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कारेलाल. बेटे ने कहा, पंचायत चुनाव लड़ने से रोकने के लिए विरोधियों ने मारी गोली, राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में मारी गोली

भागलपुर: रंगरा प्रखंड प्रमुख पति कारे लाल यादव ने छह लोगों को नामजद और तीन अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया है. जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भरती कारे लाल ने बताया कि रात में वे भैंस दूह रहे थे. तभी खेसरा मंडल उर्फ नंद किशोर मंडल, भक्ता मंडल, करका मंडल, विक्की मंडल, हुलवा […]

भागलपुर: रंगरा प्रखंड प्रमुख पति कारे लाल यादव ने छह लोगों को नामजद और तीन अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया है. जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भरती कारे लाल ने बताया कि रात में वे भैंस दूह रहे थे. तभी खेसरा मंडल उर्फ नंद किशोर मंडल, भक्ता मंडल, करका मंडल, विक्की मंडल, हुलवा मंडल, उपेंद्र मंडल व फूलवा मंडल ने आकर गोलीबारी शुरू कर दी. पहले खेसरा मंडल ने गोली चलायी जो भैंस की लगी.

इसके बाद उपेंद्र मंडल के कहने पर भक्ता मंडल ने उसे गोली मार दी. अपराधियाें ने उन पर सात -आठ गोलियां बरसायी. उपेंद्र मंडल ने घायलावस्था में उसकी जेब से 30 हजार रुपये निकाल लिये. अस्पताल में उसके बेटे मनीष यादव ने बताया कि मेरे पिताजी को राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में गोली मारी गयी है. वे पंचायत चुनाव नहीं लड़ें, इसलिए विरोधी गोली मार कर उनकी हत्या करना चाह रहे थे. उन्होंने बताया कि हमलोगों ने इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को समर्थन किया था. तभी से राजनितिक विरोधी हमलोगों से खुन्नस पाले हुए हैं.

बता दें रविवार की शाम रंगरा प्रखंड के सधुवा चापर पंचायत के सधुवा गांव निवासी प्रमुख मंजू देवी के पति कारेलाल यादव को गोली मार दी गयी थी. गोली उनके पेट में लगी थी. घटना से आस पास के क्षेत्रों में सनसनी फैल गयी थी. गोली लगने के बाद कारे लाल को मायागंज अस्पताल में इलाज के लिए भरती कराया गया था. पंचायत चुनाव रक्तरंजित होने के आसार : रंगरा के प्रमुख पति को गोली मारने की घटना से आसन्न पंचायत चुनाव के रक्तरंजित होने की आशंका प्रबल हो गयी है. यदि प्रमुख पति के समर्थकों की मानें तो इस घटना के बाद उस इलाके में मारपीट हो सकती है.

मुखिया, पंचायत समिति , सरपंच व प्रमुख आदि पदों के प्रत्याशियों पर खतरा बढ़ गया है. वर्तमान व संभावित प्रत्याशी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. मालूम हो वर्षों कि पूर्व में इस क्षेत्र में पहले दो अपराधिक गुटों के बीच वर्चस्व लेकर कई खूनी संघर्ष हो चुके हैं. घोड़े की टाप और बंदूकों की आवाज से लोग शाम ढलने से पहले की घरों में सिमट जाते थे. किसान खेतों में जाने से डरते थे. हालांकि इस खूनी खेल के कई बड़े सूरमा अब हाशिये पर चले गये हैं. लेकिन प्रमुख पति को गोली मारने की घटना से एक फिर से वर्चस्व की चिनगारी भड़कने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.

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