बिजली नहीं मिलने से जलापूर्ति पर भी असर पड़ा. ग्रिड से 70 मेगावाट की बजाय शहर को अधिकतम 35 मेगावाट बिजली ही आपूर्ति की गयी. पावर ग्रिड कॉरपोरेशन इंडिया लिमिटेड की ओर से बांका पावर ग्रिड और सबौर ग्रिड के बीच नयी लाइन मरम्मत का काम कराया गया.
इस लाइन के नीचे से एनटीपीसी की लाइन रहने से एनटीपीसी, कहलगांव से सबौर ग्रिड और कहलगांव ग्रिड से सबौर ग्रिड के बीच की लाइन को शट डाउन में रखा गया था. ट्रांसमिशन विभाग ने बांका पावर ग्रिड से सुलतानगंज के रास्ते सबौर ग्रिड के लिए बिजली मंगा कर शहर को आपूर्ति की, लेकिन शहर को 35 मेगावाट ही आपूर्ति संभव हो सकी. कम बिजली मिलने से ही शहर में निर्बाध आपूर्ति नहीं हो सकी. शाम 4.10 के बाद जब एनटीपीसी, कहलगांव से सबौर ग्रिड ने बिजली लेनी शुरू की, तो शहर की आपूर्ति सुधरी.