दूसरा यह कि 3687 सीरियल नंबर का दो प्रोविजनल सर्टिफिकेट टीएमबीयू ने जारी किया था. इनमें से एक के बारे में विवि प्रशासन द्वारा पहले ही दिल्ली हाइकोर्ट को रिपोर्ट दी जा चुकी है कि 3687 सीरियल नंबर का प्रोविजनल प्रमाणपत्र वर्ष 1998 में हुई परीक्षा में सफल छात्र संजय कुमार चौधरी के नाम से निर्गत किया गया है. इसी सीरियल नंबर का दूसरा प्रोविजनल प्रमाणपत्र जारी होने का साक्ष्य दिल्ली पुलिस को मंगलवार को स्टोररूम से मिला. पुलिस ने मंगलवार को स्टोररूम, रजिस्ट्रेशन शाखा व सील किये गये स्ट्रांग रूम खोल कर जांच की. विभिन्न पदाधिकारियों व कर्मचारियों से पूछताछ भी की.
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तोमर प्रकरण: टीएमबीयू से ही जारी हुआ था प्रोविजनल
भागलपुर: दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की फर्जी डिग्री मामले की तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में जांच कर रही दिल्ली पुलिस को दूसरे दिन मंगलवार को एक खास उपलब्धि हाथ लगी. तोमर को टीएमबीयू से ही प्रोविजनल सर्टिफिकेट जारी करने के दो साक्ष्य पुलिस को मिले. पहला यह कि तत्कालीन कुलसचिव डॉ राजेंद्र […]
भागलपुर: दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की फर्जी डिग्री मामले की तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में जांच कर रही दिल्ली पुलिस को दूसरे दिन मंगलवार को एक खास उपलब्धि हाथ लगी. तोमर को टीएमबीयू से ही प्रोविजनल सर्टिफिकेट जारी करने के दो साक्ष्य पुलिस को मिले. पहला यह कि तत्कालीन कुलसचिव डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह ने यह स्वीकार कर लिया कि तोमर के प्रोविजनल पर उनका ही हस्ताक्षर है.
जारी हुए थे एक ही नंबर के दो सर्टिफिकेट : स्टोररूम में भंडारी से पुलिस ने 3687 सीरियल नंबर का प्रोविजनल बुक का प्राप्ति रजिस्टर मांगा. भंडारी ने जो साक्ष्य पुलिस को उपलब्ध कराया, वह चौंकानेवाला था. पूर्व भंडारी बीएल दास ने एक प्रोविजनल बुक परीक्षा विभाग को जारी किया था, जिसमें 3687 सीरियल नंबर का भी प्रोविजनल सर्टिफिकेट था. यह बुक परीक्षा विभाग के सहायक अच्युतानंद सिंह ने वर्ष 1997 में प्राप्त किया था. इसके बाद 21 मार्च 2001 को भंडारी के रूप में सुदीन राम नियुक्त किये गये. श्री राम ने 11 जनवरी 2002 को प्रोविजनल बुक (पृष्ठ संख्या 3001 से 4000 तक) जारी किया. इसे परीक्षा विभाग के बड़े नारायण सिंह ने प्राप्त किया था.
कहीं बैक डेट में तो जारी नहीं हुए प्रोविजनल : वर्ष 1997 में 3687 नंबर का प्रोविजनल स्टोररूम ने परीक्षा विभाग को निर्गत किया. परीक्षा विभाग ने वर्ष 1998 में छात्र संजय कुमार चौधरी के नाम से प्रोविजनल जारी किया था. इसी सीरियल नंबर का वर्ष 2002 में स्टोररूम ने प्रोविजनल जारी किया और वर्ष 2001 में परीक्षा विभाग ने जितेंद्र सिंह तोमर को प्रोविजनल जारी किया. हालांकि अभी यह खुलासा नहीं हो पाया है कि दोनों में से कौन सा प्रोविजनल तोमर को जारी किया गया था और कौन सा संजय कुमार चौधरी को.यही नहीं वर्ष 2002 में जिस बड़े नारायण सिंह ने प्रोविजनल बुक प्राप्त किया था, उसके हस्ताक्षर तोमर के प्रोविजनल पर अंकित हैं. आखिर यह कैसे हो सकता है कि एक साल बाद जारी होनेवाले प्रोविजनल बुक से एक प्रोविजनल एक साल पहले के डेट से जारी हो जाये. इस सवाल को ढूंढ़ना पुलिस के लिए चुनौती है.
काउंटर फाइल से मिलेगा साक्ष्य : अब दिल्ली पुलिस को यह साबित करना ज्यादा जरूरी हो सकता है कि स्टोर रूम से निर्गत 3687 सीरियल नंबर के दोनों प्रोविजनल को परीक्षा विभाग ने किस-किस छात्रों के नाम से निर्गत किया. जानकार बताते हैं कि प्रोविजनल जारी करने के दौरान उसकी आधी प्रति परीक्षा विभाग के पास ही रह जाती है. छात्रों को जारी होनेवाली प्रति व परीक्षा विभाग के पास रहनेवाली दूसरी प्रति में एक बातें लिखी जाती है. परीक्षा विभाग के पास रहनेवाली प्रति को काउंटर फाइल कहते हैं. इसकी जांच से यह खुलासा हो जायेगा कि किन छात्रों के नाम से प्रोविजनल जारी किये गये.
तोमर प्रकरण. दिल्ली पुलिस ने हड़काया, तो कचरे में भी कागजात ढूंढ़ने लगे कर्मचारी कागजात दो, नहीं तो दिल्ली चलो
भागलपुर: दिल्ली पुलिस ने तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के सिंडिकेट हॉल में मंगलवार को बारी-बारी से पदाधिकारियों व कर्मचारियों को पूछताछ के लिए बुलाया. सूत्रों ने बताया कि पुलिस ने कर्मचारियों को कहा कि या तो कागजात उपलब्ध कराओ या फिर दिल्ली साथ चलो. इतना कहने के बाद कर्मचारियों को प्रशासनिक भवन की सीढ़ियों पर बिखरे कचरे में भी दिन भर कागजात ढूंढ़ते देखा गया. करीब छह मजदूरों को टीआर ढूंढ़ने के लिए लगाया गया था. खुद दिनेश कुमार श्रीवास्तव (कर्मचारी) व एक अन्य कर्मी रजिस्ट्रेशन शाखा के सामने सीढ़ी पर जमा कचरे में दिन भर रजिस्ट्रेशन फॉर्म ढूंढ़ते रहे. देर शाम तक पुलिस की जांच जारी रही. उम्मीद जतायी जा रही है कि अभी दो-तीन दिन और जांच चलेगी.
एक तरफ पूछताछ, दूसरी ओर चलती रही जांच : सिंडिकेट हॉल में दिल्ली पुलिस के पदाधिकारियों ने तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह व डॉ राजीव रंजन पोद्दार, टेबलेटर रजी अहमद आदि से पूछताछ की. दूसरी ओर पुलिस तीन टीम में बंट गयी. एक टीम रजिस्ट्रेशन शाखा, दूसरी टीम कर्मचारी तसलीम को साथ लेकर रेकर्ड रूम व स्ट्रांग रूम व तीसरी टीम स्टोर रूम में फाइलों की जांच पड़ताल की. बीच में लंच किया और इसके बाद भी पुलिस जांच में जुट गयी.
आज विवि प्रेस जा सकती है पुलिस : बुधवार को जांच के लिए दिल्ली पुलिस विश्वविद्यालय प्रेस जा सकती है. दरअसल स्टोर रूम से जारी प्रोविजनल प्रमाणपत्र बुक के सीरियल नंबर का मिलान करने के लिए प्रेस में अहम जानकारी पुलिस को मिल सकती है.
स्ट्रांग रूम में घुसा पानी
बारिश के कारण परीक्षा विभाग के स्ट्रांग रूम में सीढ़ी की तरफ से पानी घुस गया था. इसके कारण कई फाइलें भींग गयी थीं. दिल्ली पुलिस के आने से पहले सफाई कर्मचारियों को पानी बाहर करने के लिए लगाया गया था.
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