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शांत व मृदुभाषी थे जमादार सदानंद सिंह
मामला सड़क दुर्घटना में आदमपुर थाना के एएसआइ की मौत का भागलपुर : जमादार सदानंद सिंह की खबर सुनते ही पूरा पुलिस महकमा मायागंज अस्पताल पहुंच गया. एएसपी नगर वीणा कुमारी, इंस्पेक्टर विधि व्यवस्था विजय कुमार मायागंज अस्पताल पहुंचे और परिजनों को मिले. सदानंद सिंह के शव पास जाकर दोनों अधिकारियों ने नमन किया. आदमपुर […]
मामला सड़क दुर्घटना में आदमपुर थाना के एएसआइ की मौत का
भागलपुर : जमादार सदानंद सिंह की खबर सुनते ही पूरा पुलिस महकमा मायागंज अस्पताल पहुंच गया. एएसपी नगर वीणा कुमारी, इंस्पेक्टर विधि व्यवस्था विजय कुमार मायागंज अस्पताल पहुंचे और परिजनों को मिले. सदानंद सिंह के शव पास जाकर दोनों अधिकारियों ने नमन किया.
आदमपुर थाना में जेएसआइ श्यामल किशोर से लेकर होमगार्ड के जवान तक अपने साहब को देखने के लिए पहुंचे. सभी की आंखें नम थी. किसी को यह यकीन नहीं हो रहा था कि कुछ देर पहले सदानंद बाबू हमलोग के साथ थे. वह तुरंत आंखों से ओझल हो गये. आठ माह पहले आदमपुर थाना में योगदान देनेवाले सदानंद सिंह के शांत व मृदुभाषी स्वभाव सभी कायल थे.
आदमपुर थाना के टाइगर मोबाइल सुबोध ने बताया कि साहेब कभी गुस्साते नहीं थे. कुछ बोलने पर भी हंस कर टाल देते थे.गोराडीह थाना प्रभारी विजय चंद्र शर्मा व तिलकामांझी थानाध्यक्ष रंजन कुमार ने बताया कि ऐसे जमादार शायद ही मिलते हैं. ड्यूटी पर हरवक्त मुस्तैद रहते थे. बल्कि ड्यूटी से ज्यादा काम कर देते थे. उनके जाने से लगता है सब सूना हो गया है.
परिजनों के क्रंदन से दुखी थे सभी
भागलपुर : मौत की खबर सुन कर पत्नी मीना देवी का बुरा हाल हो गया था. बेटी शव से लिपट कर रो रही थी. नतनी डिंपलकुमारी को तो माने होश ही नहीं था. बेटा श्रवण को तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे.
बेटी और पत्नी की यह स्थिति थी कि शव से लिपट कर रोते-रोते बेहोश हो जा रही थी. उन्हें होश में लाया जा रहा था, मगर फिर बेहोश हो जा रही थी. जब तक शव अस्पताल परिसर में रहा, तब तक पत्नी और बेटी को होश में लाने और बेहोश होने का सिलसिला जारी था. बेटी बदहवास हो गयी थी और कह रही थी कि पापा अब इस दुनिया में नहीं रहे. अब हमलोगों का देखभाल कौन करेगा.
पापा नहीं रहे, तो अब हम लोग रह कर क्या करेंगे. इधर, पत्नी रोते-रोते कह रही थी कि हो भोलेनाथ हमरा सिनी तोरो कि बिगाड़लै छेलिहौ जे कहर ढैलोह. परिजनों को रोता-बिलखता देख हर किसी की आंखें नम हो गयी थी. हर कोई कह रहा था कि जमादार सदानंद सिंह बेहतर इनसान था.
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