भागलपुर : भागलपुर वर्षों से नक्सली गतिविधि के लिए सेफ जोन बना हुआ है. इसके पहले भी भागलपुर से तीन – चार नक्सलियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया गया था. पुलिस महकमे के आलाधिकारियों ने वर्षों पहले ही भागलपुर को नक्सलियों के साइलेंट एरिया के रूप में चिह्नित किया था. पुलिस सूत्रों की मानें तो वर्ष 2004 में तत्कालीन आइजी ने भी माना था कि भागलपुर के साहेबगंज इलाके में नक्सली गतिविधि से जुड़े होने के संकेत मिले हैं. भागलपुर में बांका,
जमुई, बेलहर संग्रामपुर सहित झारखंड के नक्सली रह कर इलाज करवाते हैं. यहां से प्रचार सामग्री नक्सल क्षेत्रों में पहुंचाते हैं. वर्ष 2012 में दरभंगा के वर्तमान आइजी राकेश मिश्रा ने भी भागलपुर के कोतवाली में राष्ट्रीय स्तर के नक्सली को पकड़ कर यहां लाया था और पूछताछ की थी. अब तक भागलपुर में तीन चार नक्सली पकड़े जा चुके हैं.
तकनीकी सेल कर रही है काम : नक्सली गतिविधि कनेक्शन पर नकेल कसने के लिए पुलिस की तकनीकी सेल काफी सक्रियता से जांच में जुट गयी है. पुलिस सूत्रों की माने तो पुलिस टीम ने सोमवार को भी बांका अमरपुर में गिरफ्तार मनश्याम के घर पर छापेमारी की. वहां उसके कनेक्शन से जुटे लोगों की पहचान कर रही है.
मनुस्मृति को जला दो : पकड़े गये मनश्याम दास ने बताया कि उसे प्रोक्टर विलक्षण रविदास पढ़ने के लिए नक्सली साहित्य देते थे. इसमें मनुस्मृति को जला दो और रेड सैल्यूट जैसी कई किताबों को उसने पढ़ा भी है.
बांका पुलिस मनश्याम के बारे में कर रही पता : सोमवार की शाम बांका पुलिस ने विश्वविद्यालय व तातारपुर थाना पहुंच कर गिरफ्तार मनश्याम दास की जांच की. बांका पुलिस के अनुसार मनश्याम दास का असली नाम घनश्याम दास है. बांका पुलिस भागलपुर पहुंच कर घनश्याम के बारे में प्रत्येक थाना से पता लगा रही है. पुलिस सूत्रों का कहना है कि मनश्याम दास एक संगठित नक्सली गिरोह का सक्रिय सदस्य है.
प्रचार सामग्री छापने वाले पर गिरेगी गाज : पुलिस जांच टीम मनश्याम के पास से पकड़े गये नक्सली प्रचार कार्ड के छपाई खाने का पता लगा रही है. बताया जा रहा है कि यह प्रचार सामग्री भागलपुर में ही छापी गयी थी.
कौन है नक्सली, पहचानना मुश्किल : नक्सली संगठन से जुड़े सूत्रों की माने तो आम लोग के बीच ही नक्सली रहते हैं. कौन है नक्सली यह पकड़ पाना आसान नहीं है. नक्सल एक विचारधारा है. इसमें जुड़े लोग हर वर्ग के हैं. इस वर्ग में डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, टीचर, स्टूडेंट, मजदूर, अपराधी व सरकारी नौकरी करने वाले लोग शामिल हैं. भागलपुर के कहलगांव, पीरपैंती, बीरबन्ना, रंगरा, इस्माईलपुर, नाथनगर व सबौर के दियारा क्षेत्र से कई नक्सली समर्थक हैं.
भागलपुर के लॉजों, किराये के मकानों व कई सफेदपोशों के घर नक्सलियों की शरणस्थली हो सकती है. सूत्रों की माने तो भागलपुर के कई आंदोलन में नक्सली नेता शामिल होते हैं. नक्सली गतिविधि में जुड़े लोगों को भागलपुर को सुरक्षित जोन रखने के लिए किसी प्रकार का ऑपरेशन अंजाम नहीं देने की हिदायत दी गयी है.