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इंस्पेक्टर कन्हैया लाल पर विभागीय कार्रवाई के आदेश

इंस्पेक्टर कन्हैया लाल पर विभागीय कार्रवाई के आदेशभू-माफियाओं से मिल कर फर्जी केस में निर्दोष को फंसाने का मामले एसएसपी की अनुशंसा पर डीआइजी ने लगायी मुहर फर्जी केस के आइओ एसआइ को पहले ही किया जा चुका है बरखास्त भू-माफियाओं ने जमीन खरीदने वालों से मांगी थी रंगदारीरंगदारी नहीं देने पर इंस्पेक्टर के साथ […]

इंस्पेक्टर कन्हैया लाल पर विभागीय कार्रवाई के आदेशभू-माफियाओं से मिल कर फर्जी केस में निर्दोष को फंसाने का मामले एसएसपी की अनुशंसा पर डीआइजी ने लगायी मुहर फर्जी केस के आइओ एसआइ को पहले ही किया जा चुका है बरखास्त भू-माफियाओं ने जमीन खरीदने वालों से मांगी थी रंगदारीरंगदारी नहीं देने पर इंस्पेक्टर के साथ मिलकर फर्जी केस में फंसाया था कन्हैया लाल का कोतवाली से पटना निगरानी विभाग में हुआ था तबादला अमित चौधरी, भागलपुर भू-माफियाओं से मिलकर फर्जी केस में निर्दोष को फंसाने के मामले में तत्कालीन कोतवाली थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर कन्हैया लाल पर विभागीय कार्रवाई होगी. एसएसपी विवेक कुमार की अनुशंसा पर डीआइजी उपेंद्र कुमार सिन्हा ने 19 नवंबर को कन्हैया लाल पर विभागीय कार्रवाई शुरू करने का आदेश जारी कर दिया है. इसी मामले में तत्कालीन कोतवाली एसआइ और फर्जी केस के आइओ दयाशंकर राय को 30 अक्तूबर को बरखास्त किया जा चुका है. क्या था मामला रंजीत कुमार की मां निर्जला देवी के नाम से 7 जून 2010 को हबीबपुर थाना क्षेत्र के दाउद-बाट में सुरेंद्र कुमार सोनू से तीन कट्ठा जमीन खरीदी गयी. जमीन की रिजस्ट्री भी हो गयी. रंजीत कुमार ने उसमें चहारदीवारी दे दी. एक साल पहले भू-माफिया सुरेंद्र कुमार सोनू ने रंजीत कुमार से यह कह कर रंगदारी मांगनी शुरू कर दी कि उस जमीन की कीमत काफी बढ़ चुकी है और वर्तमान रेट से जमीन का पैसा देना होगा. रंजीत ने पैसा देने से मना किया, तो उसकी जमीन की बाउंड्री तोड़ दी गयी. उसके साथ ही कई अन्य जमीन खरीदारों की जमीन की बाउंड्री भी तोड़ दी गयी. उसके बाद सुरेंद्र कुमार सोनू ने नयी बाउंड्री देकर जमीन को अपने कब्जे में ले लिया. इसकी सूचना हबीबपुर थाना में दी गयी पर उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. भू-माफिया ने रंजीत पर कोतवाली थाना में मारपीट और छिनतई का केस 412/2014 कर दिया. केस करने के कुछ दिनों बाद रंजीत को आदमपुर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. कोतवाली थाना इंस्पेक्टर कन्हैया लाल ने उस केस का आइओ एसआइ दयाशंकर राय को बनाया. इस फर्जी केस की शिकायत एसएसपी और डीआइजी से की गयी. कोतवाली इंस्पेक्टर और आइओ ने एसएसपी को भी गलत रिपोर्ट भेज अंधकार में रखा. उस रिपोर्ट को डीआइजी संजय सिंह के पास भेजा गया तो उन्होंने केस के असत्य होने और उसकी जांच के लिए लिखा. उसके बाद एएसपी फगोरूद्दीन से जांच करायी गयी. एएसपी ने जांच में केस को फर्जी पाया. एसआइ दयाशंकर और इंस्पेक्टर कन्हैया लाल के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसएसपी को लिखा. उसके बाद एसएसपी विवेक कुमार ने दयाशंकर राय को बर्खास्त करने के लिए डीआइजी को लिखा. डीआइजी उपेंद्र कुमार सिन्हा ने दयाशंकर राय को बर्खास्त कर दिया. फर्जी केस में निर्दोष को जेल भेजने के मामले में तत्कालीन कोतवाली इंस्पेक्टर कन्हैया लाल की भूमिका भी जांच के घेरे में आ गयी. आखिरकार इंस्पेक्टर पर भी विभागीय कार्रवाई शुरू करने का आदेश जारी कर दिया गया. कन्हैया लाल का ट्रांसफर कोतवाली से पटना निगरानी में कर दिया गया था. बॉक्स मैटर जगदीशपुर में फर्जी केस में निर्दोष को फंसाए जाने की हो रही जांच पुलिस द्वारा अपने पावर का गलत इस्तेमाल कर निर्दोष लोगों को फंसाने का मामला अक्सर सामने आता रहा है. हाल ही में जगदीशपुर थाना प्रभारी सुभाष बैद्यनाथन द्वारा एक बालू ठेका कंपनी के मैनेजर को आर्म्स एक्ट में गलत तरीके से फंसाने के मामले की जांच हो रही है. कंपनी के मैनेजर का कहना है कि जिस डेट में उस पर केस किया गया उस दिन वह हावड़ा में था. उसने ट्रेन टिकट की कॉपी भी आइजी को सौंपी है और हावड़ा स्टेशन पर सीसीटीवी फुटेज में उसके होने की बात कही है. कंपनी के मैनेजर की शिकायत पर आइजी बच्चू सिंह मीणा ने एसएसपी को जांच के लिए लिखा है. मामले की जांच लॉ एंड ऑर्डर डीएसपी राजेश सिंह प्रभाकर कर रहे हैं. केस फर्जी पाये जाने पर जगदीशपुर थाना प्रभारी के खिलाफ भी कार्रवाई तय मानी जा रही है. पुलिस को अपने पावर का गलत इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए. इंस्पेक्टर ने झूठे केस में निर्दोष को फंसाया. जांच में भी यह बात सामने आ चुकी है. इसी मामले में एक एसआइ को बरखास्त भी किया जा चुका है. मैंने इंस्पेक्टर के खिलाफ विभागयी कार्रवाई का आदेश दिया है. उपेंद्र कुमार सिन्हा, डीआइजी, भागलपुर

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