाटर में कई लोगों ने दुर्गंध व अन्य गंदगी संबंधी शिकायत की. दूसरी तरफ कई जगह चापानल से बिलकुल गंदा पानी निकल रहा है. कई जगह तो चापानल पानी में डूब गया है. लोग गंदे पानी से होनेवाली बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. हालांकि कुछ लोग जार का पानी खरीद कर पी रहे हैं, लेकिन इनकी संख्या काफी कम है. दूसरी तरफ जार की पानी की कीमत भी बढ़ा दी गयी है.
चापाकल के पानी में बदबू
शहर के गंगा किनारे बसे मोहल्ले साहेबगंज, मोहनपुर, सराय, रिकाबगंज, कंपनीबाग, बूढ़ानाथ, सखीचंद घाट, कसबा गोलाघाट, किलाघाट, मानिक सरकार घाट, आदमपुर घाट, बैंक कॉलोनी, कोयलाघाट, कालीघाट, बरारी घाट आदि क्षेत्रों में चापाकल के पानी के साथ कीचड़ निकलता है. इस पानी से बदबू भी आती है. माेहनपुर के किशोर कुमार ने बताया कि क्षेत्र में हजारों की आबादी है. हर घर में बाढ़ का पानी घुस आया है.
लगातार पानी जमे रहने के कारण चापाकल का पानी गंदा निकलने लगा है. यही पानी उबाल कर पीने को विवश हैं. वहीं रिकाबगंज के अमित सिंह ने बताया कि हरेक वर्ष गंगा में जलस्तर बढ़ने और विश्वविद्यालय परिसर से निकले हथिया नाला में पानी बढ़ने के साथ ही पानी बदबूदार निकलने लगता है. इसके लिए अधिकतर लोग जार वाला पानी खरीदने को विवश हैं. टिल्हा कोठी में ठहरे बाढ़ पीड़ित सुरेंद्र महतो, शकुनी महतो आदि का कहना है कि यहां पर दो टैंकर पानी नगर निगम की ओर से मिलता है. 1700 लोगों की जरूरत दो टैंकर पानी से पूरी नहीं हो सकती है. इससे यहां पर लगे चापाकल से पानी लेना पड़ता है. चापाकल से गंदा पानी निकलता है. सभी लोग इससे पानी लेने को विवश हैं.
इसके अलावा शहर के सीमांत वाले कई क्षेत्रों में लोगों ने सप्लाइ वाटर से भी दुर्गंध आने की बात कही. उन्होंने कहा कि सप्लाइ वाटर को ही उबाल कर पीने की मजबूरी है.
बिक्री के साथ बढ़ी जारवाले पानी की कीमत
शहर में बाढ़ के कारण चापाकल व अन्य श्रोतों से दूषित पानी आने से जार पानी की बिक्री बढ़ गयी है. साथ ही इसकी कीमत भी बढ़ गयी है. शिवम नीर के संचालक राजेश रंजन ने बताया कि शहर में जार पानी के 75 कारोबारी हैं. उनका खुद पहले 150 जार रोजाना बिकता था, अब बढ़ कर 200 जार बिक रहा है. पहले ऑर्डर पर जार मिल जाता था. अब जार हरेक जगह पहुंचाना मुश्किल हो जाता है. इस कारण ग्राहक खुद प्लांट पर आकर ले जाते हैं.
शहर में कई ऐसे भी प्लांट वाले हैं, जो 350 से 400 जार रोजाना बेच लेते हैं. कारोबारी की मानें, तो मांग बढ़ने के साथ ही भाव बढ़ गये हैं. पहले जिस जार का दाम 25 रुपये था, वही अब 30 रुपये में बिक रहे हैं. शहर के कई बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में जारवाला पानी की आपूर्ति नहीं की जा रही है. क्योंकि वहां जाने का रास्ता सुगम नहीं है.
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