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रसोई में लगी आग, गृहिणी की बढ़ी चिंता

रसोई में लगी आग, गृहिणी की बढ़ी चिंता-त्योहारी मौसम में महंगाई से आम लोगों की चिंता बढ़ी, मेहमानों की खातिरदारी में न हो जाये कमी-पिछले वर्ष से दुगुनी कीमत में बिक रहे अरहर दाल व डेढ़ गुनी कीमत में सरसों तेलफोटो नंबर : आशुतोष जी संवाददाता,भागलपुरदीपावली, काली पूजा व छठ महापर्व में महंगाई ने आम […]

रसोई में लगी आग, गृहिणी की बढ़ी चिंता-त्योहारी मौसम में महंगाई से आम लोगों की चिंता बढ़ी, मेहमानों की खातिरदारी में न हो जाये कमी-पिछले वर्ष से दुगुनी कीमत में बिक रहे अरहर दाल व डेढ़ गुनी कीमत में सरसों तेलफोटो नंबर : आशुतोष जी संवाददाता,भागलपुरदीपावली, काली पूजा व छठ महापर्व में महंगाई ने आम लोगों की चिंता बढ़ा दी है. उनकी चिंता है कि त्योहार पर बाहर से आनेवाले मेहमानों की खातिरदारी करने में महंगाई आड़े नहीं आ जाये. पिछले वर्ष से दाल व सरसों तेल समेत अन्य खाद्यान्न की कीमत में दोगुनी बढ़ोतरी हो गयी है. इससे गृहणियों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है.उत्पादन घटा, मांग बढ़ीकिराना दुकानदारों का कहना है कि बेमौसम बारिश के कारण इस बार रबी फसल को काफी क्षति पहुंची. इसी कारण जमाखोरों को भी मौका मिल गया और उन्होंने अधिक से अधिक मुनाफा के लिए उम्मीद से अधिक भाव बढ़ा दिये. इसी का नतीजा हुआ कि अरहर दाल का भाव दुगुना एवं सरसों तेल डेढ़गुना बढ़ गये. लोगों की रसोई में महंगाई की आग लग गयी. प्रशासन सजग, फिर भी महंगाईप्रशासनिक अधिकारियों द्वारा महंगाई पर नियंत्रण लगाने के लिए जमाखोरों के खिलाफ अभियान चलाया गया. इसका नतीजा हुआ कि थोक कारोबारियों ने तो अपने भाव गिरा लिये, लेकिन शहर व जिले के अलग-अलग स्थानों पर खुदरा दुकानदार अब भी बढ़े हुए भाव में ही खाद्यान्न बेच रहे हैं. त्योहार के मौसम में भी सामान्य कारोबारकिराना कारोबारी संतोष कुमार, अमित सिंह एवं मेवा कारोबारी कृष्ण मुरारी केसरी ने बताया कि त्योहार के मौसम में जो पिछले वर्ष कारोबार बढ़ा था, वह इस बार नहीं है, लेकिन मंदी नहीं है. सामान्य रूप से कारोबार चल रहा है. ऐसा नहीं लगता है कि त्योहार का मौसम है. कारोबार हाे रहा है, लेकिन लोगों ने खरीदारी करने में मात्रा घटा दी है.खाद्यान्न एक वर्ष पहले का भाव वर्तमान भावसरसों तेल 85 से 90 110 से 125 रूपये लीटरअरहर दाल 75रुपये किलो 160 रुपये किलोचना दाल 46 रुपये किलो 62 रुपये किलोमसूर दाल 62 रुपये किलो 75 रुपये किलोमूंग दाल 100 रुपये किलो 105 रुपये किलो————चुनाव लड़ने का खर्चा जुटा रहे हैं नेतारसोई संबंधी सामग्री पर महंगाई की मार पड़ने से गृहणियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. उनका कहना है कि रसोई में आग लग गयी है. आम लोग इसमें झुलसता जा रहा है. इस आग में पानी देनेवाला कोई नहीं है. चुनाव के दौरान सभी नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं, लेकिन जनता की चिंता किसी को नहीं है. सभी नेता जनता पर लादे गये महंगाई से चुनाव का खर्च निकाल रहे हैं.रसोई में आग लग गयी है. इसे बुझाने के लिए किसी नेताओं में चिंता नहीं दिख रही है. अभी चुनाव है तो नेता खानापूर्ति कर रहे हैं.शिप्रा मोइत्रा———पहले प्याज और अब दाल व तेल का भाव बढ़ गये हैं. दाल और प्याज तो थाली से गायब ही हो गया है. निरस होकर भोजन करना पड़ता है.पंपा——–पहले जब सामान्य भाव थे तो तरह-तरह के व्यंजन का मजा मिलता था. अब महंगाई के कारण रूखा-सूखा भोजन करना पड़ता है. गरीबों के घर की स्थिति तो और खराब है.छाया मुखर्जी———जनता भूखी है या भुखमरी के कगार पर है. इसकी चिंता न नेताओं को है न ही प्रशासनिक पदाधिकारियों को. वे केवल एक-दो दिन कारोबारियों को हड़काते हैं, लेकिन भाव बरकरार रहता है.जूली प्रिया

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