भागलपुर: पिछले दस सालों से बेटे की महज एक झलक पाने को आतुर एक मां के आंसुओं से शनिवार को शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा (सेंट्रल जेल) का द्वार तब भींगता रहा, जब उसका बेटा उससे मिलने पहुंचा. मां-बेटा के मिलाप को देखने के लिए लोग इसलिए भी उतावले दिखे कि बेटा जहां मां के इस जहां में होने की उम्मीद भी खो चुका था, वहीं मां जेल में हर दिन यह सोच कर आंसू बहा रही थी कि एक दिन उसका बेटा उससे मिलने जरूर आयेगा.
प्रभात खबर में प्रकाशित खबर पढ़ कर जब झाझा थाने के नागीडेम काबर गांव के डब्लू यादव व राजेंद्र यादव को यह मालूम हुआ कि उसकी मां कमली देवी सेंट्रल जेल में कैद है तो उसके कदम रुक नहीं पाये. मां-बेटे के इस मिलन को देख कर पूरा जेल भाव विह्वल हो उठा. हर रोज बेटों से मिलने की उम्मीद की दुआ करने वाली कमली के लिए शनिवार को प्रभात खबर दूसरा भगवान बन कर सामने आया. दरअसल, 14 सितंबर को प्रभात खबर में हुनर ही दिखाएगा आगे का रास्ता शीर्षक से फतेह हेल्प सोसाइटी द्वारा आयोजित 15 दिन 15 हुनर कार्यक्रम के समापन संबंधी खबर प्रकाशित हुई थी.
खबर में जेल के महिला वार्ड में कैद 72 वर्षीय कमली देवी के एकलव्य की तरह सीखने की ललक बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी थी. इस खबर को जमुई जिला के नागीडेम काबर गांव निवासियों ने भी पढ़ा और कमली के बेटों को इसकी जानकारी दी. खबर पढ़ते ही अखबार के साथ कमली के बेटे डब्लू व राजेंद्र सेंट्रल जेल पहुंचे. जेल आने के बाद पहली बार कमली को जेल प्रशासन उसके किसी अपनों के आने की सूचना दी.
जब उसने अपने बटों को देखा तो वह इस पर सहज यकीन नहीं कर पा रही थी. बेटों के साथ बातचीत के क्रम में जब उसे पता चला कि यह करिश्मा प्रभात खबर के कारण हुआ है तो वह आंसुओं के बीच प्रभात खबर और जेल में इस तरह के कार्यक्रम कराने के लिए जेलर राकेश कुमार का धन्यवाद करते नहीं थक रही थी. मुलाकात के दौरान उसने जेल के अंदर अपनी अब तक की कमाई से उसने बेटे को तीन हजार रुपये बतौर आशीर्वाद भी दिया.