भागलपुर: पिछले दो महीने से जारी बिजली संकट से शहर को चौतरफा नुकसान हो रहा है. न्यूनतम आपूर्ति और लोकल फॉल्ट की वजह से शहर के उद्योग धंधे चौपट होते जा रहे हैं. उद्योगपतियों व व्यवसायियों को रोजाना आठ से 10 करोड़ की क्षति हो रही हो रही है. पिछले एक महीने की नुकसान का आंकड़ा 240-300 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. बिजली की कमी को दूर करने के लिए सिर्फ शहरी क्षेत्र में रोजाना 28 लाख रुपये के डीजल की खपत हो रही है. पूरा शहर जेनेरेटर के भरोसे हो गया है. जल्द ही अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो स्थिति और भी भयावह हो जायेगी.
व्यवसायियों को धक्का
शहर में छोटे-बड़े करीब 200 उद्योग और सैकड़ों दुकानें हैं. फिलहाल इन्हें रोजाना औसतन 12 घंटे बिजली मिल रही है, पर वह भी कट-कट कर. व्यवसायियों का कहना है कि बिजली संकट के कारण व्यापार ठंडा पड़ता जा रहा है. यही हाल रहा तो दुर्गा पूजा का बाजार भी बर्बाद हो जायेगा. बिजली संकट के कारण प्रतिमाह 240-300 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हो रहा है.
प्रतिदिन चल रहे 10 हजार जेनेरेटर
घर, होटल, अपार्टमेंट व दूसरे संस्थानों के संचालक रोजाना 28 लाख रुपये का डीजल धुआं कर बिजली की कमी पूरी कर रहे हैं. व्यक्तिगत व व्यावसायिक उद्देश्य से शहर में 10 हजार जेनेरेटर प्रतिदिन चलाये जा रहे हैं. औसतन पांच लीटर प्रति जेनेरेटर के हिसाब से रोजाना 50 हजार लीटर डीजल की खपत हो रही है. इसमें लोग 28 लाख पांच हजार रुपये व्यय कर रहे हैं. पिछले एक माह में आठ करोड़ से अधिक रुपये खर्च हो चुके हैं.
जेनेरेटर व्यवसायी की बल्ले-बल्ले
शहर में करीब 200 जेनेरेटर व्यवसायियों के पास 40 हजार विद्युत कनेक्शन हैं. प्रति कनेक्शन 10 रुपये के हिसाब से रोजाना चार लाख रुपये की वसूली की जा रही है. कई जेनेरेटर कारोबारियों ने तो मासिक कनेक्शन तक दे रखा है. ये रोजाना पांच लाख रुपये से जेनेरेटर कनेक्शन लेने वाले उपभोक्ताओं से वसूलते हैं. इनकी मासिक वसूली दो करोड़ रुपये के करीब है.
दोगुनी हुई पानी की बिक्री
बिजली संकट के कारण शहर में बोतल बंद पानी की बिक्री दोगुनी हो गयी है. पहले जहां तीन से चार हजार पानी के बोतल की ब्रिकी होती थी, वहीं अब छह से आठ हजार की बिक्री होने लगी है. एक माह में लाखों रुपये के बोतल बंद पानी की बिक्री हुई है.
प्रतिमाह मात्र चार करोड़ वसूल पा रहा विभाग
बिजली की आपूर्ति ठीक रहने पर विद्युत विभाग शहरवासियों से प्रतिमाह लगभग आठ करोड़ रुपये वसूलता था. पर आपूर्ति गड़बड़ाने से राजस्व घटकर प्रतिमाह चार करोड़ रुपये हो गया है. शहरी क्षेत्र के लोग बिजली की कमी दूर करने के लिए जेनेरेटर पर प्रतिमाह दो करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर रहे हैं.