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मन, प्राण व आत्मा का पर्व का गुरु पूर्णिमा

भागलपुर : लाजपत पार्क में सोमवार को गुरु पूर्णिमा महोत्सव की शुरुआत हुई. इस अवसर पर जुटे हजारों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए परमहंस स्वामी आगमानंद जी महराज ने कहा कि यह गुरु पूर्णिमा व्यास पूर्णिमा है. मन प्राण आत्मा का पर्व गुरु पूर्णिमा है. जीव जब गर्भ में रहता है उसका गुरु परमात्मा स्वयं […]

भागलपुर : लाजपत पार्क में सोमवार को गुरु पूर्णिमा महोत्सव की शुरुआत हुई. इस अवसर पर जुटे हजारों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए परमहंस स्वामी आगमानंद जी महराज ने कहा कि यह गुरु पूर्णिमा व्यास पूर्णिमा है. मन प्राण आत्मा का पर्व गुरु पूर्णिमा है. जीव जब गर्भ में रहता है उसका गुरु परमात्मा स्वयं होते हैं. इसलिए संसार में सभी को गुरु प्राप्त है.
इससे पहले कार्यक्रम के उद्घाटन मुख्य रूप से तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रमाशंकर दुबे, विधान पार्षद प्रो डाॅक्टर संजीव कुमार सिंह, सीटीएस के प्राचार्य अभय कुमार लाल, जिला परिषद के नव निर्वाचित अध्यक्ष टुनटुन साह, प्रभात खबर भागलपुर के संपादक ब्रृजेन्द्र दुबे, उपमहापौर डा‍ॅ प्रीति शेखर, पूर्व विधायक कुमार शैलेंद्र, राजकुमार सिंह, पीजी हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष तपेश्वर नाथ, टीएनबी कॉलेज के प्रोफेसर ज्योतिन्द्र चौधरी ने एक साथ दीप जला कर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया.
कुलपित प्रो रमाशंकर दुबे ने अपने संबोधन में गुरु शब्द की विस्तृत व्याख्या की. उन्होंने कहा कि हजारों साल से गुरु शिष्य परंपरा भारत में चली आ रही है. उन्होंने कहा कि गुरु शिष्य के प्रति समभाव रखते हैं. गुरु शस्त्र व शास्त्र की शिक्षा देते हैं. गुरु बौद्धिक के साथ-साथ आध्यात्मिक ज्ञान भी देते हैं. संपूर्ण विकास की बात सोचते हैं.
कार्यक्रम को उपमहापौर डाॅ प्रीति शेखर ने कहा धर्म कर्म के साथ जुड़ा है. हिंदी विभाग के पूर्व विभागध्यक्ष तपेश्वर नाथ ने कहा कि रामचरितमानस जैसे महान ग्रंथ की शुरुआत महाकवि तुलसीदास ने गुरु वंदना से की. ज्योतिंद्र चौधरी ने कहा कि समर्पण के बाद ही गुरु मिलते हैं. सीटीएस के प्राचार्य एसपी अभय लाल ने कहा कि गुरु भगवान के प्रतिनिधि होते हैं. पीजी हिंदी विभाग के रिटायर शिक्षक नृपेंद्र वर्मा ने कहा गुरु लोक कल्याण के लिए होते हैं. उनमें ऐषणा नहीं होती है. प्रभात खबर के संपादक बृजेंद्र दुबे ने गुरु कृपा के बारे में बताया. जिप अध्यक्ष टुनटुन साह ने अपना अनुभव बताया. बिहपुर के पूर्व विधायक शैलेंद्र इंजीनियर ने कहा कि स्वामी आगमानंद जी ख्याति देश-विदेश तक है.
कार्यक्रम की अध्यक्षता विधान पार्षद प्रो डाॅ संजीव कुमार सिंह ने की. कार्यक्रम में उद्घोषक की भूमिका में मनोज मिश्र, रोशन व अन्य थे. भक्ति संगीत का कार्यक्रम माधवानंद ठाकुर, बलबीर सिंह, पवन दूबे, राजू कुमार, पंकज सुमन, मंजय, रविश, कपीश, राजाराम, इल्लिलाह खाँ, मीनू, सुष्मिता, मुस्कान, मोना, जुगनू, मोहित नाहर ने प्रस्तुत किया.
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भक्त के आगे भगवान भी झुकते हैं
स्वा मी आगमानंद जी कभी राजनीति या अफसरशाही पर कोई टिप्पणी नहीं करते. लेकिन सोमवार को अपने संबोधन में बेहद सहज ढंग से बहुत बड़ी बात कह गये. बोले- मैंने सोचा था कि सातवां गुरु पूर्णिमा महोत्सव चंपा नगरी (भागलपुर) में हो. इसके लिए मुझको जिला स्कूल सबसे उपयुक्त लगा क्योंकि बारिश के मौसम में वहां दूर-दूर से आये भक्तगणों को ठहरने का भी इंतजाम हो जायेगा. इसके लिए शिव शक्ति योग पीठ के कार्यकर्ताओं ने भी कोशिश की, लेकिन जिले के शिक्षा पदाधिकारी और जिलाधिकारी ने इस पर संज्ञान ही नहीं लिया. इसके बाद लाजपत पार्क में यह आयोजन करना पड़ रहा है. स्वामी जी ने हल्के अंदाज में चुटकी लेते हुए कहा, अफसरों पर व्यवस्था की जिम्मेदारी होती है, लेकिन उन्हें इतना तो जरूर समझना चाहिए कि किस तरह का कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है.
गुरु पूर्णिमा का महत्व अगर जिले की अफसरशाही समझती, तो यह कार्यक्रम जिला स्कूल में हो रहा होता. यही नहीं लाजपत पार्क के बगल में डॉक्टर साहब लोगों की एक इमारत है, सोचा कि एक दिन के लिए कुछ कमरे दे देंगे, तो बारिश की स्थिति में महिलाओं-बच्चों को शरण मिल जायेगी. लेकिन गुरु दीक्षा और मानवता का संदेश देने वाले कार्यक्रम के लिए डॉक्टर साहब लोग भी नहीं पसीजे. स्वामी जी हंसते जा रहे थे लेकिन उनकी पीड़ा भी झलक रही थी.
उन्होंने कहा, कोई बात नहीं, उन्होंने आप को सिर छिपाने की जगह नहीं दी, तो क्या हुआ. शहर में बहुत सी पुण्य आत्माओं ने अपने घरों के दरवाजे खोल दिये. सबसे बड़ी बात आप लोगों का हठ देख कर इंद्र भी पीछे हट गये. और बारिश रुक गयी. आप की जीत हुई. आप ने हमें जोश दिया है कि गुरु दीक्षा की परंपरा के निर्वहन के लिए भविष्य में भी यह आयोजन अनवरत होता रहे. आप सब को देख कर लग रहा है कि आप का यह अभियान थमेगा भी नहीं.

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