भागलपुर: टीएनबी लॉ कॉलेज में गुरुवार को व्याख्यान का आयोजन किया गया. व्याख्यान का विषय सामाजिक व शैक्षिक रूप से वंचित छात्रों को समान अवसर उपलब्ध कराने में यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) की भूमिका थी.
वक्ताओं ने इस विषय पर प्रकाश डाला. इसके बाद पूर्व में आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता में अव्वल प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया. प्रधानमंत्री के पूर्व आर्थिक सलाहकार डॉ एससी झा ने कहा कि विश्व में जहां भी आर्थिक मंदी है, उसका कारण लोगों के पास विजन का नहीं होना है. भारतीयों को बचत करने की आदत है. इसकी वजह से हमलोगों के सामने आर्थिक मंदी की समस्या उत्पन्न नहीं होती. पश्चिमी देश अजिर्त करने से ज्यादा कर्ज लेते हैं. प्रतिमाह किसी की आय 100 रुपये हो और 150 रुपये कर्ज ले, तो आर्थिक संकट होगा ही. जब आर्थिक संकट हुआ था, तो प्रधानमंत्री ने उनसे इसका उपाय पूछा था.
उन्होंने बचत करने से ही इससे उबरने का सुझाव दिया था. डॉ झा ने कहा कि हमारा रुपया जो देश के बाहर गया, वह वापस नहीं आ पा रहा है. इस कारण रुपया का भाव गिरा. तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एनके वर्मा ने कहा कि वंचित छात्र-छात्राओं को मुख्य धारा में जोड़ने के लिए यूजीसी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इसके लिए रेमेडियल क्लास, छात्रवृत्ति का लाभ दिया जा रहा है. यह पूरी तरह से मिले, तो इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा. कार्यक्रम को इग्नू के पूर्व कुलपति डॉ जे झा व तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ एनके सिन्हा ने भी संबोधित किया. प्राचार्य डॉ एसके पांडेय ने सभी अतिथियों का स्वागत किया.
उन्होंने कॉलेज के छात्रों के लिए छात्रावास की व्यवस्था करने का अनुरोध किया. पूर्व में हुई वाद-विवाद प्रतियोगिता में अव्वल रहे छात्रों को पुरस्कृत किया गया. यह प्रतियोगिता सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दागी जनप्रतिनिधियों की सदस्यता समाप्त करने का निर्णय लोकतंत्र के हित में है विषय पर आयोजित किया गया था. डॉ एससी झा के हाथों संजय कुमार दत्ता (सेमेस्टर चार) को प्रथम पुरस्कार, राकेश कुमार दीपक (सेमेस्टर दो) को द्वितीय पुरस्कार, अभिजीत कुमार (सेमेस्टर चार) व सादिया फिरदौसी (सेमेस्टर छह) को तीसरा पुरस्कार प्रदान किया गया. आलोक कुमार (सेमेस्टर चार) व हेमंत कुमार (सेमेस्टर एक) को सांत्वना पुरस्कार दिया गया. इस मौके पर डॉ विजय कुमार सिंह, डॉ चंद्रेश, डॉ संजीव कुमार सिन्हा आदि मौजूद थे.