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बदहाल. अग्निशमन दल आग से बचाते हैं दूसरों के घरों को, अपना आवास जर्जर

हम जहां रहते, वहां पूरी छत भी नहीं सड़के चाहे पक्की हों या कच्ची. जहां गाड़ी नहीं पहुंच पाती तो कंधे पर पाइप लेकर आग को बुझाने में ये लग जाते हैं. अफसोस कि दूसरों के घरों में लगी आग पर पानी डालने वाले इन दिलेर सिपाहियों को उस बैरक में रहना पड़ता है जिसके […]

हम जहां रहते, वहां पूरी छत भी नहीं

सड़के चाहे पक्की हों या कच्ची. जहां गाड़ी नहीं पहुंच पाती तो कंधे पर पाइप लेकर आग को बुझाने में ये लग जाते हैं. अफसोस कि दूसरों के घरों में लगी आग पर पानी डालने वाले इन दिलेर सिपाहियों को उस बैरक में रहना पड़ता है जिसके ऊपर छत का पता नहीं.
भागलपुर : हैलो, जल्दी आ जाइए आग लगी है ! कई घर जल रहे हैं. खेत में लगी फसल में आग लग गयी है. बस इतना सुनते ही अग्निशमन सेवा की गाड़ी पर बैठे और चल दिये. सुबह, दोपहर की तपती धूप या देर रात. कभी भी कहीं भी. सूचना मिलते ही दूसरों के घरों में लगी आग को बुझाने पहुंच जाते हैं अग्निशमन सेवा के जांबाज सिपाही. ड्यूटी 24 घंटे की. जाना पड़ सकता है कहीं भी. सड़के चाहे पक्की हों या कच्ची.
जहां गाड़ी नहीं पहुंच पाती तो कंधे पर पाइप लेकर आग को बुझाने में ये लग जाते हैं. अफसोस कि दूसरों के घरों में लगी आग पर पानी डालने वाले इन दिलेर सिपाहियों को उस बैरक में रहना पड़ता है जिसके ऊपर छत का पता नहीं. बिना दरवाजे वाले शौचालय की स्थिति ऐसी कि कोई उसकी तरफ देखना भी न चाहे. दूसरों की सेवा में लगे इन सिपाहियों की बदतर स्थिति को सुधारने पर किसी का ध्यान नहीं.
बैरक में पंखे भी नहीं, दिन में बैठना मुश्किल. बैरक में रहने वाले सिपाहियों ने कहा कि चदरे का छत होने से वह इतना गरम हो जाता है कि दिन में अंदर बैठना मुश्किल हो जाता है. रात में भी उसमें आराम नहीं मिलता क्योंकि उसमें पंखे की भी व्यवस्था नहीं. किसी कमरे में दरवाजा नहीं, कहीं है भी तो उसके होने का कोई फायदा नहीं. खाना वहीं बनाना और रहना भी वहीं. दिन में तो वे बाहर बैठ कर काम चला लेते हैं पर रात में बहुत दिक्कत होती है.
इस साल 50 जगहों पर आग बुझा चुके हैं. जिला अग्निशमन सेवा में तैनात हवलदार और सिपाहियों ने इस साल अभी तक भागलपुर अनुमंडल में 50 जगहों पर आग बुझा चुके हैं. विभिन्न जगहों पर घरों में लगी आग के अलावा खेत-खलिहानों में लगने वाली आग पर भी यह काबू पा चुके हैं. कई बार तो इन्हें अपने क्षेत्र से बाहर जाकर काम करना पड़ता है.
मैन पावर की भी है कमी. जिला अग्निशमन सेवा दल में मैन पावर की काफी कमी है. यहां आठ गाड़ियां हैं, लेकिन ड्राइवर हैं सिर्फ तीन. हवलदार के चार पद स्वीकृत हैं, जबकि कार्यरत हवलदार की संख्या सिर्फ एक है. सिपाही के स्वीकृत पद 18 हैं जबकि कार्यरत हैं 12. चार होमगार्ड की तैनाती होने से कुछ राहत है.
4500 लीटर पानी लेकर गाड़ी जाती है. अग्निशमन सेवा दल के पास कुल आठ गाड़ियां हैं. इनमें चार वाटर टेंडर ऐसे हैं जिनमें 45-45 सौ लीटर पानी ढोने की क्षमता है. एक बड़ा वाटर टैंकर है जिसकी क्षमता नौ हजार लीटर पानी ढाेने की है. रेस्क्यू टेंडर, फोन टेंडर और तकनीक टेंडर आदि गाड़ियां इस दल के पास हैं.
सिम कार्ड चालू नहीं होने की भी आती है सूचना. अग्निशमन सेवा दल के पास सिर्फ आग लगने की सूचना ही नहीं आती. इनके पास सिम चालू नहीं होने और पानी की सप्लाई ठीक से नहीं होने की भी सूचना आती है. सेवा दल के सदस्यों का कहना है कि रोज तीन से चार फर्जी कॉल आता है. कई बार तो वेरिफाई करने पर सच्चाई पता चल जाता है पर कुछ मौके ऐसे भी आये जब गाड़ी लेकर बताये गये स्थान पर जाने के बाद वहां से लौटना पड़ा.

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