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हजारों वर्ष पुरानी है योग विद्या

– तिलकामांझी भागलपुर विद्यालय सीनेट हॉल में योग पर संगोष्ठी सह योग प्रदर्शन-सम्मान समारोहसंवाददाता,भागलपुर योग विद्या भारत में हजारों वर्ष पुरानी है. इसे पूरे विश्व ने स्वीकार किया. हड़प्पा सभ्यता हो या सिंधु घाटी सभ्यता, इससे प्राप्त मुद्राओं में योग का उल्लेख मिलता है. उक्त बातें तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रमा शंकर दुबे […]

– तिलकामांझी भागलपुर विद्यालय सीनेट हॉल में योग पर संगोष्ठी सह योग प्रदर्शन-सम्मान समारोहसंवाददाता,भागलपुर योग विद्या भारत में हजारों वर्ष पुरानी है. इसे पूरे विश्व ने स्वीकार किया. हड़प्पा सभ्यता हो या सिंधु घाटी सभ्यता, इससे प्राप्त मुद्राओं में योग का उल्लेख मिलता है. उक्त बातें तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रमा शंकर दुबे ने रविवार को राष्ट्रीय सेवा योजना की ओर से सीनेट हॉल में आयोजित योग पर संगोष्ठी सह योग प्रदर्शन-सम्मान समारोह के दौरान कही. विश्वविद्यालय परिसर में प्रात: सात बजे सामूहिक योगासन कार्यक्रम हुआ. कार्यक्रम उद्घाटन कुलपति प्रो दुबे, प्रतिकुलपति प्रो एके राय, डीएसडब्ल्यू डॉ विलक्षण रविदास, सीसीडीसी अरुण कुमार मिश्रा ने किया. कार्यक्रम का संचालन ज्ञान प्रकाश सिन्हा व पल्लवी ने किया, इसके बाद प्रभात फेरी निकाली गयी. रैली विश्वविद्यालय से सराय, मंदरोजा, रामसर, ततारपुर, परबत्ती एमएम कॉलेज होते हुए विश्वविद्यालय परिसर में पूरी हुई. संगोष्ठी के दौरान योग प्रतियोगिता के सफल प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया. पल्लवी ने रोप मलखंभ का प्रदर्शन किया. संगोष्ठी का संचालन कार्यक्रम समन्वयक डॉ जयप्रकाश नारायण ने व मंच का संचालन प्रो ब्रजभूषण तिवारी ने किया. मौके पर मारवाड़ी कॉलेज के प्राचार्य डॉ एमएस जॉन, डॉ एसके पांडेय, डॉ वीबी लाल, डॉ निशा झा, गोपाल डोकानिया, विजय लाल मीना, विजय कुमार सिन्हा आदि उपस्थित थे. संगोष्ठी के दौरान सीनेट हॉल के समीप प्रजापिता ब्रह्म कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर से ध्यान योग पर चित्र प्रदर्शनी लगी गयी थी.

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