18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झालरों की चमक से जगमग हुआ बाजार

झालरों की चमक से जगमग हुआ बाजार-दीपावली को लेकर बिजली के सजावटी झालरों से पटा बाजार-बिजली के दीपक, मोमबत्ती व रंग-बिरंगी झालर उपलब्ध-एलइडी लाइट व डीजे बल्ब के प्रति लोगों का बढ़ा रुझान फोटो नंबर : सुरेंद्र जी दीपक राव, भागलपुर रोशनी का त्योहार दीपावली को लेकर बिजली के सजावटी झालरों का बाजार सज चुका […]

झालरों की चमक से जगमग हुआ बाजार-दीपावली को लेकर बिजली के सजावटी झालरों से पटा बाजार-बिजली के दीपक, मोमबत्ती व रंग-बिरंगी झालर उपलब्ध-एलइडी लाइट व डीजे बल्ब के प्रति लोगों का बढ़ा रुझान फोटो नंबर : सुरेंद्र जी दीपक राव, भागलपुर रोशनी का त्योहार दीपावली को लेकर बिजली के सजावटी झालरों का बाजार सज चुका है. बाजार में चाइना पूरी तरह से छा गया है. चाइना निर्मित रंग-बिरंगे फूल-पत्ती वाली लाइट के प्रति लोग आकर्षित हो रहे हैं, इस बीच मिट्टी के दीये रस्म अदायगी बन कर रह गयी है. दीया-बत्ती बनाने वाले कारोबारियों का दिन लदने के बाद मोमबत्ती के कारोबारियों का दिन लद रहा है. आधुनिकता की दौर में हर वर्ष लाइट की क्वालिटी बदलती जा रही है और पुरानी लाइट बेकार हो रही है.लोगों का रुझान एलइडी लाइट के प्रति इतना बढ़ गया है कि सभी पुरानी चीजें लोगों के शौकिया सोच के सामने रद्दी की चीज बनती जा रही है. 60 लाख से अधिक का होगा कारोबारबाजार में इससे संबंधित छोटी-बड़ी 200 से अधिक दुकानें है. इसके अलावा गिफ्ट दुकान वाले भी अभी तरह-तरह के डिजाइन में लाइट उतार चुके हैं. उनकी ग्राहकी तीगुनी से चौगुनी बढ़ गयी है. ऐसे में दीपावली को लेकर सजावटी लाइट से केवल 60 लाख रुपये से अधिक के कारोबार की संभावना है. वॉल सिनरी से सजायेंगे घर, लाइट से बने पेड़-पौधा,ओम्, स्वस्तिक, जय माता दी, शुभ दीपावली, सजावटी गुलदस्ता, मिरची, फूल की लड़ियां, लाइट फोटो, राइस लाइट, मल्टी झालर, एलइडी लाइट, वॉल सिनरी आदि डिजाइन में लाइट दुकानों में सजायी गयी है. सजावटी सामान पर महंगाई की मार पिछले वर्ष से इस बार 10 से 15 फीसदी तक है, जबकि इसी में एक आइटम डीजे बल्व की मांग बढ़ने के साथ इसके दाम घटे हैं. दिवाली में चाइना का घुसपैठ सजावटी लाइट के व्यवसायी विजय मंगल बताते हैं कि दुर्गा पूजा के एक सप्ताह के बाद ही दिवाली के बाजार में रौनक बढ़ती है. अब बाजार में धीरे-धीरे ग्राहकी बढ़ने लगी है. अधिकतर लाइट चाइना प्रोडक्ट है. इसे ही लोग पसंद करते हैं. इतना कम दाम में इतनी चमकदार लाइट यहां की उपलब्ध नहीं हो पाती है. लाइट से दे रहे पर्यावरण संरक्षण का संदेश इस बार सजावटी लाइट की दुकानों में पर्यावरण प्रेम से लोगों को लुभाने की कोशिश हो रही है. लोगों को भी सजावटी पेड़-पौधे में लाइट, लीची लाइट, अंगूर लाइट, झरना लाइट आदि भा रहा है. दूसरे लाइट दुकानदार गोल्डन कुमार ने बताया कि लोग ऐसी लाइट पसंद कर रहे हैं, जिससे साल भर तक अपने पूजा घर आदि स्थानों में सजा सके. ग्राहक दूसरी दीपावली आते ही नये तरह की लाइट खोजने लगते हैं. इस बार बाजार में एलइडी लाइट की मांग बढ़ी है. खासकर रिमोट, डीजे व चकरी बल्व की मांग अधिक कर रहे हैं. एक कारोबारी ने बताया खुदरा दुकानदार सामान्य दिन में इस तरह के लाइट नहीं के बराबर बेच पाते हैं. कोई अवसर या त्योहार ही इसके कारोबार के लिए उपयुक्त होता है. अभी 12 हजार रुपये तक रोजाना केवल झालर लाइट की बिक्री हो जाती है. शुभकारी है बंबू ट्री व लाफिंग बुद्धा सजावटी फूल-पत्तियों के कारोबारी गोल्डन कुमार बताते हैं सजावटी लाइट में लट्टू झालर, पाइप झालर के अलावा पूजा स्थान या अपने टेबल पर सजाने के लिए भगवान कुबेर, बंबू ट्री एवं लाफिंग बुद्धा खरीदना शुभ मान रहे हैं. इससे इसकी बिक्री एकाएक बढ़ गयी है. सामान दामसजावटी दीया 50-150सजावटी मोमबत्ती 50-150एलइडी लाइट 100-450फूल की लड़ियां 10-100वंदन वार 50-450हार माला 20-250डीजे बल्ब 100चकरी बल्ब 150 से 450रिमोट एलइडी झालर 200 से 650 रोप लाइट 800 से 1200शुभ दीपावली 100-150लाइट फोटो 150-300राइस लाइट 100-150मिरची लाइट 20-50मल्टी झालर 60-150लाफिंग बुद्धा 20-150बंबू ट्री 100-450झरना वाली लाइट 1000 से 1500लाइट गणेश 250बॉक्स मैटरमिट्टी के दीपक की सिर्फ रस्म अदायगीजहां एक ओर बाजार में बिजली के सजावटी झालरों ने कब्जा जमा लिया है, वहीं दूसरी ओर मिट्टी के दीये कहीं-कहीं स्थान विशेष पर देखे जा रहे हैं. इससे यही लगता है कि धीरे-धीरे आधुनिकता के दौर में मिट्टी के दीये रस्म अदायगी न हो जाये. मिट्टी के दीये की बिक्री कम होने से कुम्हार का रोजगार तो छीन रहा है, वहीं चाइना में बने इन इलेक्ट्रॉनिक झालरों की बिक्री बढ़ने से स्वदेशी आंदोलन की हवा निकल गयी है. पहले एक लाख, अब 10 हजार भी नहीं बिक रहे रामसर-काजीवलीचक के धर्मेंद्र पंडित ने बताया कि छह सात साल पहले एक लाख मिट्टी के दीये बिक जाते थे, तो परिवार खुशहाल दिखता था. अब इलेक्ट्रॉनिक झालर आने से बाजार सिमटता जा रहा है. परिवार के कई लोग दूसरे धंधे से जुड़ने लगे हैं या बाहर जाकर दूसरे धंधे से जुड़ गये. पहले दीपावली आने का इंतजार रहता था, अब केवल त्योहार के रूप में इसे देखते हैं. धंधा के लिए सामान्य मौसम सा ही दिखता है. लोगों के घटने से मिट्टी का दीया बनाने में मेहनत बढ़ गया और मुनाफा घट गया. यही कहना सुखदेव पंडित, छोटन पंडित, उग्रमोहन पंडित, गंगटी के पांचू पंडित आदि का भी है. यहां है बनता है मिट्टी के दीये व सजावटी सामानशहर के रामसर, अंबे, गंगटी, मिरजानहाट, रामपुर, मारूफचक, नाथनगर, चंपानगर विषहरी स्थान आदि स्थानों पर लोग आज भी मिट्टी के दीये, मूर्ति, मिट्टी के बरतन आदि बना कर जैसे-तैसे जीवन यापन कर रहे हैं. अब उनका मुनाफा घट कर 25 फीसदी रह गया है. मोमबत्ती की बिक्री 50 फीसदी घटीगोशाला समीप के मोमबत्ती कारोबारी अभिजीत गुप्ता ने बताया कि सस्ते में चाइना की बनी सजावटी झालर बाजार में आने से मोमबत्ती की बिक्री घटती जा रही है. पहले एक दिन में दीवाली के दौरान 10 से 15 हजार की बिक्री कर लेते थे, अब घट कर पांच से आठ हजार ही कर पाते हैं. पहले कारोबार को लेकर दीवाली आने का इंतजार रहता था, अब केवल दिवाली मनाने के लिए इंतजार रहता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें