शहर के अलग-अलग इलाके में कुल मिला 12 घंटे तक कटी बिजली
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लोकल फॉल्ट से आती जाती रही बिजली
शहर के अलग-अलग इलाके में कुल मिला 12 घंटे तक कटी बिजली भागलपुर : कल फाॅल्ट की वजह से सोमवार को शहर की बिजली आपूर्ति बदतर रही. शहरवासियों को बिजली के साथ-साथ जल संकट से जूझना पड़ा. शहर के अलग-अलग इलाके में कुल मिला 12 घंटे तक बिजली की कटौती हुई. बिजली कटौती की शुरूआत […]
भागलपुर : कल फाॅल्ट की वजह से सोमवार को शहर की बिजली आपूर्ति बदतर रही. शहरवासियों को बिजली के साथ-साथ जल संकट से जूझना पड़ा. शहर के अलग-अलग इलाके में कुल मिला 12 घंटे तक बिजली की कटौती हुई. बिजली कटौती की शुरूआत सुबह से हुई. सबौर ग्रिड से आपूर्ति होने वाली 33 केवीए लाइन भागलपुर-वन व टू सहित सिविल सर्जन, बरारी विद्युत उपकेंद्र की बिजली ने दर्जनों बार ट्रिप किया. हर ट्रिपिंग के बाद आपूर्ति बहाल होने में पांच से 10 मिनट का समय लगा.
उक्त विद्युत उपकेंद्र की वजह से एक ही लाइन पर स्थापित नाथनगर, जगदीशपुर, मोजाहिदपुर, सेंट्रल जेल, मायागंज व टीटीसी विद्युत उपकेंद्र की बिजली आपूर्ति प्रभावित रही. इसके अलावा ओवर लोड की वजह से घंटों बिजली कटी रही. खास तौर पर शाम पांच बजे के बाद से लेकर रात 12 बजे तक में पीक आवर बता कर अलीगंज विद्युत उपकेंद्र और सिविल सर्जन विद्युत उपकेंद्र के फीडरों की बिजली कटौती की गयी. फीडर को रोटेशन पर आपूर्ति करने से हर डेढ़ घंटे पर आधा घंटे की बिजली कटौती गयी. इसके अलावा शट डाउन बिजली कटौती का कारण बना रहा. फ्रेंचाइजी कंपनी के इंजीनियरों द्वारा फ्यूज बनाने और तार जोड़ने के कारण कई फीडरों को शट डाउन में रखा गया. इस वजह से घंटों बिजली कटौती हुई.
लो वोल्टेज की वजह से बिजली रहते लोगों को चैन नहीं : बिजली कटौती से लोग परेशान हैं ही, अब लो वोल्टज परेशानी का कारण बना हुआ है. सोमवार को भी आधा से अधिक शहर को जब-जब बिजली आयी, तो लो वोल्टेज से लोगों को जूझना पड़ा.
41782 महिलाओं की डिलेवरी, जांच 12.17 प्रतिशत की, खतरे में मां की जान
भागलपुर : तान की चाह में भागलपुर की औसतन 42 हजार महिलाएं प्रतिवर्ष मां बन रही हैं. इनमें से महज 12.17 प्रतिशत मांओं की पैथोलॉजी जांच हो पा रही है.
वर्ष 2015-16 के दौरान जिनकी पैथोलॉजी जांच की गयी उनमें से करीब 1.2 प्रतिशत मांओं का हिमोग्लोबिन सात प्रतिशत से कम पाया गया. जबकि बिहार में प्रति एक लाख गर्भवती महिलाओं में 219 की मौत डिलेवरी के दौरान या 48 घंटे के अंदर हो जाती है. आंकड़ों की बात करें तो वर्ष करें तो साल 2015-16 (एक अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2016 तक) में जिले की 41782 महिलाएं गर्भवती हुई.
इनमें से महज 17782 महिलाओं को ही आइएफए(आयरन फोलिक एसिड) की गोली मिली. जबकि इस दौरान इन गर्भवती महिलाओं में से 5046 की हिमाेग्लोबिन जांच की गयी. इनमें से 1.2 प्रतिशत महिलाओं का हिमोग्लोबिन सात मिग्रा/डेसी लीटर से कम और 1.4 प्रतिशत महिलाआें का हिमोग्लोबिन 1.4 मिग्रा/डेसी लीटर था.
गर्भवती महिलाओं की मिल रही आधी-अधूरी जांच की सुविधा : गर्भवती महिलाओं के सरकारी अस्पताल पर पहुंचने पर उनका शुगर, हिमोग्लोबिन, रूटीन यूरिन(आर/इ यूरिन), एचआइवी, वीडीआरएल, बल्ड ग्रुप जांचना चाहिये. लेकिन इन महिलाओं की आधी-अधूरी जांच ही हो रही है. जांच के आंकड़े ये साबित करते हैं कि इन महिलाओं को स्वास्थ्य केंद्रों तक लाया ही नहीं जा रहा है. अगर ये नहीं पहुंच रही हैं तो इनके परिजनों की भूमिका अहम होने के साथ-साथ क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता, एएनएम की लापरवाही भी जिम्मेदार हैं.
41782 गर्भवती महिलाओं के सापेक्ष ये हैं पैथोलाॅजी जांच के आंकड़े
जांच का नाम संख्या
आरबीएस 5086
हिमोग्लोबिन 5046
रूटीन यूरिन(आर/इ यूरिन) 692
एचआइवी 1764
वीडीआरएल 116
(उक्त आंकड़े संजीवनी डाॅटा से लिया गया है. और ये जांच सब डिविजनल हॉस्पिटल कहलगांव, रेफरल अस्पताल सुलतानगंज, पीरपैंती, नाथनगर व पीएचसी शाहकुंड, रंगराचौक, खरीक, जगदीशपुर, गोराडीह व सदर अस्पताल का है.)
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