11.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पैर नहीं, लेकिन बोटिंग में पहुंचे राष्ट्रीय स्तर पर

पैर नहीं, लेकिन बोटिंग में पहुंचे राष्ट्रीय स्तर पर युवा दिवस पर विशेष………………………..-इनके हौसले से युवाओं को मिलता है हौसला- हौसला व जनून के सामने नि:शक्तता हुई परास्त – अमित व सुधीर कयाकिंग व कर्नोंइग में जीत चुके हैं राष्ट्रीय स्तर पर पदकफाेटो सिटी में स्कैन किया हुआ इंट्रो : अमित और सुधीर. ये उन […]

पैर नहीं, लेकिन बोटिंग में पहुंचे राष्ट्रीय स्तर पर युवा दिवस पर विशेष………………………..-इनके हौसले से युवाओं को मिलता है हौसला- हौसला व जनून के सामने नि:शक्तता हुई परास्त – अमित व सुधीर कयाकिंग व कर्नोंइग में जीत चुके हैं राष्ट्रीय स्तर पर पदकफाेटो सिटी में स्कैन किया हुआ इंट्रो : अमित और सुधीर. ये उन दो युवाओं के नाम हैं, जिन्होंने पैर से नि:शक्त होने के बावजूद भागलपुर के साहेबगंज मुहल्ले और खरीक जैसे ग्रामीण स्तर की प्रतियोगिताएं जीतते हुए राष्ट्रीय स्तर तक की प्रतियोगिताओं का सफर तय किया. बोटिंग के क्षेत्र में ये बड़े नाम बन चुके हैं. इनके सफर में मुश्किलें भी आयीं लेकिन इन्होंने कभी हार नहीं मानी. …………………………………………..आरफीन, भागलपुरसकारात्मक सोच, हौसला व जनून के बल पर नि:शक्तता को मात देते हुए ये दोनों आगे बढ़ते गये. लिहाजा राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत भागलपुर व बिहार का नाम रोशन किया. साहेबगंज के अमित कुमार श्रेय व नवगछिया खरीक के सुधीर कुमार सुधांशु जन्म से ही नि:शक्त हैं. लेकिन खेल में कुछ खास कर जाने की चाहत ने कयार्किंग एवं कर्नोंइग (वोटिंग खेल) खेल से जुड़ने का निर्णय लिया. अमित ने पंजाब में आयोजित हो चुके राष्ट्रीय ड्रैगन वोट प्रतियोगिता में तीसरा स्थान प्राप्त किया. सुधीर पहली बार बिहार कयार्किंग एवं कर्नोंइग टीम में हिस्सा बने. वर्तमान में केरल में आयोजित होने वाले नेशनल कयार्किंग कर्नोंइग प्रतियोगिता में भाग लेने गये हैं. ———-ओलिंपिक में खेलना है सपना खिलाड़ी अमित कुमार श्रेय ने बताया कि जन्म से वह नि:शक्त हैं. लेकिन उन्होंने इसे अपने जीवन की कमी नहीं बनने दी. मन में एक ही बात चल रही थी कि जीवन में एक मुकाम बनाये. इसके लिए खेल को माध्यम बनाया. कयार्किंग एवं कर्नोंइग खेल को चुना. यह खेल थोड़ा टफ जरूर है. इसमें पैर की आवश्यकता नहीं है. हाथ से ही सारा काम होता है. पिछले कुछ वर्षों से इस खेल से जुड़े हैं. कोच के सहयोग से राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत चुके हैं. देश के लिए ओलंपिक में खेलना चाहते हैं. ——–खेल को लेकर जनून सवार थासुधीर कुमार सुधांशु ने बताया कि जन्म से ही एक पैर से नि:शक्त हैं. लेकिन खेल को लेकर कभी भी हार नहीं मानी. क्रिकेट, फुटबॉल आदि खेलों में पैर के जरूरत होती है. लेकिन कयार्किंग एवं कर्नोंइग खेल मुख्य रूप से हाथों से खेला जाता है. कठिन परिश्रम के बल पर पहली बार जूनियर वर्ग में बिहार टीम में चयनित हुए हैं. केरल में नेशनल कयार्किंग कर्नोंइग प्रतियोगिता में भाग लेंगे. इसके लिए कोच व घर वालों का सहयोग लगातार उन्हें मिलता रहा. देश के लिए इंटरनेशनल स्तर पर खेलना चाहते हैं.————–कयार्किंग कर्नोंइग खेल में शामिल सामान्य खिलाड़ी की तुलना में उक्त दोनों खिलाड़ी लगातार बढ़िया प्रदर्शन कर रहे हैं. बिहार के लिए खेल रहे हैं. कभी भी यह नहीं लगा कि दोनों खिलाड़ी नि:शक्त हैं. बिहार कयार्किंग कर्नोंइग संघ की ओर से खिलाड़ियों को खेल किट आदि की व्यवस्था करायी जाती है. दोनों खिलाड़ी की प्रतिभा देखने से यह लग रहा है कि आनेवाले दिनों में देश के लिए खेलेंगे.मनोज कुमार, सचिव, बिहार कयार्किंग कर्नोंइग संघ

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें