-प्रख्यात साहित्यकार एवं आलोचक डॉ खगेंद्र ठाकुर भागलपुर के रंगमंच पर बातचीतसंवाददाता,भागलपुरभागलपुर में रंगमंच के इतिहास पर डॉ खगेंद्र ठाकुर ने कहा कि यहां का रंगमंच जात्रा (बांग्ला नाटक) पर आधारित था. चंपानगर में जात्रा व नाटक रंगमंच के लिए अच्छा काम हुआ था. वे लोग घूम-घूम कर नाटक करते थे, लेकिन यह रंगमंच बांग्ला था. सुलतानगंज में हिंदी रंगमंच था और अब भी है, हालांकि अब नाटक दिखाई नहीं पड़ता है. उस समय का रंगमंच स्वाधीनता के लिए प्रेरित करने का काम करता था. उन्होंने कहा कि यहां के लोग रंगमंच के लिए लगे रहेंगे तो यहां अब भी रंगमंच का भविष्य अच्छा रहेगा. प्रख्यात साहित्यकार एवं आलोचक डॉ खगेंद्र ठाकुर ने प्रभात खबर से बातचीत के दौरान कहा कि भागलपुर के रंगमंच से वह बचपन से ही अवगत हो गये थे. यहां के कलाकार घूम-घूम कर जात्रा नाटक करते थे, जो उनके क्षेत्र गोड्डा भी गये थे. वह समय 50 वर्ष पहले का था. अभी रंगमंच को आगे बढ़ाने के लिए यहां के युवाओं को लगना होगा.
रंगमंच के भविष्य के लिए युवाओं को लगना होगा
-प्रख्यात साहित्यकार एवं आलोचक डॉ खगेंद्र ठाकुर भागलपुर के रंगमंच पर बातचीतसंवाददाता,भागलपुरभागलपुर में रंगमंच के इतिहास पर डॉ खगेंद्र ठाकुर ने कहा कि यहां का रंगमंच जात्रा (बांग्ला नाटक) पर आधारित था. चंपानगर में जात्रा व नाटक रंगमंच के लिए अच्छा काम हुआ था. वे लोग घूम-घूम कर नाटक करते थे, लेकिन यह रंगमंच बांग्ला […]
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