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महंगी दवाओं के जाल में फंसी जान

भागलपुर : महंगी दवाओं के जाल में फंस कर हर साल करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत हर्ट अटैक से रही है. स्वास्थ्य विभाग व केंद्र सरकार दिल के दाैरे के लिए जरूरी सिर्फ दो दवाओं को अतिआवश्यक दवाओं की सूची में डाल दे, तो हर साल करीब डेढ़ लाख लोगों को मरने से बचाया […]

भागलपुर : महंगी दवाओं के जाल में फंस कर हर साल करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत हर्ट अटैक से रही है. स्वास्थ्य विभाग व केंद्र सरकार दिल के दाैरे के लिए जरूरी सिर्फ दो दवाओं को अतिआवश्यक दवाओं की सूची में डाल दे, तो हर साल करीब डेढ़ लाख लोगों को मरने से बचाया जा सकता है. सरकार इन दवाओं को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर नि:शुल्क उपलब्ध कराये, जिससे गरीब आदमी की जान भी डाक्टर बचा सकें.

उक्त बातें सीएसआइ(काॅर्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया), आइसीपी (इंडियन कॉलेज ऑफ फिजिशियंस) और एपी (एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस) भागलपुर चैप्टर के तत्वावधान में जेएलएनएमसीएच के सभागार में आयोजित कार्डिकॉन में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ विनोद धारेवा ने थ्रंबोलाइटिक एजेंट फॉर आम आदमी विषय पर कहीं. डॉ धारेवा ने कहा कि आम आदमी के बारे में बात करें तो एक औसत परिवार में करीब छह आदमी होते हैं,
जिनमें से दो ही कमाते हैं. एक आदमी की औसत कमाई 75 हजार होती है. अगर परिवार के एक आदमी को हृदय रोग होता है, तो उस परिवार की औसत कमाई का 50 प्रतिशत धन इलाज पर खर्च हो जाता है. उन्होंने कहा कि हृदय फेल्योर होने की दशा में मरीज का इलाज थ्रोंबोलाइसिस से किया जाता है.
इसके जरिये मरीज को स्ट्रेप्टोकाइनेज दवा की जाती है, जिसकी बाजार में कीमत करीब दो से तीन हजार रुपये है. यह कम कारगार है. दूसरी दवा टेनक्टोप्लेज दी जाती है, जिसकी बाजार में कीमत 25 से 30 हजार रुपये है. अगर सरकार इन दवाओं को अतिआवश्यक दवाओं की सूची में डाल दें, तो स्ट्रेप्टोकाइनेेज की कीमत 500 रुपये और टेनक्टोप्लेज की कीमत पांच हजार रुपये हो जाएगी. जो कि आम आदमी की रेंज में आ जायेगा.
क्या है थ्रोंबोलाइसिस : हृदय फेल्योर होने के बाद दवाओं से हृदय की बंद नसों को खोलने की प्रक्रिया काे थ्रोंबोलाइसिस कहते हैं. अगर सरकार स्ट्रेप्टोकाइनेज और टेनक्टोप्लेज को नियंत्रण दवाओं की सूची में डाल दें, तो इसकी कीमत करीब चार से पांच गुनी सस्ती हो जायेगी.
क्या है हृदय रोग के लक्षण : डॉ विनोद धारेवा ने कहा कि अगर किसी के सीने में दर्द, पसीना आना, दम फूलना, धड़कनों का बढ़ना जैसे लक्षण दिखे, तो उसे तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिये.
इनकी रही सहभागिता : साइंसटिफि सेशन की अध्यक्षता डॉ शांतनु घोष ने की, जबकि आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ बिनय कुमार, सचिव डॉ हेमशंकर शर्मा, आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ डीपी सिंह की सक्रिय भूमिका रही. मौके पर जेएलएनएमसीएच के अधीक्षक डॉ आरसी मंडल, उपाधीक्षक डॉ शोभा रेवन, प्रो (डॉ) अशोक कुमार भगत, डॉ अंजुम परवेज, डॉ केडी मंडल, डॉ शिल्पी, डॉ अरशद, हास्पिटल मैनेजर चंद्रकांता आदि मौजूद थी. कार्यक्रम का संचालन डॉ मनीष कुमार व डॉ आनंद सिन्हा ने किया.
गरीब आदमी की जान भी डॉक्टर बचा सकें
पोस्टर प्रदर्शनी में डॉ श्रुति सोनल को प्रथम स्थान
पीजी की पढ़ाई कर रहे छात्र या चिकित्सकों की प्रदर्शनी लगायी गयी. इस प्रदर्शनी में कटिहार मेडिकल काॅलेज की डॉ श्रुति सोनल को प्रथम, जेएलएनएमसीएच के डॉ अमित कुमार को द्वितीय तथा कटिहार मेडिकल के डॉ हबीबुर्रहमान को तृतीय पुरस्कार मिला. इन चिकित्सकों को डॉ प्रमोद कुमार, डॉ अजय सिन्हा व डॉ एके सिन्हा ने पुरस्कृत किया.
दस विषयों पर कार्डियोलॉजिस्ट्स ने दिया व्याख्यान
समापन सत्र में पटना के डॉ प्रमोद कुमार ने फार्माक्वाइन्वेसिव थेरेपी इन एक्यूट एमआइ इज दैट द वे टू गो पर अपना विचार प्रस्तुत किया. विजेनेटिस इन कॉर्डियोलाजी पर डॉ अजय कुमार सिन्हा, एरर्स आॅफ जजमेंट इन क्लिनिकल कार्डियोलाजी पर डॉ एसएस चटर्जी,
एसीएस विथ डायबिटीज : द डेडली ड्यो पर डॉ विवेक कुमार, सम इंट्रेस्टिंग क्लिनिकल केसेस पर डॉ आशीष सिन्हा, इंटरवेंशन एंड डिवाइस थेरेपी इन हार्ट फेल्योर पर डॉ रवि विष्णु प्रसाद, आर्थिथमियाज एंड पेसिंग : पेसमेकर ओवरव्यू पर डॉ नीरव, रिस्क फैक्टर्स प्रिवेंशन एंड लाइफ स्टाइल माडिफिकेशन पर डॉ राजीव रंजन, अपडेट इन कार्डियक इमेजिंग पर डॉ राजन चौधरी, इंट्रेक्टिव सेशन इन इसीजी एवं इको विषय पर डॉ प्रमोद कुमार, डॉ अजय सिन्हा, डॉ एसएस चटर्जी ने अपने-अपने अनुभव साझा किया तथा लोगों के सवालों का जवाब भी दिया.
पारस हास्पिटल पटना के निदेशक व वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ प्रमोद कुमार ने कहा कि प्रकृति में दिल की बीमारी से बचने का सारे राज छिपे हुए हैं. इसके लिए हमें सुबह-सुबह जगकर ताजी हवा को अपने दिल में भरना होगा. सुबह-सुबह टहलने से दिल की बीमारी से ग्रसित होने से खुद को बहुत ही हद तक बचाया जा सकता है. प्रकृति ने हमें हरी सब्जियां दी है. गाजर, सलाद, खीरा और हरे सलाद दिया है. बावजूद हम तैलीय-मसालेदार और फास्ट फूड खानों की तरफ आकर्षित होते हैं, जो हमारे दिल के लिहाज से बहुत ही खतरनाक है.

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