भागलपुर : बर्न यूनिट में जगह नहीं मिली तो गैलरी में सुलाकर इलाज कर रहे मरीजों का नसीब इस कदर खराब था कि उन्हें तपते बदन काे राहत देने के लिए एक अदद पंखा तक नहीं था. मजबूरी में पीड़ितों के अपने हाथ के पंखे से उनके शरीर में हो रहे जलन को ठंडा करने का असफल प्रयास कर रहे थे. इमरजेंसी के पीडियाट्रिक्स गैलरी से लेकर ब्लड बैंक की गैलरी तक जमीन पर बिछाये गये बेड पर लेटे पीड़ित पानी-पानी चिल्ला रहे थे.
मारे जलन से उनका हाल बुरा था. आंखे उनींदी हो रही थी कि लेकिन शरीर में हो रही जलन उन्हें सोने नहीं दे रहा था. यहां पर भरती शर्मिष्ठा देवी को उनका बेटा गुंजन राय प्लास्टिक के पंखे से कभी उनके पांव तो कभी सिर की ओर लगातार पंखा किये जा रहा था. मां काे तड़पता देख गुंजन इस दौरान अपनी मां के पैर पर इस उम्मीद में मुंह से फूंके जा रहा था
कि शायद उसकी मां की जलन शांत हो सके. इसी के बगल में जली अवस्था में तड़प रहे लोकेश को उसका पिता टुनटुन राय लगातार सिर से लेकर पांव तक पंखा झेल रहा था. इस दौरान लोकेश की तड़प देख टुनटुन की आंखें लगातार नम हो रही थी. इसी के बगल में बेबी देवी अपने 14 साल के भतीजे राहुल को लगातार पंखा करते जा रही थी. इस समय उनका रोना देख वहां मौजूद लोगों को रुला दे रहा था.