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ईंट के सहारे टिका है बेड

परेशानी. हाल-ए-जेएलएनएमसीएच का हड्डी रोग विभाग टूटे हड्डियों को जोड़ने व दर्द से बेजार मरीजों को राहत देने वाले जवाहर लाल नेहरू मेिडकल कॉलेज अस्पताल (मायागंज हॉस्पिटल) हड्डी रोग विभाग के बेड का सहारा ईंट ही बने हुए हैं. भागलपुर : मायागंज अस्पताल में बेड पर सोने वाले मरीजों की सुविधा के लिए बेडों के […]

परेशानी. हाल-ए-जेएलएनएमसीएच का हड्डी रोग विभाग

टूटे हड्डियों को जोड़ने व दर्द से बेजार मरीजों को राहत देने वाले जवाहर लाल नेहरू मेिडकल कॉलेज अस्पताल (मायागंज हॉस्पिटल) हड्डी रोग विभाग के बेड का सहारा ईंट ही बने हुए हैं.
भागलपुर : मायागंज अस्पताल में बेड पर सोने वाले मरीजों की सुविधा के लिए बेडों के नीचे ईंट लगाये गये हैं, ताकि मरीज के दुखते बदन में और दर्द न हो. एेसा नहीं है कि इन वार्डों में लगे बेड टूटे हैं. दरअसल बात यह है कि इन बेड को फोल्ड करने पर आधा बेड उस ऊंचाई तक नहीं पहुंच पाता है, जहां तक इसे पहुंचना चाहिये था. इसलिए बेड के एक हिस्से वाले बेड के नीचे ईंट रख दी गयी है.
वार्ड की खिड़कियां टूटी हैं, जिससे होकर गरम हवा और धूल वार्ड में आते हैं. दिन तो किसी तरह कट जाता है, लेकिन इसी टूटी खिड़कियाें के रास्ते मच्छर अंदर आते हैं और मरीजों के लिए शामत बन जाते हैं. सबसे ज्यादा परेशान टूटी खिड़कियों के पास भरती मरीजों को होती है. मरीज के परिजन टूटी खिड़कियाें पर कपड़े लगा कर ढंकने का असफल प्रयास किये हैं.
शौचालय बीमार, बाथरूम में फिसलन-पानी: विभाग के शौचालय की हालत इतनी बदतर है कि यहां पर शौचालय जाने वाले को संक्रमण हो जाये. शौचालय को एकबारगी देखने पर ऐसा लगता है कि जैसे कि इसकी सफाई ही न की जाती हो. यहां तक बाथरूम के फर्श पर हर वक्त पानी एवं गंदगी पसरी रहती है, जिसे होकर आने-जाने वाले मरीजों व तीमारदारों के गिरने की पूरी आशंका रहती है.
खिड़कियां टूटी, आती है गरम हवा
बर्न वार्ड शुरू, पुराने की रिपेयरिंग प्रारंभ
इएनटी विभाग में गुरुवार से 10 बेड का बर्न वार्ड शुरू हो गया. अस्पताल के अधीक्षक डॉ आरसी मंडल ने नये वार्ड की व्यवस्था का जायजा लिया और पुराने बर्न वार्ड की रिपेयरिंग शुरू करवाया. वार्ड में पांच नर्स की शिफ्टवार तैनाती कर दी गयी. गुरुवार को बर्न वार्ड में पांच मरीज भरती थे.
भागलपुर : सदर अस्पताल में अपना चेकअप व इलाज के लिए आने वाली गर्भवती महिलाआें की जान खतरे में है. बीते एक सप्ताह से यहां कैल्शियम व आयरन गोलियां नहीं है. इन गोलियों का न रहना इसलिए भी खतरनाक है जब जिले की 1.2 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनिमिया का शिकार है. अस्पताल सूत्रों के अनुसार सदर अस्पताल में जरूरी 33 दवाआें में करीब 29 प्रकार की दवाएं मौजूद है. इसमें से आयरन-कैल्शियम नहीं है.
बीते एक सप्ताह से यहां चेकअप के लिए आने वाली गर्भवती महिलाएं इसके बिना वापस जा रही है. वर्ष 2015-16 में कुल गर्भवती महिलाओं में से वे महिलाएं जिनका सदर अस्पताल के पैथोलॉजी में चेकअप कराया था. उनमें से 194 महिलाएं ऐसी थी जिनका हीमोग्लोबिन सात से नीचे था.
यहां पर इलाज कराने वाली खंजरपुर की सावित्री देवी ने बताया कि वह गुरुवार को चेकअप के लिए आयी थी, लेकिन उन्हें जरूरी 180 आयरन फोलिक एसिड नहीं मिला. डॉक्टर ने परची में कैल्शियम की गोलियां लिखी थी, जो दवा के काउंटर से नहीं मिली. सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार ने कहा कि अस्पताल में जल्द ही आयरन-कैल्शियम की गोलियों की उपलब्धता हो जायेगी.

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