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संस्थाएं आत्मरुदन से नहीं बनतीं

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में सोमवार को संगोष्ठी का आयोजन किया गया. विषय था ‘उच्च शिक्षा की चुनौतियां और समाधान की खोज’. इस पर विमर्श के लिए विभिन्न क्षेत्र के विद्वान एक छत के नीचे जुटे. उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा देने वाले संस्थानों में तकनीकी सुविधा व बेहतर प्रबंधन का अभाव […]

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में सोमवार को संगोष्ठी का आयोजन किया गया. विषय था ‘उच्च शिक्षा की चुनौतियां और समाधान की खोज’. इस पर विमर्श के लिए विभिन्न क्षेत्र के विद्वान एक छत के नीचे जुटे. उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा देने वाले संस्थानों में तकनीकी सुविधा व बेहतर प्रबंधन का अभाव है. इससे कई समस्याएं पैदा होती हैं. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दे पाने का मूल कारण जिम्मेदारी का सही तरह से निर्वहन नहीं करना और समय प्रबंधन का अभाव है. विद्वानों ने इन समस्याओं से उबरने के कई उपाय भी सुझाये. विद्वानों ने कहा कि हमें दूसरे बड़े संस्थानों से बेहतर बनकर दिखाने की जिद ठाननी होगी. हम जब तक आसपास के अंधेरे को दूर नहीं करेंगे, तब तक कुछ नहीं हो सकता.

आचरण में सुधार जरूरी

कुलपति डॉ एनके वर्मा ने कहा कि उच्च शिक्षा में सुधार चाहते हैं, तो सबसे पहले अपने आचरण में सुधार करना होगा. इसके बगैर कुछ नहीं हो सकता. स्नातकोत्तर मनोविज्ञान के शिक्षक डॉ सीवीपी सिंह ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा में सॉफ्टवेयर उपलब्ध है, पर उच्च शिक्षा के लिए यह उपलब्ध नहीं. तकनीक की सुविधा का अभाव न केवल राज्य के विश्वविद्यालयों में, बल्कि शोध संस्थानों में भी है. हम आज भी मैनुअली काम करते हैं. जिसके कारण हम बेहतर प्लानिंग नहीं कर पाते. स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के वरीय प्राध्यापक डॉ श्रीभगवान सिंह ने कहा कि उच्च शिक्षा पूरी तरह अंगरेजी सिस्टम की चीज है. अंगरेजों के रहते भारत जितना गुलाम नहीं था, उससे ज्यादा आज बन गया है. अंगरेजों की बनायी शिक्षा प्रणाली में बदलाव नहीं कर पाना, इसका मुख्य कारण है. उप महापौर प्रीति शेखर ने कहा कि उच्च शिक्षा को बचाने के लिए प्राथमिक शिक्षा को मजबूत करना होगा.

इगAू के सहायक क्षेत्रीय निदेशक डॉ एस सौनंद ने कहा कि हम उच्च शिक्षा के छात्रों को शिक्षक बनने के लिए प्रेरित करें. यूनिवर्सिटी डिपार्टमेंट टीचर्स एसोसिएशन की पूर्व सचिव सह स्नातकोत्तर जंतु विज्ञान की शिक्षक डॉ अमिता मोइत्र ने कहा कि शिक्षकों को समय पर सुविधा मिलने लगे, तो शिक्षा में भी गुणवत्ता बढ़ेगी. पूर्व सिंडिकेट सदस्य राजीव कांत मिश्र ने कहा कि अगर विश्वविद्यालय अपना काम पूरी तत्परता से करता रहता, तो आज कोचिंग संस्थान नहीं फल-फूल रहे होते. उन्होंने कहा कि एक शिक्षक को छात्रों में विश्वास जगाना होगा कि वे हमेशा उनके साथ हैं. इस्टर्न बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकुटधारी अग्रवाल ने कहा कि हम मांग के अनुरूप शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं. इसमें बदलाव बेहद जरूरी है. स्नातकोत्तर गांधी विचार विभाग के शिक्षक डॉ परमानंद सिंह ने कहा कि कर्तव्य बोध ही अधिकार की तरफ ले जायेगा.

इससे पूर्व स्नातकोत्तर संगीत विभाग के छात्र-छात्रओं ने कुलगीत प्रस्तुत किया. इसके बाद अतिथियों ने दीप जलाकर संगोष्ठी का उद्घाटन किया. प्रतिकुलपति डॉ एनके सिन्हा ने स्वागत भाषण दिया. स्नातकोत्तर गांधी विचार विभाग के अध्यक्ष डॉ विजय कुमार ने कार्यक्रम का संयोजन और विषय प्रवेश कराया. प्रभात खबर के निशि रंजन ठाकुर व दीपक कुमार मिश्र ने अतिथियों को पुष्प गुच्छ व अंगवस्त्रम भेंट कर सम्मानित किया. प्रभात खबर के स्थानीय संपादक जीवेश रंजन सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

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