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पांच बजे ही निकल गये वोट करने के लिए

पांच बजे ही निकल गये वोट करने के लिएनाथनगर विधानसभा से सुनील कुमार सोलंकीसंवाददाता भागलपुर : भारत की लोकतात्रिक व्यवस्था में मतदान को महापर्व का दर्जा ऐसे ही नहीं मिला है. चुनाव की महत्ता क्या होती है, इसकी एक मिशाल नाथनगर विधानसभा सीट के बूथ संख्या-62 और 63 पर देखने काे मिली. हां हम बात […]

पांच बजे ही निकल गये वोट करने के लिएनाथनगर विधानसभा से सुनील कुमार सोलंकीसंवाददाता भागलपुर : भारत की लोकतात्रिक व्यवस्था में मतदान को महापर्व का दर्जा ऐसे ही नहीं मिला है. चुनाव की महत्ता क्या होती है, इसकी एक मिशाल नाथनगर विधानसभा सीट के बूथ संख्या-62 और 63 पर देखने काे मिली. हां हम बात कर रहे हैं नाथनगर विधान सभा क्षेत्र के मध्य विद्यालय वेलसिरा में बने बूथ की. इस बूथ पर आसपास के पांच गांवों के लोगों लिए मतदान केंद्र बनाया गया था. इस बूथ पर वेलसिरा गांव के अलावा दरादी, बादरपुर, कटहरा, नयाचक, प्राणपुर आदि गांवों के लोगों को मतदान की सुविधा प्रदान की गयी थी. बूथ से वेलसिरा छोड़ हर गांव की दूरी चार से छह किलोमीटर रहने के बावजूद मतदाताओं के चेहरे पर कोई शिकन नहीं दिख रहा था. वोट के प्रति मतदाताओं के जब्बे व जुनून चार से छह किलोमीटर की पगडंडी भी कोई चुनौती नहीं बनी, क्योंकि वोट देना था इसलिए मतदाताओं ने सुबह पांच बजे ही घर से पैदल निकल पड़े थे. डेढ़-दो घंटे चलकर मतदान केंद्र पहुंचने के बाद भी सभी मतदाताओं में वही जोश व जज्बा दिख रहा था. दरादी के राजेश कुमार, कटहरा के दिनेश मंडल, नया चक के राकेश मंडल, बादरपुर के अमरजीत, नयाचक के अजीत कुमार आदि ने बताया कि वे लोग 7.30 में मतदान केंद्र पर पहुंचकर पंक्ति में खड़े हो गये हैं. करीब एक घंटा हो चुका है, लेकिन जबतक मतदान नहीं करेंगे उन्हें खुशी नहीं होगी. आज के दिन मतदान करने से बड़ा कोई काम नहीं है, इसलिए पहले मतदान फिर कोई काम करेंगे. महिला मतदाताओं के हौंसले को भी सलाम उसी बूथ संख्या-62 पर महिला मतदाता भी अपनी नजरी गढ़ रही थी. सुबह-सुबह सात बजे ही वोट देने के लिए लाइन में खड़ी हो गयी थी. लाइन भी पुरुष लाइन से किसी मायने में कम नहीं. दरारी की सुलेखा देवी, नया चक की नुनुवती देवी, कटहरा की प्रभा देवी, बादरपुर की पार्वती देवी से जब पूछा कि आपलोग कब घर से निकलीं थीं तो बताया कि सुबह छह बजे ही घर से निकली हैं और करीब 7.30 में बूथ पर पहुंच गयीं. सोचा पहले मतदान करके निपट जायें, फिर दिनभर अपना काम करते रहेंगे. मतदान के बाद जहां महिलाओं में खुशी भी थी, लेकिन साथ ही गम भी. दूर गांव से आयी सभी महिलाएं एक स्वर से बोलीं कि उनके गांव में स्कूल है, बावजूद मतदान केंद्र नहीं बनाया गया. अगर गांव के स्कूल में ही मतदान केंद्र बन जाता तो इतनी दूरी आकर मतदान नहीं करना पड़ता.

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