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बैन पर क्या हो पायेगा अमल?

समुद्र के प्रति वर्ग मील में 46 हजार पॉलीथिन के टुकड़े तैरते हैं भागलपुर: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक 20 माइक्रोन से नीचे की पॉलीथिन पर सख्ती से रोक है पर यहां यह सबका प्रयोग होता है. शनिवार को नगर निगम के सामान्य बोर्ड की बैठक में भी शहर में पॉलीथिन के इस्तेमाल पर […]

समुद्र के प्रति वर्ग मील में 46 हजार पॉलीथिन के टुकड़े तैरते हैं

भागलपुर: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक 20 माइक्रोन से नीचे की पॉलीथिन पर सख्ती से रोक है पर यहां यह सबका प्रयोग होता है. शनिवार को नगर निगम के सामान्य बोर्ड की बैठक में भी शहर में पॉलीथिन के इस्तेमाल पर बैन लगाने पर सहमति बनी. पर अब निगम को इसे लागू कराने की जिम्मेदारी भी निभानी होगी. एक अनुमान के मुताबिक शहर में रोजाना सैकड़ों क्विंटल से अधिक पॉलीथिन की खपत होती है. इसमें भागलपुर में थोक दुकानदारों के यहां से दूसरे जिलों में भेजा जाने वाला पॉलीथिन भी शामिल है. शहर में 15 से अधिक थोक दुकानें शहर के मुख्य बाजार स्थित हड़िया पट्टी एवं सूता पट्टी में है. इसके अलावा खुदरा दुकानों की भी संख्या सौ से अधिक है.

ऐसे लग सकती है रोक

निगम प्रशासन को पहले दुकानदारों से बात कर बीच का रास्ता निकालना पड़ेगा. साथ ही आम लोगों को पॉलीथिन के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करना होगा. लोग सुबह-सुबह मॉर्निग वाक करने के लिए या अन्य कार्यो से घर से बाहर निकलते हैं और वापस लौटते समय सब्जी मंडी से सब्जी खरीदते हैं. सब्जी लेने के लिए उनके पास थैला या अन्य साधन तो नहीं होते हैं नतीजतन दुकानदार पॉलीथिन में समान दे देते हैं. वह पॉलीथिन जब घर जाता है तो उससे सब्जी निकाल कर फ्रीज या अन्य स्थानों पर रख दिया जाता है. इसके बाद उसी पॉलीथिन में घर का कूड़ा-कचरा पैक कर नाले या कूड़ादान में फेंक दिया जाता है. निगम के कर्मचारी भी कूड़े के साथ जहां उसे डंप करते हैं उसी स्थान पर पॉलीथिन को भी फेंक देते हैं. नतीजतन वह पॉलीथिन उस जगह की जमीन की उर्वरा शक्ति को भी खराब करता है एवं प्रदूषण भी फैलता है.

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