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गुजरात से छूटी बुनकरों की नर्भिरता

गुजरात से छूटी बुनकरों की निर्भरता-10 लाख की इंब्राॅइड्रिंग मशीन ने आसान किया बुनकरों के काम – पहले कोलकाता, दिल्ली व गुजरात से वर्क करवा कर आर्डर पूरा करते थे बुनकर – अब बुनकर अपने घर से तैयार कपड़े भागलपुर में ही डिजाइन कर बेच रहेसंवाददाता, भागलपुररेशमी शहर के बुनकरों ने भी अब बदलते समय […]

गुजरात से छूटी बुनकरों की निर्भरता-10 लाख की इंब्राॅइड्रिंग मशीन ने आसान किया बुनकरों के काम – पहले कोलकाता, दिल्ली व गुजरात से वर्क करवा कर आर्डर पूरा करते थे बुनकर – अब बुनकर अपने घर से तैयार कपड़े भागलपुर में ही डिजाइन कर बेच रहेसंवाददाता, भागलपुररेशमी शहर के बुनकरों ने भी अब बदलते समय के साथ अपने काम के तरीके को बदलना शुरू कर दिया है. जिस काम के लिए वे दिल्ली, कोलकाता, अहमदाबाद और गुजरात आदि बड़े शहरों के मुहताज थे, अब उन्हें वह सुविधा अपने क्षेत्र में ही मिलने लगी है. उनके बुने कपड़े पर महाजन जिस तरह आधुनिक मशीनों से इंब्राइड्रिंग (कढ़ाई) करा अपनी चमचमाती पैकिंजिंग कर बड़े शहरों के बाजारों से अच्छी खासी कमाई करते थे. अब यही काम बुनकर क्षेत्र के बड़े व छोटे बुनकर करा कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं. नाथनगर के चंपानगर नगर बुनकर क्षेत्र में 10 लाख कीमत की आधुनिक इंब्राइड्रिंग मशीन ने बुनकरों के काम को आसान कर दिया है. यहां सरदारपुर रोड में ऐसे तीन मशीन, चंपानगर टेम्पो स्टैंड के निकट एक और नीलमाही मैदान के निकट एक इंब्राइड्रिंग मशीन काम कर रहा है. इसे कोलकाता से 10 लाख में बुनकरों ने खरीद कर अपने यहां लगाया है. इस एक मशीन की सहायता से रोजाना औसतन सिल्क, कॉटन व लीलन की 120 मीटर कपड़े पर शानदार इंब्राइडिंग की जा रही हैं. इस पर सिल्क साड़ी, सलवार सूट, कुरता पायजामा व शर्ट पर बेहतरीन इंब्राइड्रिंग हो रही है. एक थान पर 1500 से 10000 रुपये तक की होती है इंब्राइड्रिंग सरदारपुर रोड में एक मशीन पर काम कर रहे कारीगर मो मोनू ने बताया कि इस मशीन में बूटी बनाने वाली डिजिटल कंट्रोलिंग मशीन लगी है. इसकी सहायता से जैसी भी डिजाइन चाहें बना सकते हैं. एक थान कपड़े पर 1500 से 10000 तक डिजाइन बनती है. सलवार सूट 250 रुपये, कुरता पायजामा दो सौ रुपये व शर्ट पर दो सौ से पांच तक की इंब्राइड्रिंग डिजाइन बनायी जाती है. आवश्यकता ने किया अाविष्कार बुनकर क्षेत्र में चार पांच साल से पैडल इंब्राइड्री मशीन पर काम करनेवाले गिनती के कारीगर हैं. चंपानगर कसबा मोहल्ले में पैडल इंब्राइडिंग मशीन व स्टीचिंग मशीन से काम करने वाले कारीगर मो रियाज आलम उर्फ राजू ने बताया कि हमलोग पूरा परिवार इस काम को करते हैं. पहले पैर से मशीन चला कर काम करने पर बहुत कम आमदनी होती थी. आर्डर आने पर रात दिन करने पर भी पेट नहीं भरता था. इसलिए मैने पैडल मशीन में हाफ एचपी का बिजली मोटर लगा लिया है. इससे कम समय में अधिक काम होता है. हमारे अलावे चंपानगर में और कोई यह काम नहीं करता है. हमारे यहां सिल्क, कॉटन सिल्क, लीलन, स्टेपल सहित कई तरह के कपड़े पर इंब्राइड्रिंग होती है. साथ ही सलवार सूट, दुपट्टा, पीलो कवर, कुशन, पर्दा व कुरता पायजामा और शर्ट तैयार होता है. इस तैयार कपड़े को बुनकर व बड़े महाजन सीधे बाजार में ले जाकर बेच रहे हैं. यदि सरकार मदद करे, तो बड़े पैमाने पर काम कर सकते हैं. साथ ही इस काम से और भी लोग जुड़ेंगे और सिल्क सिटी में फिर से वही रौनक वापस हो सकता है.

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