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115 मीटर जमीन अटकायेगी बाइपास नर्मिाण

115 मीटर जमीन अटकायेगी बाइपास निर्माण बाइपास: सर्वे के दौरान हुआ खुलासा, बीच में जमीन अधिग्रहण करना भूल गया था एनएच विभाग-चीफ इंजीनियर ने सुपरिटेंडेंट इंजीनियर और कार्यपालक अभियंता को भेजा पत्र, कहा मामला सामने लाया जायेसंवाददाता, भागलपुर लगभग 200.70 करोड़ की लागत से बननेवाले बाइपास के निर्माण में जमीन बाधक बन सकती है. नेशनल […]

115 मीटर जमीन अटकायेगी बाइपास निर्माण बाइपास: सर्वे के दौरान हुआ खुलासा, बीच में जमीन अधिग्रहण करना भूल गया था एनएच विभाग-चीफ इंजीनियर ने सुपरिटेंडेंट इंजीनियर और कार्यपालक अभियंता को भेजा पत्र, कहा मामला सामने लाया जायेसंवाददाता, भागलपुर लगभग 200.70 करोड़ की लागत से बननेवाले बाइपास के निर्माण में जमीन बाधक बन सकती है. नेशनल हाइवे-80 के 132 वां किमी पर जीरोमाइल के पास एनएच विभाग 115 मीटर जमीन अधिग्रहण करना भूल गया है. इसका सीधा असर बाइपास के निर्माण कार्य पर पड़ेगा. विभागीय इंजीनियर और राजस्थान की जीआर इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड के संयुक्त सर्वे के दौरान जमीन अधिग्रहण का मामला प्रकाश में आया है. इसे लेकर चीफ इंजीनियर राम अवधेश प्रसाद ने सुपरिटेंडेंट इंजीनियर और कार्यपालक अभियंता को पत्र लिखा है और कहा है कि पूरे मामले को सामने लाया जाये. मालूम हो कि स्थायी बाइपास के लिए पहल वर्ष 2000 में की गयी थी. तत्कालीन कार्यपालक अभियंता राकेश कुमार ने एलाइनमेंट का सर्वे किया था. जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई की गयी थी. वर्ष 2010 में लगभग सौ करोड़ का डीपीआर बना कर स्वीकृति के लिए भेजा गया था. फाइल अटकने के कारण फिर से एस्टिमेट रिवाइज किया गया. इसमें 200.78 करोड़ एस्टिमेट कॉस्ट आया. समय से टेंडर की प्रक्रिया पूरी नहीं होने से फिर से एस्टिमेट रिविजन किया गया. एस्टिमेट कॉस्ट 232.44 करोड़ आया. इसके बाद टेंडर की प्रक्रिया शुरू की गयी, लेकिन समय से टेंडर नहीं हो सका और एस्टिमेट कॉस्ट बढ़ कर 240.53 करोड़ हो गया. इस बीच बाइपास के निर्माण को लेकर टेंडर का खेल चलता रहा. मामल हाइकोर्ट में भी गया. अब जाकर टेंडर फाइल हुआ और राजस्थान की जीआर इंफ्रा प्रोजेक्टर प्राइवेट लिमिटेड को निर्माण की जिम्मेदारी मिली है, तो जमीन अधिग्रहण का पेच फंस गया है, जिसका असर सीधे तौर पर शुरू होने वाले निर्माण पर पड़ेगा. कैसे बनेगी एक साल आठ माह में सड़कजिलाधिकारी ने विभाग सहित राजस्थान की जीआर इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड को एक साल आठ माह में बाइपास तैयार करने कहा है. मगर, जमीन अधिग्रहण के बिना निर्धारित समयसीमा में कार्य संपन्न होने में संदेह है. अगर कंपनी निर्माण का कार्य शुरू भी करती है, तो काम 132 वां किमी पर पहुुंच कर रूक जायेगी. मालूम हो कि बाइपास निर्माण के लिए दो साल का समय निर्धारित है. इधर संयुक्त सर्वे कार्य लगभग पूरा हो गया है. मगर, अबतक सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से राजस्थान की जीआर इंफ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड का काम शुरू करने के लिए नियत समय नहीं मिला है. जीरोमाइल के पास दो-चार प्लाट में जमीन अधिग्रहण नहीं हो सका है. निर्माण का कार्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा. निर्माण का कार्य के दौरान ही जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी की जायेगी. बाइपास का निर्माण हर हाल में होगा. राम अवधेश कुमार, चीफ इंजीनियर राष्ट्रीस उच्च पथ, पटना

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