रेलवे ट्रैक पर हर माह जा रही दो-तीन जानेंफोटो : शॉर्टकट के फेर में हो रही मौत-पिछले साल ट्रैक पर जितनी जानें गयीं, इस साल नौ माह में ही बराबर हो चुका है आंकड़ा-पीरपैंती और जमालपुर के बीच ज्यादा लोग कट रहे ट्रेन से संवाददाता, भागलपुर रेलवे ट्रैक पर मिलने वाले शव की संख्या बढ़ रही है. ये मौतें या तो ट्रेन से गिर कर कटने से होती है या फिर ट्रैक पार करने के दौरान ट्रेन की चपेट में आने से. गत वर्ष ट्रेन से कट कर मरनेवाले लोगों से अधिक इस साल के नवंबर तक लोगों की जानें गयी. वह भी तब, जबकि साल बीतने में अभी चार माह बाकी है. आरपीएफ के रजिस्टर में दर्ज मामलों के अनुसार इस साल अबतक (नवंबर) करीब 110 व्यक्तियों की मौत ट्रेन से कट कर हो चुकी है. 80 से अधिक लोगों की मौत राजकीय रेल पुलिस के रिकॉर्ड में है. माह में दो-तीन लोगों की मौत ट्रेन से कट कर हो रही है. रेल प्रशासन का मानना है कि ज्यादातर लोग जल्दी के चक्कर में अपनी जिंदगी गंवा रहे हैं. जल्दबाजी के चक्कर में लोग ट्रैक पार करते हैं, ट्रेन रुके बिना उतरने या चलती ट्रेन में चढ़ने का प्रयास करते हैं. मानव रहित समपार पर बिना देखे ट्रैक पार करते हैं. इन सब कारणों से वे ट्रेन की चपेट में आ रहे हैं. उक्त आंकड़ों में सर्वाधिक मौतें साहेबगंज-किऊल रेलखंड पर पीरपैंती से जमालपुर के बीच की है, जो ट्रैक पार करने के दौरान की है, जिसमें से आउटर, मानव रहित समपार फाटक (आवाजाही के बाद भी फाटक नहीं) आदि शामिल है. यहां बना रहता ज्यादा खतराभागलपुर रेलवे स्टेशन के पूर्वी आउटर और पश्चिमी केबिन के नजदीक मौलानाचक जानेवाले रास्ते पर ज्यादा खतरा बना है. शॉर्टकट के चक्कर में हजारों लोग बिना देखे-सुने ट्रैक पार करते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं. इससे ज्यादा खतरनाक स्थिति मौलानाचक जाने वाले रास्ते की है. अबतक में लगभग आधा दर्जन लोगों की मौत ट्रेन से कटने से हो चुकी है. यहां न तो मानव रहित फाटक है और न लोगों को रोकने के लिए रेलवे कर्मचारी. ट्रैक के एक ओर तातारपुर मुहल्ला है, तो दूसरी ओर मौलानाचक. इसके चलते दोनों ओर से स्कूली बच्चे, बड़े-बूढ़े, महिला, युवा वर्ग की आवाजाही होती है. रेलवे ने भी कभी यह प्रयास नहीं किया कि फाटक स्थापित किया जाये. नतीजा, आये दिन ट्रैक पार करने के दौरान कोई न कोई व्यक्ति ट्रेन की चपेट में आ रहा है और उसकी मौत हो रही है. रेलवे में मुआवजा का भी प्रावधानट्रेन से कटने पर रेलवे की ओर से मुआवजा दिये जाने का प्रावधान है. मगर, इसके लिए रेलवे द्वारा बनाये गये मानक का पालन करना होगा. मुआवजा के लिए आवेदक द्वारा अधिवक्ता दावा संबंधित आवेदन को रजिस्ट्रार को देना होगा. रजिस्ट्रार को आवेदन देने से पूर्व यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि आवेदक के रहने का स्थान या वह स्थान जहां से यात्री ने अपना रेल यात्रा टिकट खरीदा हो या वह स्थान जहां घटना हुई हो या फिर गंतव्य स्टेशन उस दावा के कार्यक्षेत्र में आता है. आवेदन को रजिस्टर्ड पोस्ट द्वारा भी संबंधित बैंच के रजिस्ट्रार को भेजा जा सकता है. दावा करने वाला घायल व्यक्ति स्वयं या घटना में मृत या घायल व्यक्ति का वारिस हो सकता है. फाटक पर दुर्घटना पर अनुग्रह राशि का प्रावधान नहीं समपार फाटकों पर रेल एवं सड़क वाहनों के बीच हुई टक्कर मे यदि रेल यात्री हताहत नहीं हुए हो और रेल से कट कर मौत हो जाती है, तो ऐसी स्थिति में रेल प्रशासन पर क्षतिपूर्ति का कोई दायित्व नहीं होता हैं. कानून का सहारा लिया जा सकता है. मानवरहित समपार फाटकों में हताहत होने पर कोई अनुग्रह राशि नहीं दी जाती है. ये रहे कारण, तो नहीं मिलेगी क्षतिपूर्ति-ट्रेन के दरवाजों पर खड़े होकर यात्रा- ट्रेन की छत पर यात्रा-चलती ट्रेन पर चढ़ने या उतरने की कोशिश-बिना चौकीदार वाले समपार फाटकों को पार करने से पूर्व बगैर दायें व बायें देखे-बंद समपार फटकों को जबरदस्ती पार करने की कोशिश
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रेलवे ट्रैक पर हर माह जा रही दो-तीन जानें
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