भागलपुर : कार्मिक व प्रशासनिक सुधार विभाग ने सरकारी कर्मचारी की संपत्ति के ब्योरे को राइट टू इनफॉरमेशन (आरटीआई) के दायरे से बाहर कर दिया है. अब आम व्यक्ति सरकारी कर्मी से उनकी संपत्ति का ब्योरा नहीं मांग सकता है. विभाग ने प्रशासन को पत्र भेजकर ऐसे सभी मामलों से जुड़े आरटीआइ को निरस्त करने […]
भागलपुर : कार्मिक व प्रशासनिक सुधार विभाग ने सरकारी कर्मचारी की संपत्ति के ब्योरे को राइट टू इनफॉरमेशन (आरटीआई) के दायरे से बाहर कर दिया है. अब आम व्यक्ति सरकारी कर्मी से उनकी संपत्ति का ब्योरा नहीं मांग सकता है. विभाग ने प्रशासन को पत्र भेजकर ऐसे सभी मामलों से जुड़े आरटीआइ को निरस्त करने का निर्देश दिया है. उच्चतम न्यायालय के एक मामले में दिये आदेश के तहत विभाग ने कार्रवाई की है.
इसमें माननीय न्यायालय ने कहा कि कर्मियों की संपत्ति उनके संबंधित विभाग के प्रदर्शन (परफॉर्मेंस) की श्रेणी में आती है. यह विभाग और कर्मी के बीच का गोपनीय मामला है, जो आरटीआइ के माध्यम से सार्वजनिक करना उचित नहीं है. अगर सीआइसी संपत्ति की सूचना को लोकहित में जारी करना उचित समझेगा, तभी वह सूचना आवेदक को दी जाये.
कार्मिक व प्रशासनिक सुधार विभाग ने प्रशासन को भेजा पत्र
यह है पत्र का आधार
उच्चतम न्यायालय ने गिरीश रामचंद्र देशपांडे के मामले की सुनवाई में कर्मचारियों की आय पर अपना आदेश दिया था. न्यायालय ने कहा कि आरटीआइ एक्ट के सेक्शन-8(1) में निजी सूचना को परिभाषित किया गया है. इसमें सरकारी सेवा में कर्मचारी का प्रदर्शन उसके विभाग और कर्मचारी के बीच का निजी मामला है. कर्मचारी द्वारा इनकम टैक्स रिटर्न में दिया गया ब्योरा पूरी तरह निजी है. यह एक्ट के सेक्शन-8(1) जे के तहत आरटीआइ में जानकारी के दायरे में नहीं आता है.