एक माह से न तो कुछ खा रही है और न ही सो ही रही है. जंजीर खोलने पर इधर-उधर भागती है और गाली-गलौज व मारपीट भी करती है. भाई का कहना है कि पांच दिन हो गये हैं, लेकिन बहन की इलाज हो पायेगा या नहीं पता नहीं. बस अब उम्मीद ही बाकी है. वे चाहते हैं कि मेरी बहन की दयनीय स्थिति को देखते हुए जिलाधिकारी व अधीक्षक शीध्र किसी तरह समुचित इलाज कराने की व्यवस्था प्रदान कर दे. इस पूरे मामले पर अस्पताल अधीक्षक से बात करने की कोशिश की, लेकिन अधीक्षक के द्वारा फोन नहीं उठाने के कारण बातचीत नहीं हो पायी़
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अमानवीय: इलाज नहीं, बेड़ी मिली पूनम को
भागलपुर : कोई है देखने वाला. पूनम देवी की पैरों में जंजीर देखकर आप पहली नजर में यही कहेंगे कि कोई खूंखार किस्म की औरत होगी और दंड के रूप में इसे जंजीर से बांध दिया गया है, लेकिन कहानी कुछ और ही है. लौवा लगाम, मधेपुरा की रहने वाली तीन बच्चों की मां पूनम […]
भागलपुर : कोई है देखने वाला. पूनम देवी की पैरों में जंजीर देखकर आप पहली नजर में यही कहेंगे कि कोई खूंखार किस्म की औरत होगी और दंड के रूप में इसे जंजीर से बांध दिया गया है, लेकिन कहानी कुछ और ही है. लौवा लगाम, मधेपुरा की रहने वाली तीन बच्चों की मां पूनम पिछले एक महीने से विक्षिप्त की तरह व्यवहार कर रही है.
इसे दिखाने के भाई सुनील सिंह 21 सितंबर को जवाहरलाल नेहरू मेडिकल अस्पताल लाया था. भाई ने पहले मरीज को इमरजेंसी ले गया, लेकिन इमरजेंसी के डॉक्टर ने कहा कि यहां इसका इलाज नहीं होगा. बाद में आउटडोर में वे मनोरोग डॉक्टर के पास गया. मरीज के भाई कहते हैं दोपहर करीब 12.00 बजे डॉक्टर बोल दिया कि आज नहीं देखेंगे, अब कल लेकर आइए. इसके बाद आज तक मरीज को नहीं देखा गया है. भाई का कहना है कि अगर अस्पताल में कुछ इलाज हो जाता है तो हो सकता है कि मेरी बहन ठीक हो जाये. अगर इतना भी नहीं हो सके तो अस्पताल से रेफर कर रांची के मेंटल हॉस्पिटल भेज दे. यहां बता दें कि मायागंज अस्पताल में डॉक्टर एके भगत और कुमार गौरव दो मनोरोग डॉक्टर पदस्थापित हैं.
जिलाधकारी व अधीक्षक को पत्र लिखकर लगायी है गुहार : भाई सुनील सिंह ने जिलाधकारी और अस्पताल अधीक्षक को पत्र लिखकर बहन की समुचित इलाज के लिए गुहार लगायी है. पत्र में लिखा है कि अभाव ग्रस्त जिंदगी का तनाव झेलते-झेलते मेरी बहन मानसिक रूप से गंभीर रूप से बीमार हो गयी है.
एक माह से न तो कुछ खा रही है और न ही सो ही रही है. जंजीर खोलने पर इधर-उधर भागती है और गाली-गलौज व मारपीट भी करती है. भाई का कहना है कि पांच दिन हो गये हैं, लेकिन बहन की इलाज हो पायेगा या नहीं पता नहीं. बस अब उम्मीद ही बाकी है. वे चाहते हैं कि मेरी बहन की दयनीय स्थिति को देखते हुए जिलाधिकारी व अधीक्षक शीध्र किसी तरह समुचित इलाज कराने की व्यवस्था प्रदान कर दे. इस पूरे मामले पर अस्पताल अधीक्षक से बात करने की कोशिश की, लेकिन अधीक्षक के द्वारा फोन नहीं उठाने के कारण बातचीत नहीं हो पायी़
जंजीर से बांध कर रखे हुए हैं पूनम को
लौवा लगाम, मधेपुरा की रहने वाली पूनम की शादी 12 साल पहले रिक्शा चालक दिलीप सिंह से हुई थी. पति हरियाणा में रिक्शा चलाता है. उसे तीन बच्चे एक लड़का व दो लड़की हैं. पूनम के पिता की मौत असम के उल्फा उग्रवादी हमले में हो गया था. भाई कहते हैं कि मधेपुरा में पांच-छह डॉक्टरों से थोड़ा बहुत इलाज कराया. किसी ने बताया कि इसे भागलपुर हॉस्पिटल लेकर जाओ. इसलिए वे बहन को लेकर भागलपुर आ गये. जब अस्पताल में डॉक्टरों ने इलाज करने से मना कर दिया तो किसी ने बताया कि बरारी घाट के पास एक मजार है, उसी के शरण में जाओं तो कुछ हो सकता है. पिछले पांच दिनों से यहीं मजार के एक पीलर में बहन को जंजीर से बांधकर रखे हुए हैं. अभी भी आस है कि अगर मायागंज अस्पताल में बहन का कुछ इलाज हो जाये तो स्थित सुधर सकती है.
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