कुलपति ने कहा कि सामाजिक समृद्धि बढ़ाने में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. आर्थिक विकास में गांवों की भागीदारी हो. भारत में खेती बारी को सबसे बड़ा व्यवसाय माना जाता था, लेकिन आधारभूत संरचनाओं के अभाव से कृषि की स्थिति दयनीय हो गयी है. किसानों का किसानी से मोहभंग हो रहा है. प्रतिकुलपति प्रो एके राय ने कहा कि देश में आधुनिकीकरण के बावजूद विकास की गति धीमी है. आर्थिक विकास में युवाओं की भागीदारी होनी चाहिए. काशी विद्यापीठ के डॉ सतीश कुमार ने कहा कि भारत के किसान बदहाली के कगार पर हैं.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना होगा. बिहार पॉलिटिकल साइंस एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो एलएन शर्मा ने कहा कि मोरल डेवलपमेंट का अभाव है. शासी निकाय के अध्यक्ष एसडीसी संजीव कुमार ने कहा कि किसान खेती में जितनी पूंजी लगाते हैं, उतनी आमदनी नहीं हो पाती. प्राचार्य डॉ केडी प्रभात ने कहा कि बेकारी, गरीबी से समस्याएं जटिल हो रही है. शहर व गांव के बीच का फासला बढ़ता जा रहा है. आयोजन सचिव डॉ अनिल कुमार ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में सर्वाधिक गरीबी एक अभिशाप बन गयी है. मंच संचालन डॉ विभु कुमार राय व डॉ मनोज कुमार ने किया.