भागलपुर : जिले में पांच दिनों तक विभिन्न समुदाय व समाज का पर्व व उत्सव मनाया जायेगा. सभी के उत्सव का अंदाज अलग-अलग होगा. पकवान भी अलग-अलग होंगे. इस प्रकार पांच दिनों तक उत्सवी माहौल में लोग डूब जायेंगे. मंगलवार को चैती छठ पर भगवान सूर्य को पहला अर्घ्य दिया गया, जबकि बुधवार को प्रात: उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा.
13 अप्रैल को सिख समाज की ओर से नववर्ष के रूप में बैशाखी मनायी जायेगी. 14 अप्रैल को इस वर्ष बांग्ला नववर्ष, लोकपर्व विशुआ एवं संविधान निर्माता के रूप में पहचान रखने वाले डॉ भीम राव आंबेडकर की जयंती जैसे तीन आयोजन होंगे. संयोगवश 15 अप्रैल को रामनवमी पर हर जगह भक्तिमय माहौल रहेगा एवं 16 अप्रैल को विजयादशमी पूजन के साथ चैत्र नवरात्र का समापन हो जायेगा.
साधना दिवस के रूप में बैशाखी उत्सव: बुधवार को गुरुद्वारा में बैशाखी उत्सव मनाया जायेगा. सिख समुदाय में बैशाखी उत्सव का विशेष महत्व है. यहां पर कम संख्या में सिख समुदाय होने के कारण गुरुद्वारा में केवल बैशाखी उत्सव मिल-जुल कर मनाते हैं. सरदार हर्षप्रीत सिंह बताते हैं कि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली आदि स्थानों पर सिख बहुल क्षेत्र में बैशाखी मेला लगता है. इस दौरान लड़के तलवारबाजी, घुड़सवारी एवं भांगड़ा नृत्य करते हैं तो लड़कियां गिद्दा नृत्य करती हैं.
अंग क्षेत्र का लोक पर्व है विशुआ
अंग क्षेत्र का लोक पर्व विशुआ की तैयारी बाजार में शुरू हो चुकी है. 14 अप्रैल को होने वाले विशुआ पर्व को लेकर बाजार में चना व जौ का सत्तू, गुड़ आदि का स्टॉक कर लिया गया है. हालांकि कुछ स्थानों पर बुधवार को भी विशुआ पर्व मनाया जायेगा. संस्कृतिकर्मी विजय झा ने बताया कि विशुआ पर्व में सत्तू गुड़ का भोजन ग्रहण करेंगे और अपने दिवंगत पूर्वज के नाम पर मिट्टी के घड़ा में जल भर कर, टिकोला व हाथ का पंखा आदि गरीबों को दान करते हैं.
विशुआ के रात्रि में भोजन बना कर दूसरे दिन बासी भोजन खाने की मान्यता है. साथ ही गौ पालक का रिवाज है कि विशुआ के दिन वे दूध नहीं बेचते हैं और गाय-भैस का संरक्षक देवता बाबा विशु राउत को सभी दूध चढ़ा देते हैं. रंगकर्मी अजय अटल ने बताया कि सबौर में भिट्टी चंदेरी में बाबा विशु राउत का मंदिर है. जहां पर गुरुवार को गौ पालक की भीड़ लगेगी. इसी दिन प्रात: लोग गंगा स्नान भी करते हैं. इसी प्रकार लोग सत्तू, गुड़ व आम(टिकोला) भगवान को भी चढ़ाते हैं.
उसी दिन रात में चिकनपूड़ी, दालपूड़ी बनाया जाता है. जिसे दूसरे दिन बासी भोजन खाया जाता है. एक तरह से इसे गर्मियों की शुरुआत भी माना जाता है. गांवों में भरथरी(भतृर्हरि) का गुण गाया जायेगा. इसमें भगवान विष्णु की पूजा की जायेगी.
सजती है रंगोली, गले-गले मिलते हैं समाज के लोग
शहर के अलग-अलग हिस्सों में बसे बंगाली समाज के लोग 14 अप्रैल को बांग्ला नववर्ष मनायेंगे. उस दिन लोग प्रात: से ही जग कर अपने-अपने घर की सफाई में जुट जाते हैं. इसके बाद महिलाओं द्वारा घर में रंगोली सजायी जाती है. पूरे बंगाली बहुल क्षेत्र में उत्सवी माहौल होता है. सामाजिक कार्यकर्ता सुब्रतो मोइत्रा एवं देवाशीष बनर्जी ने बताया चारों ओर धूप और धुमना जला कर माहौल को पवित्र बनाया जाता है. इससे लोगों में धार्मिक माहौल भी तैयार होता है.
महिला-पुरुष नये-नये परिधान में सज-धज कर अपने-अपने इष्ट देवता की पूजा के लिए समीप के मंदिर जाते हैं. संस्कृतिकर्मी निरूपम कांति पाल बताते हैं पुराने कलह को भुला कर अपनापन जताते हैं और शुभ नववर्षों बोलकर बधाई देते हैं. बड़े आशीर्वाद देते हैं तो छोटे प्रणाम करते हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता तरुण घोष बताते हैं सभी के घरों में तरह-तरह के व्यंजन, जिसमें मछली के अलग-अलग वेराइटी माछेर पातुड़ी, माछेर कलिया, मुड़ी घोंतो आदि एवं मिठाई व शाकाहारी भोजन तैयार किये जाते हैं. इसके अलावा कोई मिठाई का वितरण किया जाता है. इसी प्रकार कोई अबीर-गुलाल लगा कर प्रेम का संदेश भी देते हैं.
रामनवमी पर बनेगा भक्तिमय माहौल: 15 अप्रैल को पूरे जिले में रामनवमी पर भक्तिमय माहौल रहेगा. कहीं रामधुन संकीर्तन तो कहीं अष्टयाम, तो कहीं भजन संध्या का आयोजन होगा. पूरे क्षेत्र में बजरंगी ध्वजा लहरायेगा. इसके बाद दूसरे दिन चैत्र नवरात्र का समापन विजयादशमी पूजन के बाद 16 अप्रैल को हो जायेगा.