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सज गयीं दुकानें, अब सजेगा घर

सज गयीं दुकानें, अब सजेगा घर -तैयारी दीवाली की-रंग,चूना व अन्य सामग्री का चौगुना बढ़ा कारोबार – वास्तुशास्त्र के अनुसार रंग कराने की बढ़ी चाहत – दीवाली से पहले घर को सजाना शुभ मानते हैं लोग फोटो नंबर : सुरेंद्र जी संवाददाता, भागलपुर लोगों ने दीवाली की तैयारी शुरू कर दी है. दीवाली में देवी […]

सज गयीं दुकानें, अब सजेगा घर -तैयारी दीवाली की-रंग,चूना व अन्य सामग्री का चौगुना बढ़ा कारोबार – वास्तुशास्त्र के अनुसार रंग कराने की बढ़ी चाहत – दीवाली से पहले घर को सजाना शुभ मानते हैं लोग फोटो नंबर : सुरेंद्र जी संवाददाता, भागलपुर लोगों ने दीवाली की तैयारी शुरू कर दी है. दीवाली में देवी लक्ष्मी की पूजा होती है. देवी लक्ष्मी के स्वागत में घर को सजाने की तैयारी शुरू हो गयी है. बाजार भी इस मामले में पीछे नहीं है और यहां पर घर सजाने के समान की दुकानें सज गयी है. इन दुकानों पर ग्राहकों की इतनी भीड़ है कि रंग, चूना व अन्य संबंधित सामग्री फेविकोल, वॉल पुट्टी, प्लास्टर ऑफ पेरिस का कारोबार चौगुना बढ़ गया है. अभी लोगों में गहरे रंग की मांग बढ़ी है. इस बार खाद्यान्नों पर जहां महंगाई की मार है, उसकी अपेक्षा घर सजाने के सामान के भाव नहीं बढ़े हैं. इससे थोड़ी राहत है. केवल मजदूर प्रतिदिन 50 रुपये महंगा हो गया है. लोगों को भा रहा है फैंसी व डिजाइनर फूल-पत्ती घर के सजावट में रंग के अलावा फूल-पत्ती की भी जरूरत होती है. इसे लेकर बाजार में दुकानें सजायी गयी है, जहां पर फैंसी झालर, कागज लैंप, बंदनवार, रंगोली आदि बिक रहे हैं. अभी डिजाइनर झालर लोगों को अधिक लुभा रहे हैं. 15 करोड़ से अधिक का रंग का कारोबारभागलपुर के लोहापट्टी में केवल 18 रंग कारोबारी हैं, जबकि पूरे शहर में 40 से अधिक रंग कारोबारी हैं. भागलपुर बाजार से दुमका, गोड्डा, साहेबगंज, बांका, जमालपुर, कोसी क्षेत्र खगड़िया, नवगछिया, बिहपुर आदि क्षेत्रों में रंग का कारोबार होता है. रंग कारोबारी अजय कुमार वर्मा बताते हैं एक सीजन में 15 करोड़ से अधिक का रंग व इससे संबंधित सामान का कारोबार होता है. श्री वर्मा बताते हैं कि रंग व पेंट का कारोबार विश्वकर्मा पूजा के बाद से ही शुरू होता है और दुर्गा पूजा के बाद कारोबार में तेजी आ जाती है. लोग दुर्गा पूजा के बाद और दिवाली से पहले घर को रंग-रोगन करना शुभ मानते हैं. पिछले वर्ष से इस बार प्लास्टिक पेंट में नया मेटालिक सेट आया है. इस पेंट में डिजाइन उकेरने का नया तरीका तैयार किया गया है. लोगों को भा रहा गहरा रंग पेंट व्यवसायी श्री वर्मा बताते हैं पहले लोग हल्का रंग पसंद करते थे, लेकिन अब जमाना बदल गया है. लोगों को गहरा रंग अधिक पसंद आ रहा है. बैगनी, ऑरेंज आदि रंग लोगों को अधिक भा रहा है. नीला रंग शांति, सफेद व क्रीम रंग आनंददायी दूसरे पेंट व्यवसायी ईश्वर प्रसाद झुनझुनवाला ने बताया कि लोगों में वास्तुशास्त्र के मुताबिक रंग कराने की इच्छा बढ़ी है. उनका मानना है कि इससे सुख-शांति बनी रहती है. कमरों की दिशा के अनुसार रंग का चयन होता है. नीला रंग शांति का प्रतीक होता है. लाल रंग उत्तेजना पैदा करता है. सफेद और क्रीम कलर आनंद दायक होता है. पूजा घर में अक्सर लोग गुलाबी रंग कराते हैं, इसे भी शांति का प्रतीक माना जाता है. बाहरी व अंदर की दीवार के लिए अलग-अलग पेंटश्री झुनझुनवाला ने बताया कि जाड़े में जैसे ऊनी कपड़ा व गरमी में कॉटन कपड़ा पहनते हैं, उसी प्रकार घर की बाहरी दीवार के लिए अलग पेंट और अंदर के लिए अलग पेंट आते हैं. फिलहाल टेक्सर पेंट का प्रचलन बढ़ा है, इसमें मेटालिक सेट से अधिक डिजाइन तैयार होती है और सुंदरता में चार चांद लग जाती है. 10 वाई 10 कमरा में रंग व चूना कराने का खर्चयदि आप 10 वाई 10 कमरा में चूना करायेंगे तो आपको मजदूरी समेत 500 रुपये खर्च आयेंगे, जबकि सीमेंट पेंट कराने में मजदूरी समेत 800 रुपये और प्लास्टिक पेंट में 4775 रुपये खर्च आते हैं. 10 वाई 10 रूम में चूना कराने में 60 रुपये का पांच किलो चूना, 20 रुपये में ढाई सौ ग्राम फेविकॉल, 35 रुपये का कलर या नील का 10 रुपये लगता है. एक दिन में एक रूम की रंगाई हो जाती है. रंग कराने के लिए एक मजदूर लगता है, जिसकी मजदूरी 400 रुपये है. सीमेंट पेंट कराने में मध्यम गुणवत्ता वाले सीमेंट पेंट में 25 किलो का 525 रुपये व मजदूरी एक दिन का 450 रुपये है. उच्च गुणवत्ता वाले 15 किलो सीमेंट पेंट का दाम 590 रुपये है. प्लास्टिक पेंट कराने में 10 वाई 10 कमरा में एक लेबर को पांच दिन समय लगता है. इसमें 2200 रुपये मजदूर खर्च, 50 किलो वॉल पुट्टी में 1350 रुपये व चार लीटर प्राइमर में 370 रुपये लगता है. इसके बाद प्लास्टिक पेंट में दो लीटर उजला रंग 500 रुपये, जिसे छत के सिरे पर व दीवार में 950 रुपये का अन्य रंग कराया जाता है, जो चार लीटर लगता है. डिस्टेंपर कराने में प्लास्टिक पेंट को छोड़ वॉल पुट्टी, प्राइमर व पांच दिनों का मजदूर खर्च आता है. इसमें प्लास्टिक पेंट की जगह 575 रुपये का 10 किलो डिस्टेंपर लगता है. कई लोग वॉल पुट्टी की जगह प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग करते हैं, 50 किलो प्लास्टर ऑफ पेरिस का 1300 रुपये खर्च पड़ता है. रंग व संबंधित सामग्री पिछले वर्ष के दाम अब के दाम चूना 10 किलो 115-120 रुपये किलो डिस्टेंपर —– 60 रुपये किलो प्लास्टिक पेंट ———— 250 रुपये लीटरचार इंच का ब्रश —– 120फेविकोल ———— 75 रुपये किलोसन 70 रुपये किलो 100 रुपये पेंटर मजदूर 350 रुपये प्रति दिन एक 400फैंसी फूल-पत्ती दामकागज का लैंप 30 से 100 रुपये पीसफैंसी झालर 5 से 125 रुपये पीसबंदनवार 30 से 300रंगोली 5 से 50

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