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न्यायपालिका से बढ़कर कोई नहीं

फोटो सुरेंद्र ( वकीलों से परिचर्चा) संवाददाता भागलपुर : सीजीएम कोर्ट से तत्कालीन इंस्पेक्टर कुमोद कुमार, तत्कालीन थानेदार संजय विश्वास व आदमपुर थानाध्यक्ष संतोष शर्मा को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने पर अधिवक्ताओं ने कहा कि न्यायपालिका से बढ़ कर कोई नहीं है. न्यायपालिका सब के लिए बराबर है. चाहे वह आम आदमी हो, या […]

फोटो सुरेंद्र ( वकीलों से परिचर्चा) संवाददाता भागलपुर : सीजीएम कोर्ट से तत्कालीन इंस्पेक्टर कुमोद कुमार, तत्कालीन थानेदार संजय विश्वास व आदमपुर थानाध्यक्ष संतोष शर्मा को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने पर अधिवक्ताओं ने कहा कि न्यायपालिका से बढ़ कर कोई नहीं है. न्यायपालिका सब के लिए बराबर है. चाहे वह आम आदमी हो, या फिर कोई पुलिस वाला हो. वरीय अधिवक्ता उमेश पांडे ने कहा कि कानून के अनुसार सीजीएम कोर्ट का फैसला आया है. इसका सम्मान करना चाहिए. बिहार बार काउंसिल के उपाध्यक्ष कामेश्वर पांडे ने बताया कि तीनों पुलिस कर्मियों के केस का ट्रायल चलने के बाद सजा का प्रावधान है. कोर्ट की नजर में सब एक समान है. अधिवक्ता सुनील कुमार ने बताया कि कानून के तहत जो फैसला आया है. वह सही है. कानून सब के लिए बराबर है. जमानत के लिए अभी रास्ता खुला है. वरीय अधिवक्ता अजय कुमार सिन्हा ने बताया कि कानून से बड़ा कोई नहीं है. न्यायालय द्वारा दिया गया अभिमत कानूनी प्रक्रिया के अनुकूल है. एपीपी रमेश साह ने बताया कि कानून ने अपना काम किया है. न्यायिक हिरासत में गये पुलिस कर्मी जमानत याचिका दायर कर सकते हैं. उन्हें जमानत मिल सकती है.

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