-हिंदी रंगमंच : सामाजिक व वैचारिक प्रतिबद्धता विषय पर संगोष्ठीफोटो नंबर :संवाददाता,भागलपुरविचार शून्य नाटक शुद्ध मनोरंजन भी नहीं है. सामाजिक सरोकारों व जनप्रतिबद्धता से ही हिंदी रंगमंच अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है. यह बात प्रसिद्ध आलोचक व साहित्यकार डॉ खगेंद्र ठाकुर ने कही. डॉ ठाकुर भारतीय जननाट्य संघ (इप्टा), दिशा एवं माध्यम के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में पधारे थे. गोष्ठी का विषय था हिंदी रंगमंच : सामाजिक व वैचारिक प्रतिबद्धता. अतिथियों का स्वागत एवं मंच का संचालन प्रेम प्रभाकर ने किया, जबकि अध्यक्षता कथाकार व इप्टा के पूर्व अध्यक्ष पीएन जायसवाल ने की. विषय प्रवेश रंगकर्मी चंद्रेश ने किया. उन्होंने नाटक में विचार के संतुलित समन्वय को आवश्यक बताया. चरणदास चोर की विशेष तौर पर चर्चा करते हुए उन्होंने बर्टोल्ट ब्रेख्त की वैचारिक प्रतिबद्धता को रेखांकित किया. नुक्कड़ नाटक के संपादक डॉ अरविंद ने हिंदी नाटकों में वैचारिकी और सामाजिक सरोकारों की कमी पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने जोर देकर कहा कि नाटक में वैचारिक संवेदना की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए. रंगकर्मी प्रो उदय ने पश्चिमी नाट्य आंदोलनों की चर्चा की. धन्यवाद ज्ञापन इप्टा के सचिव संजीव कुमार दीपू ने किया. इस मौके पर डॉ उपेंद्र साह, संजय कुमार, जयंत जलद, धर्मेंद्र कुसुम, अजय अटल, चैतन्य प्रकाश, प्रवीर, साहिल, रिंटू, अवधेश, ओम सुधा, ललन, रोशन, कपिलदेव आदि उपस्थित थे.
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विचार शून्य नाटक शुद्ध मनोरंजन भी नहीं
-हिंदी रंगमंच : सामाजिक व वैचारिक प्रतिबद्धता विषय पर संगोष्ठीफोटो नंबर :संवाददाता,भागलपुरविचार शून्य नाटक शुद्ध मनोरंजन भी नहीं है. सामाजिक सरोकारों व जनप्रतिबद्धता से ही हिंदी रंगमंच अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है. यह बात प्रसिद्ध आलोचक व साहित्यकार डॉ खगेंद्र ठाकुर ने कही. डॉ ठाकुर भारतीय जननाट्य संघ (इप्टा), दिशा एवं माध्यम के […]
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