भागलपुर: संस्कृति लोगों के भीतर के मन को व्यक्त करता है. नाटक व रंगकर्म एक सामूहिक क्रिया है. नाटक के लिए कान, आंख व अन्य ज्ञानेंद्रियों का काम करना जरूरी है. महाकवि काली दास ने अभिज्ञान शाकुंतलम् नाटक की रचना की थी. आज फिर समाज में रंगकर्म का काम शुरू हुआ है. आशा करता हूं कि युवा पीढ़ी इसका उत्थान करते रहेंगे और इसे उच्चतर स्तर पर पहुंचायेंगे. उक्त बातें वयोवृद्ध नाटककार-साहित्यकार डॉ राधाकृष्ण सहाय ने रविवार को रंग ग्राम जन सांस्कृतिक मंच की ओर से कला केंद्र में लगातार दूसरे वर्ष आयोजित तीन दिवसीय भागलपुर रंग महोत्सव के शुभारंभ के दौरान कही. इससे पहले नाटककार डॉ सहाय, प्रभात खबर के संपादक जीवेश रंजन सिंह, साहित्यकार डॉ देवेंद्र सिंह, डॉ योगेंद्र, टीपी सिंह, आयोजन समिति अध्यक्ष राम शरण आदि ने दीप प्रज्वलित कर महोत्सव का उद्घाटन किया. कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि सिटी डीएसपी वीणा कुमारी थीं. प्रभात खबर के संपादक श्री सिंह ने कहा कि कलाकार कोई छोटा नहीं होता है. पाश्चात्य संस्कृति के दौर में लगातार दूसरे वर्ष लोक संस्कृति को बढ़ावा देने वाला कार्यक्रम करना ही बड़ी हिम्मत वाली बात है.
सचिव देवाशीष बनर्जी ने कहा कि भारत वर्ष से बड़ी संस्कृति कोई नहीं. मणिपुर के केबी शर्मा ने थियेटर के उत्पत्ति पर चर्चा की. जमशेदपुर के मो निजाम ने रंगमंच को बचाने पर जोर दिया और कहा कि शौकिया रंगकर्मी ही रंगमंच को बचा सकता है. मंच का संचालन आयोजन संयोजक कपिलदेव ने किया. इससे पहले दोपहर दो बजे रंगमंच की चुनौतियां विषयक सेमिनार का आयोजन सामाजिक कार्यकर्ता टीपी सिंह की अध्यक्षता में हुआ. सेमिनार में मो निजाम, सुमित, हेमंत तम्हेनकर, डा योगेंद्र, डा प्रेम प्रभाकर, रंगकर्मी अभय, ललन, डा अशोक यादव, रामदेव मंडल, जगतराम साह कर्णपुरी वक्ता थे. मंच का संचालन संदीप कुमार दीपू एवं धन्यवाद ज्ञापन डा जयंत जलद ने किया. इस मौके पर भारी संख्या में शहर के गणमान्य लोगों ने भाग लिया.