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तीन दिनों में 28 लाख को लोगों को खिलायी जायेगी फाइलेरिया की दवा

तीन दिनों में 28 लाख को लोगों को खिलायी जायेगी फाइलेरिया की दवा – तीन दिवसीय फाइलेरिया सप्ताह के दौरान लोगों को मुफ्त में दी जायेगी दवा- जिले में 14,15 व 16 दिसंबर को घर-घर जाकर दी जायेगी फाइलेरिया दवा – देश को 2019 तक फाइलेरिया मुक्त बनाने का है लक्ष्य संवाददाता,भागलपुर देश को लिम्फैटिक […]

तीन दिनों में 28 लाख को लोगों को खिलायी जायेगी फाइलेरिया की दवा – तीन दिवसीय फाइलेरिया सप्ताह के दौरान लोगों को मुफ्त में दी जायेगी दवा- जिले में 14,15 व 16 दिसंबर को घर-घर जाकर दी जायेगी फाइलेरिया दवा – देश को 2019 तक फाइलेरिया मुक्त बनाने का है लक्ष्य संवाददाता,भागलपुर देश को लिम्फैटिक फाइलेरियासिस (एलएफ) मुक्त का सपना अब भी लक्ष्य से दूर है. फाइलेरिया मुक्त समाज बनाने को लेकर जिले में 14 से 16 दिसंबर से फाइलेरिया सप्ताह मनाया जायेगा. इस अभियान को लेकर राज्य स्वास्थ्य विभाग के कार्यपालक निदेशक डॉ जितेंद्र श्रीवास्तव ने शनिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग से जिले के सभी चिकित्सा पदाधकारियों को दिशा निर्देश दिया. सिविल सर्जन डॉ विजय कुमार ने बताया कि राज्य में सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम के तहत तीन दिनों में जिले के 28 लाख बच्चों को फाइलेरिया की दवा दी जायेगी. शुक्रवार को फाइलेरिया के बारे में लोगों को अधिक से अधिक जानकारी उपलब्ध कराने के लिए सदर अस्पताल से एक प्रचार वाहन को रवाना किया. प्रत्येक पीएचसी के लिए गठित हुआ टाॅस्क फोर्स एसीएमओ डॉ रामचंद्र प्रसाद ने बताया कि प्रत्येक प्रखंड में अभियान को मॉनीटर करने के लिए एक-एक टॉस्क फोर्स गठित कर दिया गया है. सदर अस्पताल के लिए डॉ अशरफ रिजवी के नेत‍ृत्व में टॉस्क फोर्स बनाया गया है. पहले दिन 14 दिसंबर को जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर फाइलेरिया की मुफ्त दवा वितरित की जायेगी. इसके अलावा 15 और 16 दिसंबर को घर-घर जाकर दो साल से ऊपर के बच्चों को फाइलेरिया की दवा दी खिलायी जायेगी. दवा के रूप में डीइसी और अलबेंडाजोल की गोली वितरित की जायेगी. क्या होता है लिम्फैटिक फाइलेरियासिसलिम्फैटिक फाइलेरियासिस (एलएफ) को आम बोलचाल में हाथी पांव भी कहते हैं. यह एक परजीवी (पैरासाइट) बीमारी है, जो अतिसूक्ष्म कृमियों से हाेती है. यदि इसका उपचार न किया जाये तो यह कृमि हाथों, पैरों या जनन तंत्र में सूजन पैदा कर मरीजों को अपंग बना देते हैं. इसका प्रसार गंदे पानी में पलने वाले एक मच्छर से होता है, जो पीड़ित से इसके कृमि लेकर स्वस्थ व्यक्ति में पहुंचा देते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि दवा की खुराक व्यक्ति के वजन से तय होती है. अगर लगातार पांच वर्ष तक एक खुराक दी जायें, तो खतरा खत्म हो जाता है. जिले में करीब 2% लोग फाइलेरिया से प्रभावित एक अनुमान के मुताबिक जिले में कुल जनसंख्या का करीब दो प्रतिशत लोग लिम्फैटिक फाइलेरियासिस(एलएफ) से प्रभावित हैं. एसीएमओ श्री प्रसाद ने बताया कि जिले में दो प्रकार के फाइलेरिया पॉजिटिव स्थल हैं. एक स्थायी स्थल और दूसरा अस्थायी स्थल. स्थायी स्थल जो फाइलेरिया पॉजिटिव हैं, उसमें नाथनगर वार्ड-1 में चार, खरीक बाजार में पांच, सुलतानगंज तिलकपुर में छह और विहपुर में 10 स्थल हैं. इसके अलावा जिले में अस्थायी स्थल जहां कहीं-कहीं फाइलेरिया पॉजिटिव हैं, उसमें सन्हौला के 12, गौराडीह के 18, शिवनारायण कहलगांव के छह और शाहकुंड के छह स्थल शामिल हैं.

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