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आवंटन कम तो, कैसे बने टिकाऊ सड़क

आवंटन कम तो, कैसे बने टिकाऊ सड़क-सड़क बनती है, मगर टिकती नहीं है, पांच साल चलने के बजाय साल भर में वाहनों के परिचालन से फेल हो जाती सड़क संवाददाता, भागलपुरसड़क और पुल निर्माण योजनाओं के लिए प्राक्कलन राशि कुछ और होती है, जबकि आवंटन कुछ और मिलता है. ऐसे में मजबूत और टिकाऊ सड़क […]

आवंटन कम तो, कैसे बने टिकाऊ सड़क-सड़क बनती है, मगर टिकती नहीं है, पांच साल चलने के बजाय साल भर में वाहनों के परिचालन से फेल हो जाती सड़क संवाददाता, भागलपुरसड़क और पुल निर्माण योजनाओं के लिए प्राक्कलन राशि कुछ और होती है, जबकि आवंटन कुछ और मिलता है. ऐसे में मजबूत और टिकाऊ सड़क कैसे बन सकती है. यह सालों से चल रहा है. ठेकेदार विभाग से काम हासिल करने के लिए प्राक्कलित राशि से कम दर पर टेंडर डालता है और विभाग भी उसी ठेकेदार को वर्क आवंटित करता है, जिसकी प्राक्कलन राशि से सबसे कम रेट पर रहती है. ऐसे में जब ठेकेदार को टेंडर मिल जाता है, तो उसके लिए सड़क और पुल का निर्माण करना चुनौतीपूर्ण होता है और वह खाना सड़क और पुल निर्माण के नाम पर गुणवत्ता को ताक पर रख कर खानापूर्ति में लग जाता है. यही कारण है कि सड़कें कमजोर बनती हैं और कुछ ही समय में जर्जर हो जाती हैं.घूरनपीर बाबा रोड (एक किमी) : 45 लाख कम से बनी सड़क, तीसरे माह से टूटने लगी तिलकामांझी से घूरनपीर बाबा चौक तक एक किमी लंबी सड़क का निर्माण प्राक्कलित राशि से 45 लाख रुपये कम में बनी. स्थिति यह हुई कि सड़क निर्माण के तीसरे माह से ही टूटने लगी. केवल अब मेंटेनेंस के भरोसे सड़क चल रही है. सड़क निर्माण के लिए 2.77 करोड़ रुपये का प्राक्कलन बना था. लेकिन टेंडर के बाद ठेकेदार के साथ करीब 2.23 करोड़ रुपये पर एग्रीमेंट हुआ. सड़क निर्माण के लिए जहां वास्तविक राशि 2.77 करोड़ रुपये की जरूरत थी, वहां 45 लाख रुपये कम पर सड़क बनी. वैकल्पिक बाइपास : 1.59 करोड़ से कम हुआ खर्च, मरम्मत पर टिकी सड़क वैकल्पिक बाइपास की भी स्थिति घूरनपीर बाबा रोड जैसी है. ठेकेदार ने काम हासिल करने के लिए कम रेट पर टेंडर डाला और विभाग ने भी मंजूर कर 1.59 करोड़ रुपये कम पर कार्य आवंटित कर दिया. जबकि वास्तविक राशि 8.68 करोड़ रुपये तय की गयी थी. अगर वास्तविक तय राशि पर सड़क बनती, तो सड़क पांच साल टिक सकती थी. विक्रमशिला एप्रोच पथ : पांच करोड़ कम लागत से बन रही सड़क, क्या टिकाऊ होगी ?विक्रमशिला सेतु एप्रोच सड़क तय प्राक्कलित राशि से पांच करोड़ रुपये कम में बन रही है. ऐसे में इस सड़क की गुणवत्ता पर भी संदेह है. इस रोड के निर्माण को लेकर करीब 15.75 करोड़ रुपये का प्राक्कलन बना था. ठेकेदार के साथ करीब 10.68 करोड़ रुपये में एग्रीमेंट हुआ है और ठेकेदार सड़क बना रहे हैं. अगर वास्तविक राशि खर्च होती, तो संभवत: सड़क टिकाऊ होता. पांच साल तक नहीं टिकी कोई भी सड़क शहर को जोड़ने वाली सड़क हो या फिर अंदरूनी शहर की सड़क, कोई भी पांच साल नहीं टिकी. साल-दो साल में ही सड़क क्षतिग्रस्त हो गयी है. भागलपुर-हंसडीहा सड़क करीब 100 करोड़ रुपये में बनी थी और निर्माण के दूसरे साल से ही टूटने लगी. विक्रमशिला सेतु एप्रोच पथ सड़क वर्ष 2010 में 7.62 करोड़ से बनी थी और साल भर ही सड़क चलने लायक रह सकी. इसके बाद से गड्ढों में तब्दील हो गयी. घूरनपीर बाबा रोड भी साल भर नहीं टिक सकी है. इससे पहले भी यह सड़क वर्ष 2011 में प्राक्कलन राशि से 44 लाख कम लागत से बनी थी, जिससे साल भर में ही सड़क दम तोड़ दिया. यही हाल तिलकामांझी चौक से चंपानगर तक आठ किमी लंबी सड़क का रहा. वर्ष 2010 में प्राक्कलन राशि से 1.67 करोड़ की लागत से कम में बनी थी और साल भर में ही वाहनों के परिचालन से टूट गयी. वैकल्पिक बाइपास की बात करें, तो वर्ष 2012 में बनी थी. इस सड़क को दो साल बाद ही फिर से बनाना पड़ा. ठेकेदार की आपबीती नाम नहीं छापने की शर्त पर एक ठेकेदार ने बताया कि विभाग प्राक्कलित राशि से कम रेट पर काम लेता है. इसके बाद पीसी पर भी खर्च करना होता है. समय पर सड़क नहीं बनी, तो एक्सटेंस चार्ज कटता है. ऐसे में अगर कोई भी ठेकेदार काम लेता है, तो इसे बिजनेस के रूप में देखता है और इस आधार पर ही काम कराता है, ताकि पैसा लगाने के बाद कुछ बच सके. अगर एग्रीमेंट राशि की बजाय वास्तविक राशि (प्राक्कलित राशि) पर सड़क बनाने लगे, तो घाटा होगा. वास्तविक राशि से कम रेट पर काम लेना, एक्सटेंशन चार्ज कटना और पीसी पर लगने वाली राशि सड़क निर्माण की राशि से ही एडजेस्ट करना पड़ता है. चाहे, बेहतर सड़क बने या न बने. विभाग को भी यह मालूम रहता है कि वास्तविक खर्च से कम पर सड़क बनाने दिया है, तो सड़क की गुणवत्ता क्या होगी.जानें कौन सी सड़क प्राक्कलित राशि से कितनी कम पर बनी घंटा घर से खलीफाबाग चौक होकर तातारपुर जाने वाली सड़क(1.60 किमी) : प्राक्कलित राशि : 1.23 करोड़ रुपये सड़क बनेगी : 1.07 करोड़ रुपये में विक्रमशिला सेतु एप्रोच पथ (10.60 किमी): प्राक्कलित राशि : 15.75 करोड़ रुपयेएग्रीमेंट राशि : 10.68 करोड़ रुपये (निर्माणाधीन)घूरनपीर बाबा रोड (एक किमी)निर्माण : वर्ष 2014 प्राक्कलित राशि : 2.77 करोड़ रुपये एग्रीमेंट राशि : 2.23 करोड़ रुपये तिलकामांझी-बरारी रोड (03 किमी)निर्माण : वर्ष 2013 : प्राक्कलित राशि : 68.29 लाख रुपये एग्रीमेंट राशि : 54.24 लाख रुपये तिलकामांझी-घूरनपीर बाबा चौक (एक किमी)निर्माण : वर्ष 2011 : प्राक्कलित राशि : 2.65 करोड़ रुपये एग्रीमेंट राशि : 2.21 करोड़ रुपये तिलकामांझी-चंपानगर रोड (08 किमी)निर्माण : वर्ष 2010 : प्राक्कलित राशि : 7.07 कराेड़ रुपये एग्रीमेंट राशि : 5.41 करोड़ रुपये घंटा घर से तातारपुर रोड : (1.60 किमी)निर्माण : वर्ष 2009प्राक्कलित राशि : 1.84 करोड़ रुपये एग्रीमेंट राशि : 1.14 करोड़ रुपये एसएम कॉलेज से मिरजानहाट रोड (03 किमी)निर्माण : वर्ष 2009प्राक्कलित राशि : 2.81 करोड़ रुपयेएग्रीमेंट राशि : 1.85 करोड़ रुपये वैकल्पिक बाइपास (8.25 किमी)निर्माण : वर्ष 2014प्राक्कलित राशि : 8.68 करोड़ रुपये एग्रीमेंट राशि : 7.08 करोड़ रुपये \\\\B

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