भागलपुर : थक कर ठहर गये क्या भाई, मंजिल दूर नहीं. और परीक्षा ले विधाता, इतना क्रूर नहीं. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की उक्त पंक्ति पर गोलाघाट की मीरा देवी ने 22 वर्ष पहले पति गिरधारी चौधरी की मृत्यु के बाद चरितार्थ किया. दूसरे घरों में चौका-बरतन कर इकलौता बेटा अजय चौधरी को इंजीनियर बनाया.
विधवा मीरा देवी ने कहा कि पति की मृत्यु के बाद लगा जैसे दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा हो. पति भी मोटिया-मजदूर था, इसलिए घर भी पूरी तरह से खाली था. पति का घर अभयपुर कजरा था. मृत्यु के बाद मायका आ गयी, लेकिन यहां भी आर्थिक तंगी थी. गोलाघाट में समीप में किराया पर मकान लिया और दूसरे घरों में काम करना शुरू किया और बेटे को पढ़ाया.
अजय का सेलेक्शन मुर्शिदाबाद बेहरामपुर में दमकल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में बी टेक के लिए हो गया. बीटेक 70 प्रतिशत अंक के साथ पास किया और गुड़गांव में कैंपस सेलेक्शन हुआ. मीरा का कहना है कि उसे अब इस बात की खुशी है कि अपने मेहनत से बेटे को इंजीनियर बनाया. अब उसकी जिंदगी फिरने लगी है.
– दीपक राव –