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लेट ट्रेनों की नहीं होती धुलाई, यात्री परेशान

लेट ट्रेनों की नहीं होती धुलाई, यात्री परेशान संवाददाता, भागलपुरकुहासे से ट्रेनों की रफ्तार जब से धीमी हुई है, ट्रेनों के पहुंचने और खुलने का समय निर्धारित नहीं रहा. ट्रेनों के विलंब पहुंचने और रवाना होने से यात्री परेशान हैं. यात्रियों की परेशानी तब और बढ़ जाती है, जब उन्हें सफर के दौरान साफ-सुथरी ट्रेने […]

लेट ट्रेनों की नहीं होती धुलाई, यात्री परेशान संवाददाता, भागलपुरकुहासे से ट्रेनों की रफ्तार जब से धीमी हुई है, ट्रेनों के पहुंचने और खुलने का समय निर्धारित नहीं रहा. ट्रेनों के विलंब पहुंचने और रवाना होने से यात्री परेशान हैं. यात्रियों की परेशानी तब और बढ़ जाती है, जब उन्हें सफर के दौरान साफ-सुथरी ट्रेने नहीं मिलती. धुलाई नहीं होने का सबसे बड़ा कारण समय का अभाव है. समय से ट्रेनें जब नहीं पहुंचती है, तो इसके खुलने का समय भी निर्धारित करना मुश्किल हो जाता है. विलंब से ट्रेन पहुंची और निर्धारित समय पर ट्रेन खोलने की कोशिश जब होती है, तो सफाई के लिए समय कम पड़ जाता है, जिससे ट्रेनों की धुलाई केवल खानापूरी बन कर रह गयी है. भागलपुर जंक्शन से लंबी दूरी की करीब एक दर्जन ट्रेनें है, जिसमें विक्रमशिला एसक्सप्रेस, सूरत, दादर, अजमेर, साप्ताहिक, वनांचल, जनसेवा, इंटरसिटी, अंग एक्सप्रेस, अमरनाथ एक्सप्रेस, गरीब रथ व रांची एक्सप्रेस शामिल है. अधिकतर ट्रेनों का परिचालन विलंब से हो रहा है. बेहतर सफाई के लिए चाहिए छह घंटे लंबी दूरी की ट्रेनों की बेहतर सफाई के लिए कम से कम छह घंटे चाहिए. रेलवे अधिकारी भी इस बात को मानते हैं. विलंब से जो ट्रेनें आती है, उसे निर्धारित समय पर रवाना करने की कोशिश होती है. जब उसे पिट लाइन पर भेजा जाता है, तो समय के अभाव में चाह कर भी बेहतर सफाई नहीं हो सकती है. नतीजा, ऊपरी तौर पर सफाई कर इसे रवाना कर दिया जाता है. गरीब रथ व रांची एक्सप्रेस की नहीं होती धुलाई लंबी दूरी की ट्रेनों में दो ऐसी ट्रेनें है, जिसकी धुलाई नहीं होती है. जिस तरह से आती है, उसी तरह भागलपुर जंक्शन से रवाना कर दिया जाता है. वह ट्रेन गरीब रथ और रांची एक्सप्रेस है. उक्त ट्रेनों का केवल सूखा झाड़ू और थोड़ी-बहुत गंदगी की सफाई की जाती है. अव्यवस्थित पिट लाइन के भरोसे ट्रेनों सफाई भागलपुर जंक्शन की पिट लाइन अव्यवस्थित है. पिट लाइन में लाइटिंग की व्यवस्था कमजोर है व इसका विस्तारीकरण भी नहीं हो सका है. इसके चलते ट्रेनों की रात में धुलाई सही से नहीं हो पाती है. सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी जिस एजेंसी को दी गयी है, उसके कर्मियों द्वारा भी लापरवाही बरती जाती है. सफाई में लापरवाही पर एजेंसी का लगता जुर्माना, फिर भी सुधार नहीं ट्रेनों की सफाई व्यवस्था जिस एजेंसी के हवाले है, उसकी ओर से लापरवाही बरती जा रही है. लापरवाही बरतने पर लगभग हर माह एजेंसी पर जुर्माना लगाया जाता है. जुर्माने की राशि कभी 80 हजार रुपये, तो कभी एक लाख रुपये. बावजूद एजेंसी में सुधार नहीं हो रहा है. रेलवे भी ठोस कदम नहीं उठा रहा है.

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