भागलपुर: जिले में शिक्षा का अधिकार कानून निजी स्कूलों पर पूरी तरह लागू करने में शिक्षा विभाग तीन साल के बाद भी फेल है. शिक्षा विभाग के कार्यालय में व्यस्तता की दुहाई देनेवाले कर्मियों की मेहनत का असर शिक्षा का अधिकार कानून को लागू करवाने पर नहीं दिखता. लिहाजा सभी निजी स्कूलों में 25 फीसदी सीटों पर अभिवंचित वर्ग के बच्चों का मुफ्त नामांकन नहीं हो पा रहा है.
यही नहीं, जो स्कूल बिना किसी दबाव के बच्चों का नामांकन ले भी रहा है, उन विद्यालयों तक ऐसे बच्चों को पढ़ाने के लिए दी जानेवाली सरकारी राशि समय से नहीं पहुंच पा रही है.बच्चों को मुफ्त में पढ़ाने का निर्देश का अनुपालन करना तो दूर, राशि लेने में होनेवाले झमेले ने स्कूल प्रबंधन को भी परेशान कर दिया है. इसके कारण नवयुग विद्यालय ने राशि लेने तक से मनाही कर दी. शिक्षा का अधिकार के तहत बच्चों का मुफ्त नामांकन के लिए सभी स्कूलों पर शिक्षा विभाग के अधिकारी इसलिए भी दबाव नहीं दे पाते कि विभाग ने सात स्कूलों को छोड़ कर किसी भी स्कूल को प्रस्वीकृति नहीं दी है. यह स्थिति तब है, जबकि विभाग के पास प्रस्वीकृति के लिए सैकड़ों आवेदन लंबित पड़े हुए हैं.
नियमानुसार जिन स्कूलों में 25 फीसदी सीट पर मुफ्त नामांकन लिया जाता है, उन बच्चों को पढ़ाने, किताब व ड्रेस उपलब्ध कराने के लिए सरकार प्रत्येक बच्चे पर सालाना के हिसाब से तकरीबन 3300 रुपये स्कूल प्रबंधन को देती है. इसे लेकर विभाग ने निर्देश जारी किया कि राशि लेने के लिए स्कूल को अलग से खाता खोलना होगा. राशि के खर्च का पूरा हिसाब विभाग को देना होगा. जिले में कुछ स्कूल हैं, जहां पिछले तीन सालों से मुफ्त में नामांकन हो रहा है. बच्चों की पढ़ाई, ड्रेस व किताब पर आनेवाले खर्च का वहन भी स्कूल करता आ रहा है. बावजूद इसके राशि केवल एक बार ही कुछ स्कूलों को उपलब्ध हो पाया.